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कोरोना की नई लहर अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा, निर्माण क्षेत्र- रोजगार को झटका

मार्च में भारत का विनिर्माण खरीद सूचकांक (पीएमआई) बीते सात महीनों में सबसे निचले स्तर का रहा है।

Raj Kumar Singh
Written By Raj Kumar SinghPublished By Shivani
Published on: 6 April 2021 1:54 PM IST (Updated on: 6 April 2021 1:57 PM IST)
कोरोना की नई लहर अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा, निर्माण क्षेत्र- रोजगार को झटका
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फोटो- सोशल मीडिया 

लखनऊ-कोरोना की वर्तमान लहर एक बार फिर अर्थव्यवस्था के लिए संकट बन रही है। मार्च महीने में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट आई है। मार्च में भारत का विनिर्माण खरीद सूचकांक (पीएमआई) बीते सात महीनों में सबसे निचले स्तर का रहा है। आईएचएस मार्किट इंडिया के मासिक सर्वे में मार्च महीने में निर्माण क्षेत्र का पीएमआई (मैन्युफैक्चरिंग, परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स) 55.4 रहा है, जो बीते सात माह में सबसे कम है। फरवरी में ये 57.5 और जनवरी में 57.7 था। इस तरह इस साल की शुरुआत से ही ये नीचे जा रहा है। यदि ये इंडेक्स 50 से नीचे जाता है तब फिर आर्थिक क्षेत्र में बड़ी चिंता की बात होगी।

कोरोना से रोजगार पर भी खतरा-

कोरोना की वर्तमान लहर ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस संकट में माल उत्पादकों के सामने पहली चुनौती माल के आर्डर प्राप्त होने को लेकर है। दूसरी चुनौती इस आर्डर को तय समय में तैयार करना भी है। यदि देश के कुछ हिस्सों में दोबारा लाक डाउन जैसी स्थिति बनती है और श्रमिकों का पलायन शुरु होता है, तब निर्माण क्षेत्र के लिए काफी गंभीर चुनौती होगी. इसका सीधा असर रोजगार पर भी देखने को मिलेगा। सर्वे के अनुसार मार्च में रोजगार की दर भी कम हुई है।

बाजार पर भी असर दिखेगा-
कोरोना संक्रमण तेज होने का असर बाजार भी दिखेगा। लोग खरीदारी के लिए कम निकलेंगे. दुकानों पर माल भरा रहेगा, जैसा कि पिछले साल मार्च के बाद हुआ था। बीते साल अक्टूबर से बाजार में कुछ रौनक लौटी थी। इसका कारण कोरोना का कुछ कम होना और त्योहारी सीजन था।

टीकाकरण ही सहारा है-

केंद्र सरकार ने जिस तरह से टीकाकरण को तेजी से आगे बढ़ाया है उससे अभी आर्थिक क्षेत्र को उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण के बाद कोरोना की मारक क्षमता कमजोर होगी। इससे आर्थिक गतिविधियां जारी रखने में मदद मिलेगी। देश की जीडीपी भी बीते वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सुधरी थी। इसमें 0.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। इसके पहले की दो तिमाहियों में जीडीपी में भारी गिरावट आई थी।


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