TRENDING TAGS :
Disinvestment Target: केंद्र सरकार ने अगले साल 35,000 करोड़ रुपए विनिवेश का रखा लक्ष्य
Disinvestment Target: वित्त मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि हमारा फोकस केवल विनिवेश से प्राप्तियों के बारे में नहीं, बल्कि कंपनी के मूल्यांकन पर भी है। सरकार ने इस साल विनिवेश से 65 हजार करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा है। हालांकि मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह लक्ष्य अभी काफी दूर है।
Disinvestment Target: केंद्र सरकार घरेलू बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए अगले वित्त वर्ष के लिए विनिवेश लक्ष्य पर ध्यान दे रही है। वित मंत्रालय के सूत्रों से प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 30,000 - 35,000 करोड़ रुपये का विनिवेश राजस्व का लक्ष्य रखने का अनुमान है, जबकि चालू वर्ष में यह 65,000 करोड़ रुपये है। एक अधिकारी ने कहा कि, विनिवेश को बाजार आधारित गतिविधि होना चाहिए। मौजूदा हालत बैंडविड्थ कम हो रहा है। इसलिए लक्ष्य का संयम होना चाहिए।
एक अधिकारी का कहना है कि बाजार की स्थितियों के कारण बीपीसीएल की प्रस्तावित बिक्री पूरी नहीं हो पाई है। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से प्राप्तियां उम्मीद से कम रही हैं, इसलिए सरकार की ओर से निर्धारित चालू वर्ष के लिए 65,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य पूरा होने की कम उम्मीद है। उन्होंने कहा कि जून 2023 तक आईडीबीआई बैंक की बिक्री हो सकती है। हम आशा करते हैं कि हिंदुस्तान जिंक के विनिवेश से प्राप्त होने वाली पहली किश्त को वर्तमान के विनिवेश लक्ष्य में जोड़ सकें।
मूल्यांकन पर विशेष ध्यान
केंद्र सरकार कॉनकॉर को बेचने के साथ भारतीय नौवहन निगम के विनिवेश की रूचि की प्रक्रिया जारी है। अगर पवन हंस की बिक्री हो जाती तो इससे सरकार को 200 करोड़ रुपये प्राप्त हो जाता, जो सरकार के निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में मदद करता। वहीं, बीपीसीएल विनिवेश की प्रकिया से बाहर है, जोकि मददगार साबित हो सकता था। एक अधिकारी ने कहा कि हमारा फोकस केवल विनिवेश से प्राप्तियों के बारे में नहीं, बल्कि कंपनी के मूल्यांकन पर भी है, शेयरधारक सरकार को हल्के में ना ले सकें।
अब तक हासिल हुआ इतना विविनेश
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने मौजूदा समय तक विनिवेश के माध्यम से 24,544 करोड़ रुपये हासिल किये है, जोकि इस साल के बजट में रखे गए 65,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य का महज 38 फीसदी है। हालांकि साल हासिल हुई 24,544 में से 20,500 करोड़ सरकार को एलआईसी से मिले हैं। केंद्र सरकार ने इस साल एसएलआई की 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी।