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Decline onion price: प्याज के दाम क्रैश, 5 रुपये किलो भाव पहुंचने से बढ़ीं किसानों की मुश्किलें

Decline onion price: भारत के 25 से 26 मिलियन टन के वार्षिक प्याज उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा महाराष्ट्र का है, जिसमें से 1.5 से 1.6 मिलियन टन निर्यात किया जाता है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 28 Feb 2023 12:51 PM IST
Decline onion price
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Decline onion price (सोशल मीडिया) 

Decline onion price: प्याज के दामों में जबर्दस्त कमी आ जाने से किसान बेहाल हैं। आलम ये है कि किसानों ने महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित प्याज के सबसे बड़े थोक बाजार लासलगांव में व्यापार को बन्द करा दिया। यही नहीं, महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ ने अन्य बाजारों में भी नीलामी बंद करने की धमकी दी है।

क्यों गिरे प्याज के दाम?

मौजूदा कीमत में गिरावट का मुख्य कारण फरवरी के दूसरे सप्ताह से तापमान में अचानक वृद्धि है। उच्च नमी वाले प्याज में हीट शॉक से गुणवत्ता खराब होने का खतरा होता है, अचानक सूखने के कारण बल्ब सिकुड़ जाते हैं। आम तौर पर, किसान अब केवल खरीफ की फसल ही बेच रहे होते लेकिन इस बार भीषण गर्मी ने उन्हें पछेती खरीफ प्याज भी उतारने पर मजबूर कर दिया है, जिसे अब स्टोर नहीं किया जा सकता है। चूंकि खरीफ और लेट-खरीफ दोनों प्याज एक ही समय पर आ रहे हैं, इसलिए कीमतों में गिरावट आई है।

9 फरवरी तक लासलगांव में प्याज 1,000 से 1,100 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, किसानों का दावा है कि यह कीमत ब्रेक-ईवन से ऊपर है। कीमतें 10 फरवरी को 1,000 रुपये से नीचे और 14 फरवरी तक 800 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गईं। 27 फरवरी को जबरन बंद होने से पहले अंतिम औसत कारोबार मूल्य 500 से 550 रुपये के स्तर पर गिरना जारी है। किसानों का कहना है कि पारे में हर डिग्री की बढ़ोतरी के कारण कीमतों में गिरावट आ रही है।

सबसे बड़ा उत्पादक राज्य

भारत के 25 से 26 मिलियन टन के वार्षिक प्याज उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा महाराष्ट्र का है, जिसमें से 1.5 से 1.6 मिलियन टन निर्यात किया जाता है। महाराष्ट्र के अलावा, मध्य प्रदेश (16-17 प्रतिशत हिस्सा) कर्नाटक (9-10 प्रतिशत), गुजरात (6-7 प्रतिशत), राजस्थान और बिहार (5-6 प्रतिशत प्रत्येक) प्रमुख उत्पादक हैं।

इस बार अच्छी मानसूनी बारिश से पानी की उपलब्धता में सुधार ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात में किसानों को एक बड़े क्षेत्र में प्याज लगाने के लिए प्रेरित किया है। इन सभी राज्यों से बल्बों की आमद, साथ ही देर से खरीफ की फसल को जबरन उतारने से कीमतों में गिरावट आई है।

जानें फसल चक्र

किसान थोक में तीन फ़सलें उगाते हैं: खरीफ़, जो जून-जुलाई में बोई जाती है और सितंबर - अक्टूबर में काटी जाती है। पछेती-खरीफ़ - सितंबर - अक्टूबर में लगाई जाती है और जनवरी - फ़रवरी में काटी जाती है। और रबी जो दिसंबर-जनवरी में रोपी जाती है और मार्च अप्रैल में काटी जाती है। कटी हुई फसल को एक बार में बेचा नहीं जाता है; किसान आम तौर पर किश्तों में बेचते हैं, और यह सुनिश्चित करते हुए कि एकदम से आवक होने से कीमत नहीं गिरने पाए।

खरीफ प्याज फरवरी तक और देर से खरीफ मई-जून तक बेचा जाता है। खरीफ और उसके बाद की प्याज में नमी ज्यादा होती है, जिस वजह से ये प्याज अधिकतम चार महीने तक स्टोर किया जा सकता है। यह रबी प्याज के विपरीत है, जो सर्दी-वसंत के महीनों के दौरान उगाया जाता है, इसमें नमी की मात्रा कम होती है और इसे कम से कम छह महीने तक स्टोर किया जा सकता है। रबी की फसल ही गर्मी और मानसून के महीनों में अक्टूबर तक बाजार को खिलाती है।



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Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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