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China Economic Package: इकॉनमी सुधारने के लिए चीन का 1.4 ट्रिलियन डॉलर पैकेज, भारत पर पड़ेगा असर

China Economic Package: पैकेज का अधिकांश हिस्सा, या लगभग 60 प्रतिशत, प्रांतीय या स्थानीय सरकारों को बढ़ते कर्ज को रीफाइनेंस करने पर केंद्रित है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 9 Nov 2024 1:37 PM IST
China Economic Package
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China Economic Package   (photo: social media )

China Economic Package: चीनी सरकार ने 10 ट्रिलियन युआन या 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के पैकेज को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य धीमी पड़ती घरेलू अर्थव्यवस्था को बूस्ट करना और स्थानीय सरकारों को राहत देना है। यह पैकेज डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के दो दिन बाद आया है। ट्रम्प ने चीन से आयातित वस्तुओं पर 60 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का ऐलान कर रखा है।

डर ये है कि चीन तो अपनी इकोनॉमी सुधारने में लग गया है लेकिन इसका खराब असर भारत पर पड़ सकता है।

क्या है चीनी पैकेज

पैकेज का अधिकांश हिस्सा, या लगभग 60 प्रतिशत, प्रांतीय या स्थानीय सरकारों को बढ़ते कर्ज को रीफाइनेंस करने पर केंद्रित है। चीनी सांसदों ने मौजूदा "छिपे हुए ऋणों" को बदलने के लिए स्थानीय सरकारी ऋण की सीमा को 6 ट्रिलियन युआन (लगभग 840 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। 1.4 ट्रिलियन डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज एक महीने से भी कम समय में दूसरा ऐसा उपाय है, जिसका उद्देश्य स्थानीय सरकारी ऋण को पुनर्वित्त करने के अलावा बैंकों में नकदी डालना है।

अमेरिका में ट्रंप की जीत और उनकी टैरिफ योजनाओं के खतरों को देखते हुए, विश्लेषकों को डर है कि अगले साल चीन की ग्रोथ में 2 प्रतिशत से अधिक की कमी आएगी। चीन को उम्मीद है कि ये उपाय उसे लगभग 5 प्रतिशत की जीडीपी ग्रोथ लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेंगे। लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि ट्रम्प की जीत के बाद अगले कई वर्षों में चीन के प्रोत्साहन पैकेज से भारत सहित अन्य बाजार विदेशी निवेशकों के लिए कम आकर्षक हो सकते हैं और इसका भारतीय शेयर और मुद्रा बाजारों पर असर पड़ सकता है।

पहले से ही भारत के स्टॉक मार्केट पर असर देखा जा रहा है क्योंकि विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत से पैसा निकाल रहे हैं और चीन में डाल रहे हैं। एफआईआई लगातार भारत में बिकवाली कर रहे हैं और सिर्फ अक्टूबर में ही 94 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के शेयर बेचे हैं। लेकिन भारत के देशी संस्थागत निवेशकों ने 1.07 ट्रिलियन रुपये के शेयर खरीद कर बाजार को संभाला हुआ है। अब आशंका इस बात की है कि विदेशी निवेशकों ने चीन की तरफ का रुख कर दिया तो क्या होगा।

विशेषकों का कहना है कि चीन का यह पैकेज विदेशी निवेशकों के बीच उन आशंकाओं को दूर करेगा जो चीनी सरकार की बड़े पैमाने पर सुधार करने की क्षमता के बारे में संदेह कर रहे थे। पिछली बार जब उन्होंने बड़े सुधार किए थे, तो वह 2008 में था, जिसने चीन को बड़े विदेशी निवेशकों की भागीदारी के साथ ग्रोथ के एक नए ग्रुप में प्रवेश कराया था।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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