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Chanda Kochhar Case: चंदा कोचर मामले में 15 सितंबर तक नहीं होगी कार्रवाई, जानिए SAT ने क्या कहा
Chanda Kochhar Case: सैट ने सेबी के न्यायाधिकारी को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर से संबंधित मामले में 15 सितंबर कार्रवाई नहीं करने को कहा है।
Chanda Kochhar Case: प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) ने मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के न्यायाधिकारी को आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर (Chanda Kochhar) से संबंधित मामले में 15 सितंबर कार्रवाई नहीं करने को कहा है। दरअसल, यह मामला रिटायर्ड जस्टिस बी एन श्रीकृष्ण की एक रिपोर्ट के विश्लेषण के आधार पर रेगुलेटर द्वारा कोचर को जारी कारण बताओ नोटिस से संबंधित है।
श्रीकृष्ण कमेटी जिसे आईसीआईसीआई बैंक में लेनदेन के आरोपों की जांच का काम सौंपा गया था। कमेटी ने जनवरी 2019 में लेंडर को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोचर ने बैंक की पॉलिसी और अन्य नियमों का उल्लंघन किया है।
कोचर ने 2018 में दिया था इस्तीफा
गौरतलब हो कि चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक और सीईओ थीं। उन्होंने अक्टूबर 2018 में इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद सैट ने 9 जुलाई के अपने आदेश में न्यायाधिकारी को अगली सुनवाई तक मामले में किसी कार्रवाई से रोक दिया। सैट ने कहा कि मामले की अंतिम सुनवाई 15 सितंबर को होगी। इस मामले में 12 फरवरी 2021 को चंदा कोचर को स्पेशल पीएमएलए कोर्ट (PMLA Court) से जमानत मिल गई है। कोर्ट ने कोचर को 5 लाख रुपये के बांड पर जमानत दी थी। साथ ही कोर्ट ने चंदा को बिना मंजूरी के देश नहीं छोड़ने के लिए कहा था।
चंदा पर कैसे लगा इतना बड़ा आरोप
चंदा कोचर पर मार्च 2018 में अपने पति दीपक कोचर को आर्थिक फायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकोन समूह को 3,250 करोड़ रुपए का लोन दिया था। वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन में से 86 फीसदी (करीब 2810 करोड़ रुपये) नहीं चुकाए। साल 2017 में इस लोन को एनपीए (Non-performing Asset) में डाल दिया गया।
आईसीआईसीआई बैंक ने शुरुआत में कोचर पर लगाए गए आरोपों को गलत ठहराने की कोशिश की, लेकिन बाद में लगातार दबाव के चलते इस मामले की जांच के आदेश देने पड़े। आईसीआईसीआई बैंक ने स्वतंत्र जांच कराने का फैसला किया। बैंक ने 30 मई 2018 को घोषणा की थी कि बोर्ड आरोपों की विस्तृत जांच करेगा। फिर इस मामले की स्वतंत्र जांच की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा को दी गई। जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट की जांच पूरी हुई और चंदा कोचर को दोषी पाया। जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चंदा कोचर, दीपक कोचर और उनके स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों से संबंधित 78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली।