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बर्बाद पोल्ट्री कारोबार: तबाही बन कर आया बर्ड फ़्लू, तोड़ी बिजनेसमैन की कमर

अंडे और चिकन की इस मांग को पूरा करने के लिए पोल्ट्री व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ा और इसका गढ़ बना पूर्वांचल। लेकिन किसानों और व्यापारियों को हुए नुकसान ने इसे कई सालों पीछे कर दिया है, छोटे फार्म वाले सबसे ज्यादा संकट में हैं।

SK Gautam
Published on: 7 Jan 2021 8:07 AM GMT
बर्बाद पोल्ट्री कारोबार: तबाही बन कर आया बर्ड फ़्लू, तोड़ी बिजनेसमैन की कमर
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बर्बाद पोल्ट्री कारोबार: तबाही बन कर आया बर्ड फ़्लू, तोड़ी बिजनेसमैन की कमर

लखनऊ: कोरोना का कहर अभी जारी है ऐसे में बर्ड फ्लू की दस्तक ने लोगों की जान खतरे में डाल दी है। केरल के अलप्‍पुझा से शुरू हुए बर्ड फ़्लू ने अब पूरे देश में अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है। बर्ड फ़्लू के ख़तरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार भी सकते में आ गई है। उत्तर प्रदेश के पशुधन विभाग ने पूरे प्रदेश के लिए एडवाइज़री जारी कर दी है। इसमें सभी ज़िलों को निर्देश दिए गए हैं कि पक्षियों के पानी पीने के जलाशयों पर नज़र रखी जाए।

उत्‍तर प्रदेश की योगी सरकार की ओर से जारी की गई एडवाइजरी ये हैं मुख्य बातें-

1-बाहरी पक्षियों के झुंड पर पर नज़र रखने के निर्देश। जलाशयों में पानी पीने के बाद अगर कोई पक्षी मृत पाया जाता है तो फ़ौरन उसको फॉरेंसिक जांच के लिए लैब में भेजा जाए।

2-बाहर के राज्यों से आनेवाले पक्षियों खासकर कुक्कुट यानि मुर्गियों को लेकर आने वाली गाड़ियों की जांच की जाए। अगर कोई पक्षी बीमार या मृत पाया जाता है तो उसे प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने न दिया जाए। मुर्ग़ा मंडियों को हफ्ते में एक दिन बंद रखा जाए और उस दिन मंडी की पूरी साफ़ सफ़ाई की जाए।

3-सभी बर्ड सैंक्चुअरी और पक्षी पार्कों की सूची बनायी जाये जहां पर प्रवासी पक्षी आते हैं। भारत सरकार की ओर से संक्रमण को लेकर गाइडलाइन्स का पूरी तरह से पालन कराया जाए और संक्रमण रोकने के तरीक़ों को इस्तेमाल किया जाए।

4-सभी ज़िलाधिकारी ये सुनिश्चित करें कि उनके ज़िलों में फेसमास्क और पीपीई किट की कमी ना हो। इसका ज़रूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाए।

5-सभी ज़िलों में मुर्ग़ा और उसके उत्पादों के इस्तेमाल के लिए जन जागरण अभियान चलाया जाए. किसी भी तरह की अफ़वाह को ना फैलने दिया जाए।

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पोल्ट्री कारोबार पर बर्ड फ्लू का असर

कोरोना संक्रमण के शुरुआत में सबसे बड़ा असर पोल्ट्री कारोबार पर ही देखने को मिला और लॉकडाउन ने तो पोल्ट्री उद्योग की कमर ही तोड़ दी थी। लॉक डाउन हटने के बाद पोल्ट्री उद्द्योग थोड़ा संभला था ऐसे में बर्ड फ्लू के हमले ने इस कारोबार को बड़ा झटका दिया है। बता दें कि देश में 1.20 लाख करोड़ के पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े करीब 10 करोड़ किसानों की पूंजी खत्म हो चुकी है। किसान और कारोबारी कर्ज में दबे हैं।

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पोल्ट्री उद्योग में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर, रोज तीन करोड़ अंडों की खपत

चिकन-अंडा खाने से संक्रमण और लॉकडाउन से पोल्ट्री व्यवसाय को 20,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान पहुंचा है। इस झटके से उबरने में इस उद्योग को संभलने में कई साल लग जाएंगे। पोल्ट्री उत्पादन में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का हरियाणा और पश्चिम बंगाल के बाद तीसरा नंबर आता है। यहां हर रोज तीन करोड़ अंडों की खपत है, जिसमें से 1.7 करोड़ अंडों का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है और 1.3 करोड़ अंडों को हर रोज पंजाब-हरियाणा से आयात किया जाता है। इसी तरह हर महीने चिकन की खपत लगभग तीन लाख मीट्रिक टन है।

पोल्ट्री व्यवसाय का सबसे बड़ा गढ़ है पूर्वांचल

अंडे और चिकन की इस मांग को पूरा करने के लिए पोल्ट्री व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ा और इसका गढ़ बना पूर्वांचल। लेकिन किसानों और व्यापारियों को हुए नुकसान ने इसे कई सालों पीछे कर दिया है, छोटे फार्म वाले सबसे ज्यादा संकट में हैं। उत्तर प्रदेश कुक्कुट निदेशालय के निदेशक डॉ. टोडरमल बताते हैं, हर रोज 1.70 करोड़ अंडों का उत्पादन होता है, अगर एक अंडे की कीमत 4 रुपये रखी जाए तो सिर्फ अंडा उत्पादन को हर रोज 6.8 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जो कि महीने में 204 करोड़ रुपये है।

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यूपी में अंडा और चिकन के कारोबार को भारी नुकसान, बंद के कगार पर

अगर चिकन के कारोबार की बात करें तो हर महीने 2000 से 2500 करोड़ का नुकसान हो रहा है। इस तरह से यूपी में अंडा और चिकन के कारोबार को पिछले दो महीनों में करीब 5400 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। उन्नाव जिले के गांव फरहदपुर में छोटे-बड़े 50 फार्म थे, जो आज बंद पड़े हैं।

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पोल्ट्री कारोबार में क्या है नुकसान का गणित?

केन्द्रीय पशुपालन, की रिपोर्ट के मुताबिक भारत हर रोज 25 करोड़ अंडे और 1.3 करोड़ मुर्गे-मुर्गियों का उत्पादन करता है। दो महीने में 1500 करोड़ अंडों की कीमत प्रति अंडा चार रुपये मानें तो यह 6000 करोड़ होती है, इसी तरह ब्रायलर (मांस का उत्पादन) को देखें तो 1.3 करोड़ पक्षियों का हर रोज उत्पादन होने से दो महीनों में कुल 156 करोड़ किलोग्राम मांस तैयार होता है, जिसकी कीमत 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 15,600 करोड़ रुपये होती है। इस तरह से कुल 21,600 करोड़ का नुकसान तो सीधे तौर पर दिखता है।

कर्ज में पहले दो साल में ब्याज न लिया जाए

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिख कर कई सहूलियतें मांगी थीं। पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश खत्री ने कहा कि "हमने मांग की है कि लोन में दो साल का मोरेटोरियम दिया जाए, प्रति मुर्गा 100 रुपये की मदद दी जाए और पहले दो साल में ब्याज न लिया जाए, तभी पोल्ट्री इंडस्ट्री को बचाया जा सकता है। यूपी पोल्ट्री फार्मर एसोसिएशन के अध्यक्ष अली अकबर कहते हैं, हमारी सरकार से मांग है कि मुर्गी पालन में लगे किसानों को कृषि रेट पर बिजली दी जाए।

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सब्जी की तरह पोल्ट्री उत्पाद भी बिकवाए सरकार-रमेश खत्री

रमेश खत्री ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण लगे लॉक डाउन के समय में पॉल्ट्री उद्योग की क्षमता जीरो हो गई थी, कई जगहों पर मुर्गा फ्री में उठवाया गया। दुकानें बंद कर दी गई थी और पुलिस खोलने नहीं दे रही थी। ऐसे में कोरोना के बाद बर्ड फ्लू ने फिर से इस पोल्ट्री कारोबार को खतरे में डाल दिया है। रमेश खत्री ने यह भी अपील की कि सरकार जैसे शहरों में सब्जी बिकवा रही है, वैसे ही चिकन की दुकानें भी खुलवाए।

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