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मेडिकल इक्विपमेंट्स की देश में मैनुफैक्चरिंग को देश में बढ़ावा देने को बड़ा फैसला

सरकार की 400 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत से चार मेडिकल इक्विपमेंट्स पार्कों में साझा बुनियादी सुविधाओं के वित्त पोषण के लिए मेडिकल इक्विपमेंट्स पार्कों के संवर्धन की योजना है। इसके अलावा 3,420 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत से चिकित्सा उपकरणों के स्वदेशी विनिर्माण के संवर्धन के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना भी है।

राम केवी
Published on: 21 March 2020 6:44 PM IST
मेडिकल इक्विपमेंट्स की देश में मैनुफैक्चरिंग को देश में बढ़ावा देने को बड़ा फैसला
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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निम्नलिखित योजनाओं को मंजूरी दी हैं। सरकार की 400 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत से चार मेडिकल इक्विपमेंट्स पार्कों में साझा बुनियादी सुविधाओं के वित्त पोषण के लिए मेडिकल इक्विपमेंट्स पार्कों के संवर्धन की योजना है। इसके अलावा 3,420 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत से चिकित्सा उपकरणों के स्वदेशी विनिर्माण के संवर्धन के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना भी है। उपरोक्त योजनाओं के लिए वहन किया जाने वाला व्यय अगले पांच वर्षों यानी 2020-21 से 2024-25 के लिए होगा।

ए. चिकित्सा उपकरण पार्कों का संवर्धन

मेडिकल इक्विपमेंट्स एक उभरता हुआ क्षेत्र है और स्वास्थ्य देखभाल बाजार के सभी क्षेत्रों में इसके विकास की संभावना सबसे अधिक है। वर्ष 2018-19 के लिए इसका मूल्य 50,026 करोड़ रुपये है। वर्ष 2021-22 तक इसके 86,840 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत मेडिकल इक्विपमेंट्स की अपनी घरेलू मांग की 85 प्रतिशत सीमा तक आयात पर निर्भर रहता है।

योजना का उद्देश्य राज्यों की भागीदारी में देश में चिकित्सा उपकरण पार्कों का संवर्धन करना है। राज्यों को प्रति पार्क 100 करोड़ रुपये की अधिकतम अनुदान सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

बी. उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना

मेडिकल इक्विपमेंट्स क्षेत्र को पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी घरेलू आपूर्ति श्रृंखला एवं लॉजिस्टिक, वित्त की उच्च लागत, गुणवत्तायुक्त विद्युत की अपर्याप्त उपलब्धता, सीमित डिजाइन क्षमताओं और अनुसंधान और विकास तथा कौशल विकास आदि पर कम ध्यान दिए जाने और अन्य बातों के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं के कारण लगभग 12 से 15 प्रतिशत विनिर्माण अक्षमता लागत से नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए विनिर्माण अक्षमता के लिए प्रतिपूर्ति तंत्र की जरूरत है।

इस योजना का उद्देश्य चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में भारी निवेश को आकर्षित करके स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत आधार वर्ष 2019-20 की तुलना में वृद्धि संबंधी बिक्री का 5 प्रतिशत की दर से प्रोत्साहन इस योजना के तहत पहचान की गई चिकित्सा उपकरणों के खंडों पर प्रदान किया जाएगा।

कार्यान्वयनः

मेडिकल इक्विपमेंट्स पार्कों के संवर्धन को यह योजना राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (एसआईए) द्वारा लागू की जाएगी। स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना फॉर्मास्यूटिकल्स विभाग द्वार नामित की जाने वाली परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) द्वारा लागू की जाएगी। चार चिकित्सा उपकरण पार्कों के लिए साझा बुनियादी सुविधाओं हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।

पीएलआई योजना का लक्ष्य

पीएलआई योजना का लक्ष्य चिकित्सा उपकरणों की निम्नलिखित श्रेणियों के तहत लगभग 25-30 विनिर्माताओं को सहायता उपलब्ध कराना है-

ए.) कैंसर देखभाल/रेडियोथैरेपी चिकित्सा उपकरण,

बी.) रेडियोलॉजी और इमेजिंग चिकित्सा उपकरण (आयोनाइजिंग और नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन उत्पाद) और न्यूक्लियर इमेजिंग उपकरण,

सी.) कार्डियो रेसपिरेट्री श्रेणी और रीनल केयर चिकित्सा उपकरणों के कैथेटर्स सहित एनस्थैटिक्स एंड कार्डियो-रेसपिरेट्री चिकित्सा उपकरण और

डी.) कोचलियर इम्प्लांट्स और पेसमेकर्स जैसे इम्प्लांट योग्य इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों सहित सभी इम्प्लांट्स।

प्रभावः

मेडिकल इक्विपमेंट्स पार्कों के संवर्धन की उप-योजना के तहत चार चिकित्सा उपकरण पार्कों में साझा बुनियादी सुविधाएं जुटाई जाएंगी। इनसे देश में चिकित्सा उपकरणों की विनिर्माण लागत घटने की उम्मीद है।

चिकित्सा उपकरणों के स्वदेशी निर्माण के संवर्धन के लिए पीएलआई योजना स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देगी और इस क्षेत्र से विशेषरूप से पहचान किए गए लक्षित खंडों में भारी निवेश को आकर्षित करेगी। इससे पांच वर्ष की अवधि में 68,437 करोड़ रुपये मूल्य की उत्पादन वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इन योजनाओं से पांच वर्षों की अवधि में 33,750 नौकरियों से अतिरिक्त रोजगार जुटाए जाने में मदद मिलेगी।

यह योजनाएं चिकित्सा उपकरणों के लक्षित खंडों के आयात में काफी कमी लाने में मदद करेगीं।



राम केवी

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