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Budget 2025: उपभोग बढ़ा कर इकॉनमी को मजबूती देने पर फोकस
Budget 2025: आयकर में भारी छूट की घोषणा सरकार द्वारा इस बात को स्वीकार करने के समान है कि निजी क्षेत्र के निवेश के लिए किसी भी अन्य चीज़ से ज़्यादा मज़बूत दरकार उपभोक्ता मांग बढ़ाने की है।
Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने धीमी होती अर्थव्यवस्था की पृष्ठभूमि में लगातार आठवां बजट पेश करके इतिहास रच दिया है। 2025-26 का केंद्रीय बजट मोदी 3.0 का पहला पूर्ण बजट भी है। निर्मला सीतारमण ने आयकर में छूट की जो घोषणा की है, वह सबसे बड़ी चर्चा का विषय है। आयकर में भारी छूट की घोषणा सरकार द्वारा इस बात को स्वीकार करने के समान है कि निजी क्षेत्र के निवेश के लिए किसी भी अन्य चीज़ से ज़्यादा मज़बूत दरकार उपभोक्ता मांग बढ़ाने की है। बाकी सब कुछ गौण है।
जनता के बीच आर्थिक निराशा के चलते सरकार ने उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने के तरीके के रूप में आयकर में कटौती करने का फ़ैसला किया है। यह इस बात की भी स्वीकृति है कि 2019 की गई कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से काम नहीं बना है। अब उम्मीद यह है कि इनकम टैक्स में कटौती के चलते उपभोक्ताओं के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा जिसे वो खर्च करेंगे, और इस तरह कॉर्पोरेट को नई चीजों में निवेश करने, रोज़गार सृजित करने और आर्थिक विकास को और बढ़ावा देने में प्रोत्साहन बनेंगे।
ग्रोथ की उम्मीद
बहरहाल, राजकोषीय आशंकाओं के बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 50.65 लाख करोड़ रुपये का ग्रोथ की उम्मीद वाला बजट पेश किया है। मोटे तौर पर, बजट 2026 का प्राथमिक लक्ष्य विकास को पुनर्जीवित करना, लोगों पर इनकम टैक्स का बोझ कम करना, खपत को बढ़ावा देना, निवेश को प्रोत्साहित करना, रोजगार सृजित करना है। कुछ अन्य उल्लेखनीय घोषणाओं में स्वास्थ्य सेवा के साथ 1 करोड़ गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा, बीमा में एफडीआई को 75फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करना और बिजली, खनन और वित्त को कवर करने वाले विशिष्ट सुधार शामिल हैं। भू-राजनीतिक तनाव, टैरिफ़ के खतरे और धीमी होती घरेलू अर्थव्यवस्था की पृष्ठभूमि में पेश किए गए सीतारमण के रिकॉर्ड आठवें बजट को सामान्य अंकगणित से परे जाने की ज़रूरत थी। पहली नज़र में बजट 2026 घाटे के मामले में अच्छा है, लेकिन सुधारों के मामले में यह काफ़ी कमज़ोर है।
राजनीतिक पहलू भी
2025-26 का बजट तीन राजनीतिक पहलुओं पर केंद्रित है - यह मिडिल क्लास को टारगेट बनाने की कोशिश करता है, क्योंकि बड़ी मिडिल क्लास आबादी वाली दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं। यह बजट इस धारणा को बदलने की भी कोशिश है कि सरकार सिर्फ गरीबों और वंचित लोगों के लिए काम कर रही है। यह बजट बिहार के संदर्भ में गठबंधन की राजनीति और चुनावों पर भी केंद्रित है, जहां इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। बजट देश भर में कम उत्पादकता वाले सौ जिलों के किसानों तक पहुंच बनाने की भी कोशिश करता है।
बजट का एक मुख्य आकर्षण लंबे समय से प्रतीक्षित व्यक्तिगत आयकर राहत थी, जिसमें वित्त मंत्री ने घोषणा की कि सालाना 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को नई कर व्यवस्था के तहत कर से छूट दी जाएगी। उम्मीद है कि ऊंची छूट सीमा और कर स्लैब में फेरबदल के जरिये मध्यम वर्ग को बहुत जरूरी राहत मिलेगी। वित्त मंत्री ने घोषणा की कि इस संबंध में संसद में एक नया आयकर विधेयक पेश किया जाएगा।
विकास को रफ्तार
वित्त मंत्री ने गरीबी, युवा, महिला, कृषि, विनिर्माण, एमएसएमई, रोजगार और समावेशी विकास को संबोधित करने के उद्देश्य से 10 प्रमुख विकास पहलों की रूपरेखा भी प्रस्तुत की। दीर्घकालिक विकास को रफ्तार देने के लिए, बजट में घोषणा की गई है कि सरकार छह प्रमुख क्षेत्रों में परिवर्तनकारी सुधारों की योजना बना रही है : कराधान, बिजली, शहरी विकास, खनन, वित्तीय सेवाएँ और नियामक ढाँचे।
राजकोषीय घाटा
निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025 के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 4.8 फीसदी और वित्त वर्ष 2026 के लिए 4.4 फीसदी राजकोषीय घाटा भी अनुमानित किया है, जिसमें आगामी वित्त वर्ष के लिए शुद्ध बाजार उधारी 11.54 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
बजट 2025-26 की मुख्य बातें
प्रत्यक्ष करः
नई व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई व्यक्तिगत आयकर नहीं लगेगा।
75,000 रुपये की मानक कटौती के कारण वेतनभोगी करदाताओं के लिए 12.75 लाख रुपये की कर मुक्त सीमा होगी।
प्रत्यक्ष कर राजस्व में 1 लाख करोड़ रुपये की कमी।
नया आयकर विधेयक अगले सप्ताह पेश किया जाएगा; यह सरल और स्पष्ट होगा।
अप्रत्यक्ष करः
सात टैरिफ दरें हटाई गईं। 82 टैरिफ लाइनों पर सामाजिक कल्याण अधिभार से छूट दी गई।
बीमा क्षेत्रः
बीमा क्षेत्र में एफडीआई 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी किया गया।
सरकारी प्राप्तियाँः
कुल प्राप्तियाँ (उधार को छोड़कर) 34.96 लाख करोड़ रुपये; कुल व्यय 50.65 लाख करोड़ रुपये। शुद्ध कर प्राप्तियाँ 28.37 लाख करोड़ रुपये।
राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.4 फीसदी ।
सकल बाजार उधार 14.82 लाख करोड़ रुपये।
पूंजीगत व्यय 11.21 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 3.1 फीसदी )।
कृषि क्षेत्रः
पीएम धन-धान्य कृषि योजना से 100 जिलों के 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा।
तुअर, उड़द और मसूर के लिए 6 वर्षीय ’दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन’।
नैफेड और एनसीसीएफ 4 वर्षों में किसानों से दालें खरीदेंगे।
मखाना बोर्ड बिहार में उत्पादन और मार्केटिंग में सुधार करेगा।
असम के नामरूप में 12.7 लाख मीट्रिक टन वार्षिक क्षमता वाला यूरिया संयंत्र लगेगा।
एमएसएमई क्षेत्रः
एमएसएमई के लिए निवेश और टर्नओवर सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और 2 गुना बढ़ाया जाएगा।
उद्यम पोर्टल पर सूक्ष्म उद्यमों के लिए 5 लाख रुपये की सीमा वाले कस्टमाइज्ड क्रेडिट कार्ड, पहले वर्ष में 10 लाख कार्ड दिए जाएंगे।
एमएसएमई के लिए 10,000 करोड़ रुपये का नया फंड ऑफ फंड बनेगा।
5 लाख महिलाओं, एससी और एसटी उद्यमियों को 5 वर्षों में 2 करोड़ रुपये तक का टर्म-लोन दिया जाएगा।
फोकस उत्पाद योजना से 22 लाख नौकरियां पैदा होंगी, 4 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा और 1.1 लाख करोड़ रुपये का निर्यात होगा।
भारत को खिलौनों का वैश्विक केंद्र बनाया जाएगा।
निवेशः
5 वर्षों में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब बनेगी।
6,500 और छात्रों को समायोजित करने के लिए 5 आईआईटी के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचा बनेगा।
शिक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में 500 करोड़ रुपये का उत्कृष्टता केंद्र स्थापित होगा।
राज्यों को प्रोत्साहित करते हुए पीपीपी मोड में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की 3 साल की योजना।
पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को ब्याज मुक्त ऋण के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का परिव्यय।
नई परियोजनाओं (2025-30) में 10 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति मुद्रीकरण योजना।
छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) पर शोध के लिए 20,000 करोड़ रुपये का परमाणु ऊर्जा मिशन।
120 नए गंतव्यों के लिए क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए संशोधित उड़ान योजना।
1 लाख आवासीय इकाइयों को पूरा करने के लिए फंड की व्यवस्था।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रलेखन और वित्तपोषण के लिए भारत ट्रेडनेट प्लेटफॉर्म।