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Stake Sale: मोदी सरकार अब इन बड़ी कंपनियों में बेचेगी हिस्सेदारी, खजाने में आएंगे 16500 Cr. रुपए!
Modi Govt. Sale Stake:हालिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार मौजूदा स्तर पर 3 बड़ी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने जा रही है।इससे करीब 16500 करोड़ रुपए तक हासिल हो सकते हैं।
Modi Govt. Sale Stake: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार सरकार वित्तीय वर्ष (Financial Year) की अंतिम तिमाही में आय बढ़ाने के मकसद से कई सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है। मीडिया में छपी ख़बरों की मानें तो जल्द ही सरकार इस दिशा में कोई कदम उठा सकती है। ब्लूमबर्ग (Bloomberg) की रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत सरकार कोल इंडिया (Coal India), हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) और राष्ट्रीय केमिकल्स (Rashtriya Chemicals) में 5 से 10 प्रतिशत तक हिस्सेदारी बेच सकती है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में राजस्व वृद्धि के उद्देश्य से ये हिस्सा बिक्री की जाएगी। कहा जा रहा है कि, मौजूदा स्तरों पर इन कंपनियों में 5 फीसदी हिस्सा बिक्री से भी सरकार को करीब 2 अरब डॉलर या 16,500 करोड़ रुपए तक हासिल हो सकते हैं। लेकिन, इस बारे में सरकार या इन कंपनियों की तरफ से कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है।
'4 ऑफर फॉर सेल' योजना
ब्लूमबर्ग की ख़बर की मानें तो भारत सरकार द्वारा हिस्सा बिक्री योजना में '4 ऑफर फॉर सेल' (4 Offer for Sale) शामिल हैं। इनमें कोल इंडिया, एनटीपीसी (NTPC), हिंदुस्तान जिंक और राइट्स शामिल हैं। जबकि, अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार राष्ट्रीय केमिकल फर्टिलाइजर (Rashtriya Chemical Fertilizer) और नेशनल फर्टिलाइजर (National Fertilizer) में 10 से 20 फीसदी तक हिस्सा बिक्री कर सकती है।
Axis Bank की हिस्सेदारी बेच जुटाए 3,839 Cr.
वहीं, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI Bank) के निजीकरण के लिए बोलियां मार्च तक आमंत्रित हो सकती है। बिक्री प्रक्रिया का समापन अगले वित्त वर्ष में हो सकता है। सरकार ने IDBI Bank में कुल 60.72 फीसद हिस्सेदारी बेचकर बैंक का निजीकरण करने के लिए बीते हफ्ते संभावित निवेशकों से बोलियां आमंत्रित की थीं। वहीं, हाल ही में सरकार ने एक्सिस बैंक (Axis Bank) में 1.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 3,839 करोड़ रुपए जुटाए। भारत सरकार ने ये हिस्सेदारी यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (Unit Trust of India) के विशेषीकृत उपक्रम (SUUTI) के जरिये रखी थी।
निजीकरण में लग रहा समय, इसलिए लिया फैसला
दरअसल, निजीकरण (Privatization) में लगने वाले समय को देखते हुए भारत सरकार हिस्सा बिक्री से रकम जुटाने की रणनीति में बदलाव कर सकती है। हाल ही में एक अधिकारी ने कहा था, 'केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) में अल्पांश हिस्सेदारी (Minority Stake) की बिक्री की गुंजाइश कम हो गई है। निजीकरण पूरा होने में समय लगता है। इसलिए भारत को अपने बजट में निर्धारित विनिवेश के लक्ष्य को कम करना होगा।' अधिकारी के अनुसार, अब ध्यान रणनीतिक बिक्री की ओर ट्रांसफर हो गया है। साथ ही, विनिवेश लक्ष्य को भी कम करना होगा। क्योंकि, निजीकरण एक समय लेने वाली प्रक्रिया है।'