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करदाताओं के बढ़ने के बावजूद क्यों घटा GST, क्या होगा कोरोना की तीसरी लहर में

GST Collection: देश में GST करदाताओं की संख्या बढ़ने के बाद भी जून 2021 का जीएसटी संग्रह पिछले महीने के मुकाबले घट कर एक लाख करोड़ रुपये से भी नीचे आ गया है।

Akhilesh Tiwari
Written By Akhilesh TiwariPublished By Shreya
Published on: 7 July 2021 11:11 PM IST
करदाताओं के बढ़ने के बावजूद क्यों घटा GST, क्या होगा कोरोना की तीसरी लहर में
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जीएसटी (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

GST Collection: कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) का असर देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर बेहद प्रतिकूल दिखाई दे रहा है। देश में जीएसटी करदाताओं (GST Taxpayers) की संख्या बढ़ी है इसके बावजूद जून 2021 में केंद्र सरकार (Central Govt) का जीएसटी संग्रह (GST Collection) पिछले महीने के मुकाबले घट कर एक लाख करोड़ रुपये से भी नीचे आ गया है। इसकी वजह कोरोना और राज्यों के लॉकडाउन (Lockdown) को माना जा रहा है। ऐसे में अगर तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave) आई तो क्या अर्थ व्यवस्था इस झटके को झेल पाएगी।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी संग्रह का ग्राफ (GST Collection Graph) नीचे गिरा दिया है। केंद्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जून महीने में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से घटकर 92849 करोड़ रुपये हो गया जबकि पिछले महीने एक लाख दो हजार करोड़ और अप्रैल महीने में यह 1.41 लाख करोड़ रुपये जीएसटी से मिले थे।

इसका सीधा सा अर्थ है कि आर्थिक गतिविधियां (Economic Activities) कमजोर हुई हैं। यह अलग बात है कि जून महीने का जीएसटी संग्रह (GST Collection) दरअसल मई माह में हुए कारोबार को इंगित करता है। मई महीने में देश के अधिकांश राज्यों में लॉकडाउन लगा रहा। मार्च महीने में आर्थिक गतिविधियां अच्छी रहीं जिसकी वजह से जीएसटी संग्रह मई महीने में अधिक हुआ है।

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

करदाताओं की तादाद बढ़ने के बावजूद घटता जीएसटी चिंताजनक

जीएसटी व्यवस्था यानी वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली लागू होने के चार साल बीतने पर केंद्र सरकार ने बताया है कि देश में जीएसटी करदाताओं की तादाद बढ़ी है। देश में कुल 66 करोड़ से भी ज्यादा जीएसटी रिटर्न (GST Return) दाखिल हुए हैं। जीएसटी में केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क (Excise Duty), सेवा कर (Service Tax), वैट (VAT) और 13 उपकर (Cess) समेत 17 स्थानीय करों (Local Taxes) को शामिल कर रखा है।

सरकार का यह दावा भी है कि टैक्स की दरें कम होने की वजह से देश में करदाता बढ़े हैं लेकिन सवाल यह है कि जब करदाता बढ़ रहे हैं तो जीएसटी कम क्यों हो रहा है। सरकार ने जीएसटी संग्रह बढ़ाने के लिए कोरोना के दौरान छूट का एलान भी कर रखा है। कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर सरकार ने 40 लाख रुपये तक सालाना कारोबार करने वालों को कर से छूट दे रखी है। डेढ़ करोड़ रुपये टर्नओवर वाले लोग कंपोजिशन स्कीम का भी लाभ ले सकते हैं।

इसके तहत केवल एक प्रतिशत कर का भुगतान करने का विकल्प है। सेवा क्षेत्र के कारोबारियों को साल में 20 लाख रुपये का कारोबार करने पर जीएसटी नहीं चुकानी होगी। 50 लाख रुपये का कारोबार करने पर कंपोजिशन स्कीम के तहत छह प्रतिशत जीएसटी भुगतान का विकल्प मौजूद है।

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

जुलाई में कैसा होगा जीएसटी संग्रह

जून महीने में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से नीचे आने के बावजूद माना जा रहा है कि जुलाई महीने में कर संग्रह बढ़ेगा। सरकार से मिल रहे आंकड़ों के अनुसार जून महीने में ई -वे बिल मई के मुकाबले अधिक जारी हुए हैं। मई में जहां ई-वे बिल हर रोज 12 लाख जारी हुए हैं वहीं जून के पहले सप्ताह में ही इनकी संख्या 20 लाख रोजाना पहुंच गई थी। जून महीने में कुल ई- वे बिल साढ़े पांच करोड़ पर पहुंच गई है जो अप्रैल महीने से 38 लाख कम है।

इसका सीधा सा अर्थ है कि कारोबारी गतिविधियां तेज हो रही हैं इसका फायदा सरकार को बढ़े जीएसटी संग्रह के तौर पर मिलने वाला है। इसके बाजवूद बाजार विशेषज्ञ चिंतित हैं कि अगर सरकार ने कड़े कदम उठाकर कोरोना की तीसरी लहर को आने से नहीं रोका तो अर्थ का पहिया एक बार फिर पटरी से उतर जाएगा। तब शायद इतनी आसानी से अर्थ व्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाना मुमकिन नहीं होगा।

ध्यान देने लायक बात यह भी है कि जून महीने में ई-वे बिल के जो बढ़े मामले दर्ज हुए हैं वह तब है जबकि सरकार ने पांच करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वाली इकाइयों को रिटर्न दाखिल करने के लिए जून महीने की मियाद बढ़ा दी है। 15 दिन की अतिरिक्त छूट दिए जाने की वजह से ही ई-वे बिल की संख्या भी बढ़ गई है।

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