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Bisleri Success Story : बिसलेरी कैसे बना मिनरल वाटर का ब्रांड, जानें कितना है कंपनी का टर्न ओवर

Bisleri Success Story : बिसलेरी बोतल कंपनी बोतल बंद पानी में सबसे ज्यादा बिकने वाली बोतलों में से एक है। जानें इस कंपनी की सक्सेस स्टोरी ....

Shraddha
Written By Shraddha
Published on: 8 Oct 2021 6:42 PM IST
बिसलेरी कैसे बना मिनरल वाटर का ब्रांड
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बिसलेरी कैसे बना मिनरल वाटर का ब्रांड (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

Bisleri Success Story : बिसलेरी बोतल (Bisleri Bottle) का नाम तो सभी ने सुना होगा। आज यह बोतल बंद पानी में सबसे ज्यादा बिकने वाली बोतलों में से एक है। बिसलेरी दशकों से एक घरेलू नाम रहा है। यह भारत में मिनरल वाटर (Mineral Water) का सबसे भरोसेमंद ब्रांड है। पिछले 50 सालों से बिसलेरी अपने उपभोक्ताओं को सुरक्षित, शुद्ध और स्वस्थ खनिज पानी प्रदान करने के अपने वादे पर खरा उतरा है। आज बिसलेरी के ब्रांड के बारे में जानते हैं कि कैसे बिसलेरी आज भारत का मिनरल वाटर ब्रांड (Bisleri India Mineral Water Brand) बन गया है। इस सक्सेस स्टोरी को थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

बोतल बंद पानी में आज बिसलेरी का एक बड़ा नाम है जिसे सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि देश के कई पड़ोसी देशों में जाना जाता है। बिसलरी की स्थापना इटली के साइनॉर फेलिस बिसलेरी ने की थी। भारत में बोतल बंद पानी बेचने की सोच भी इनकी थी। जिसकी वजह से आज देश दुनिया में मिनरल वाटर मिल रहे हैं। इसके बाद बिसलेरी को मुंबई में 1965 में कांच की बोतलों के रूप में दो किस्सों में पेश किया गया था।


बिसलेरी कंपनी प्रचार (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)


आपको बता दें कि बिसलेरी ने शुरुआत में दो प्रोडक्ट को मार्केट में उतारा था जिसमें पहला बिसलेरी वाटर और दूसरा बिसलेरी सोडा। बिसलेरी के यह दोनों ब्रांड उस समय बड़े - बड़े होटलों और रेस्ट्रोरेंट में मिला करते थे। आम जनता इस मिनरल वाटर से कोसो दूर थी। लेकिन धीरे - धीरे मार्केट में इसे उतारा गया। पहले पानी से ज्यादा इसके सोडे को लोग इस्तेमाल किया करते थे। कंपनी ने बिसलेरी वाटर बेचने में ज्यादा सफलता नहीं पाई। इस वजह से कंपनी के मालिक खुसरू संतुक ने बिसलेरी को बेचने का मन बना लिया था।

बिसलेरी को पार्ले कंपनी ने खरीदा

बिसलेरी कंपनी के मालिक रमेश चौहान (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

बिसलेरी वाटर को मिली इस असफलता के बाद खुसरू संतुक बिसलेरी को बेचना चाहते थे। इस कंपनी को पार्ले ब्रदर के रमेश चौहान ने खरीद ली। रमेश चौहान ने बिसलेरी को 1969 में खरीदा था। पार्ले ने इस कंपनी को 4 लाख रुपये में खरीदा था। इस कंपनी को खरीदने का मकसद इस ब्रांड को सोडा ब्रांड में बदलने का था। तब बिसलेरी के देश भर में 5 स्टोर थे, 4 मुंबई में और 1 कोलकाता में था।

ऐसे बना बिसलेरी ब्रांड

बिसलेरी कंपनी वाटर के साथ सोडा (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


पार्ले ने बिसलेरी को लेकर काफी रिसर्च की तब पता चला कि रेलवे स्टेशनों, सार्वजानिक स्थल पर पानी की अशुध्ता की वजह से लोग प्लेन सोडा खरीदकर पीते हैं। तब पार्ले ने इन जगहों पर बिसलेरी के शुद्ध मिनरल वाटर को सप्लाई करना शुरू किया। इसकी पैकेजिंग में काफी नए - नए बदलाव किए जिससे लोगों में इस मिनरल वाटर की डिमांड बढ़ी और बिसलेरी की मजबूती दिन पर दिन बढ़ती गई।

बिसलेरी को साल 2000 में मिली चुनौती

बिसलेरी को मिनरल वाटर की टॉप लिस्ट में देखकर किनले, एक्वाफिना और बेली जैसी कई कंपनियों ने भी शुद्ध पानी का दावा दिया और मार्केट में उतर गई। इन कंपनियों के उतरने पर बिसलेरी ने कई साइज की बोतले मार्केट में सप्लाई करना शुरू कर दिया साइज के साथ बोतलों की कीमत को भी सस्ते दामों में बेचना शुरू किया। इससे बिसलेरी और मजबूत बनती गई और ऐसे कंपनी यूरोप में भी अपने कारोबार को शुरू कर दिया।

आज बिसलेरी की पहचान

5 स्टोर से शुरू होने वाली इस कंपनी की पहचान भारत के साथ दुनिया में नंबर 1 मिनरल वाटर के रूप में है। आज भारत की बोतलबंद पेयजल में 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। आज यह कंपनी 135 प्लांटस के दम पर दो करोड़ लीटर से भी अधिक पानी बेचने वाली कंपनी की पहचान देश - दुनिया में छा गई है। आज बिसलेरी 5000 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स ट्रकों और 3500 डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए साढ़े तीन लाख रिटेल तक पहुंच रहा है। आज बिसलेरी मिनरल वाटर ज्यादातर घरों की पसंद बन गया है।




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