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Carbon Market Business: क्या है कार्बन मार्केट और मार्केटिंग ?

Carbon Market Business Kya Hai: कार्बन मार्केट और मार्केटिंग क्या है और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इससे जुड़े कौन से कदम उठाये जा रहे हैं...

Shivani Jawanjal
Published on: 2 March 2025 1:39 PM IST
Carbon Market Business Kya Hai
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Carbon Markets Business Kya Hai (Image Credit-Social Media)

Carbon Market Business Kya Hai: कार्बन मार्केट एक प्रणाली है जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन ट्रेडिंग को सक्षम बनाती है, जबकि कार्बन मार्केटिंग कंपनियों को पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने और प्रचारित करने में मदद करती है। यह नवीकरणीय ऊर्जा, कार्बन क्रेडिट और हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देता है।

वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। ग्रीनहाउस गैसों (GHGs) के बढ़ते उत्सर्जन से धरती का तापमान बढ़ रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या गंभीर होती जा रही है। इस समस्या को कम करने के लिए विभिन्न देशों ने कार्बन क्रेडिट और कार्बन मार्केट की अवधारणा विकसित की है।

कार्बन बाजार(Carbon Market ) और कार्बन विपणन (Carbon Marketing ) एक ऐसी प्रणाली है जो वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह प्रणाली कार्बन क्रेडिट के माध्यम से काम करती है, जो व्यापार योग्य परमिट होते है जो एक टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य के उत्सर्जन की अनुमति देते है। इस लेख में, हम कार्बन बाजार, इसके प्रकार, और कार्बन विपणन की प्रक्रिया को विस्तार से समझाएंगे।

कार्बन बाजार (carbon Market) क्या है?

कार्बन बाजार विशेष रूप से कार्बन उत्सर्जन पर मूल्य निर्धारण करने और इसके व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए स्थापित किए गए है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ कंपनियां, सरकारें और उद्योग अपने ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को नियंत्रित करने और कम करने के लिए कार्बन क्रेडिट खरीदते या बेचते है।

कार्बन बाजार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है:

1)स्वैच्छिक बाजार (Voluntary Market)

स्वैच्छिक बाजार में कार्बन क्रेडिट का व्यापार मुख्य रूप से निजी क्षेत्र द्वारा किया जाता है, जहां कंपनियां, संगठन या व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन क्रेडिट खरीदते है। ये क्रेडिट आमतौर पर उन परियोजनाओं से उत्पन्न होते है जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने में सहायक होती है, जैसे कि वनीकरण (Afforestation), पुनर्वनीकरण (Reforestation), नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ, और ऊर्जा दक्षता समाधान।

स्वैच्छिक खरीदार इन क्रेडिट्स को अपने कार्बन फुटप्रिंट को ऑफसेट करने के लिए खरीदते है, ताकि वे अपने संचालन से उत्पन्न उत्सर्जन के प्रभाव को संतुलित कर सकें। यह बाजार मुख्य रूप से कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अपनाया जाता है। इसके अलावा, यह ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस तरह, स्वैच्छिक कार्बन बाजार कंपनियों और संगठनों को अपने सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDGs) को प्राप्त करने में मदद करता है और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में योगदान देता है।

2) अनुपालन बाजार (कैप-एंड-ट्रेड)

अनुपालन बाजार सरकारों द्वारा विनियमित (regulated) होते है, जहां कंपनियों के लिए कार्बन उत्सर्जन की एक निश्चित सीमा (Cap) तय की जाती है। इस सीमा के तहत कंपनियों को अपने उत्सर्जन को नियंत्रित करना आवश्यक होता है। यदि कोई कंपनी निर्धारित सीमा के भीतर उत्सर्जन करती है, तो वह अनुपालन (Compliance) में मानी जाती है। लेकिन यदि कोई कंपनी अपनी सीमा से अधिक कार्बन उत्सर्जित करती है, तो उसे अपने उत्सर्जन को संतुलित करने के लिए दो विकल्पों में से एक अपनाना पड़ता है। पहला विकल्प यह है कि कंपनी स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों को अपनाकर अपने उत्सर्जन को कम करे। दूसरा विकल्प यह है कि वह अन्य कंपनियों से अतिरिक्त कार्बन क्रेडिट खरीदे, जो अपनी निर्धारित सीमा से कम कार्बन उत्सर्जित कर चुकी है और उनके पास अतिरिक्त क्रेडिट मौजूद है।

इस प्रणाली को ‘कैप-एंड-ट्रेड (Cap-and-Trade)’ कहा जाता है, क्योंकि इसमें सरकार द्वारा उत्सर्जन की अधिकतम सीमा (Cap) तय की जाती है, और कंपनियों को कार्बन क्रेडिट्स का व्यापार (Trade) करने की अनुमति दी जाती है। इस बाजार का उद्देश्य कंपनियों को अधिक कार्बन उत्सर्जन से हतोत्साहित करना और उन्हें ग्रीन एनर्जी समाधानों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है, जिससे जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित किया जा सके।

कार्बन बाजार कैसे कार्य करता है?

• कंपनियां और उद्योग अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए परियोजनाएँ विकसित करते है, जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा, वनीकरण, और ऊर्जा दक्षता में सुधार।

• यदि कोई कंपनी अपने निर्धारित उत्सर्जन सीमा से कम कार्बन उत्सर्जन करती है, तो उसे कार्बन क्रेडिट के रूप में इनाम मिलता है।

• अतिरिक्त कार्बन क्रेडिट को अन्य कंपनियों या संगठनों को बेचा जा सकता है, जिन्हें उत्सर्जन की निर्धारित सीमा से अधिक कार्बन उत्सर्जित करने की आवश्यकता होती है।

• इस तरह, कार्बन मार्केट उत्सर्जन को कम करने और ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने में मदद करता है।

कार्बन बाजार के महत्व

कार्बन बाजार का मुख्य उद्देश्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना है। ये बाजार ऊर्जा उपयोग में कमी को बढ़ावा देते है, स्वच्छ ईंधन की ओर बदलाव को प्रोत्साहित करते है, और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करते है ।

कार्बन क्रेडिट(Carbon Credit) क्या है?

कार्बन क्रेडिट एक प्रकार का व्यापार योग्य परमिट है जो एक टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य के उत्सर्जन की अनुमति देता है। ये क्रेडिट उन परियोजनाओं से प्राप्त होते है जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को कम करती है या हटाती है ।

कार्बन विपणन (Carbon Marketing) क्या है?

कार्बन विपणन (Carbon Marketing) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कंपनियां अपने उत्पादों और सेवाओं को पर्यावरण-अनुकूल (eco-friendly) बनाने और उन्हें प्रचारित करने का प्रयास करती है। यह कार्बन ऑफसेटिंग, नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र, और ग्रीन ब्रांडिंग जैसी रणनीतियों का उपयोग करता है।

• कार्बन विपणन (Carbon Marketing) के प्रमुख तत्व निम्नलिखित है ।

• कार्बन ऑफसेटिंग (Carbon Offsetting): कंपनियां अपने उत्पादों और सेवाओं के कार्बन फुटप्रिंट को संतुलित करने के लिए कार्बन क्रेडिट खरीदती है।

• ग्रीन ब्रांडिंग (Green Branding): कंपनियां अपने ब्रांड को पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए विभिन्न टिकाऊ उपायों को अपनाती है और इसका प्रचार करती है।

• नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: कंपनियां अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए सौर, पवन और जल ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करती है।

• टिकाऊ उत्पादों का विकास: कंपनियां ऐसे उत्पाद विकसित करती है जो कम कार्बन उत्सर्जन करते है और पर्यावरण के अनुकूल होते है।

कार्बन विपणन की प्रक्रिया

कार्बन विपणन की प्रक्रिया में कई चरण शामिल है:

• कार्बन क्रेडिट का निर्माण: यह उन परियोजनाओं से होता है जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को कम करती है या हटाती है, जैसे कि वनीकरण या अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं।

• सत्यापन और प्रमाणीकरण: इन क्रेडिटों को एक मान्यता प्राप्त एजेंसी द्वारा सत्यापित और प्रमाणित किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे वास्तव में उत्सर्जन में कमी लाते है।

• व्यापार: ये क्रेडिट बाजार में खरीदे और बेचे जाते है। स्वैच्छिक बाजार में निजी खरीदार इन्हें अपने उत्सर्जन को ऑफसेट करने के लिए खरीदते है, जबकि अनुपालन बाजार में कंपनियां अपनी उत्सर्जन सीमा को पूरा करने के लिए इन्हें खरीदती है।

• लाभ: कार्बन विपणन से कंपनियों को अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है, जिससे वे स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रेरित होती है ।

कार्बन बाजार के उदाहरण

दुनिया भर में कई कार्बन बाजार है, जिनमें से कुछ प्रमुख उदाहरण है:

  • यूरोपीय संघ का उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (EU ETS): यह दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने अनुपालन बाजारों में से एक है ।
  • चीन की उत्सर्जन व्यापार प्रणाली: 2021 में लॉन्च हुई, यह दुनिया की सबसे बड़ी उत्सर्जन व्यापार प्रणाली है ।
  • संयुक्त राष्ट्र के सीडीएम और जेआई प्रोग्राम: ये कार्यक्रम क्योटो प्रोटोकॉल के तहत स्थापित किए गए थे और विकासशील देशों में स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देते है ।

कार्बन बाजार (Carbon Market) के लाभ

जलवायु परिवर्तन में कमी: कार्बन मार्केट ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या को कम किया जा सकता है।

नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा: यह बाजार नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देता है, जिससे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम होती है।

आर्थिक अवसरों का सृजन: कार्बन ट्रेडिंग के माध्यम से नई नौकरियों और निवेश के अवसर उत्पन्न होते है।

कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) में सुधार: कंपनियां कार्बन मार्केटिंग के माध्यम से अपने ब्रांड की साख बढ़ा सकती है और समाज में सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

कार्बन बाजार (Carbon Market) से जुड़ी चुनौतियाँ

कार्बन बाजार कई जटिलताओं और चुनौतियों का सामना करता है, जो इसकी प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकती है। सबसे बड़ी चुनौती विनियमन (Regulation) की जटिलता है, क्योंकि विभिन्न देशों के पास कार्बन ट्रेडिंग के लिए अलग-अलग नियम और नीतियाँ होती है, जिससे यह बाजार समग्र रूप से जटिल बन जाता है। इसके अलावा, कार्बन क्रेडिट की वैधता भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि कुछ मामलों में इसकी प्रमाणिकता पर संदेह किया जाता है, जिससे बाजार की पारदर्शिता प्रभावित होती है और निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है।

एक अन्य चुनौती लागत है, क्योंकि कार्बन क्रेडिट खरीदना और टिकाऊ उपायों को अपनाना कुछ कंपनियों के लिए महंगा हो सकता है, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिए। इसके अलावा, सामाजिक और आर्थिक असमानता भी इस बाजार में देखी जाती है, जहाँ विकसित देशों और बड़ी कंपनियों के पास अधिक संसाधन होते है, जिससे वे अधिक कार्बन क्रेडिट खरीद सकते है। इसके विपरीत, छोटे व्यवसायों और विकासशील देशों के लिए यह प्रणाली महंगी और कठिन साबित हो सकती है। इन चुनौतियों के कारण, कार्बन बाजार की प्रभावशीलता और न्यायसंगत लाभ सुनिश्चित करने के लिए उचित नीति निर्माण और पारदर्शी तंत्र की आवश्यकता है।

भारत में कार्बन बाजार (Carbon Market) की स्थिति

भारत में कार्बन मार्केट तेजी से विकसित हो रहा है। सरकार ने 2022 में 'कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम'(Carbon Credit Trading Scheme) की घोषणा की, जो कंपनियों को अपने उत्सर्जन को नियंत्रित करने और कार्बन क्रेडिट का व्यापार करने की अनुमति देती है। भारत में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं और वनीकरण कार्यक्रमों को भी कार्बन क्रेडिट अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।



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