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Restaurant Service Charge: सरकार ने हटाया, हाई कोर्ट ने लगाया, जानें कैसे ग्राहकों की जेब पर पड़ता है भारी!

दिल्ली हाईकोर्ट ने रेस्तरां में खाना खाने के शौकीनों को जोरदार झटका दिया है। सरकार ने रेस्तरां द्वारा जिस सर्विस चार्ज की वसूली पर रोक लगा दी थी, कोर्ट ने उसे बहाल कर दिया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 20 July 2022 6:28 PM IST
delhi high court stays guidelines preventing restaurants from charging service business news
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Restaurant Service Charge 

Restaurant Service Charge : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने रेस्तरां (Restaurant) में खाना खाने के शौकीनों को जोर का झटका दिया है। सरकार ने रेस्तरां द्वारा जिस सर्विस चार्ज (Service Charge) की वसूली पर रोक लगा दी थी, अदालत ने उसे बहाल कर दिया है। कोर्ट ने इस दौरान दो टूक कहा कि, 'यदि आप को सर्विस चार्ज नहीं देना तो आप रेस्तरां में प्रवेश न करें।' दरअसल, बीते 4 जुलाई को केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकारण (Central Consumer Protection Authority) ने नई गाइडलाइन जारी (New Guideline For Restaurant) कर रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज वसूले जाने पर रोक लगा दी थी।

इसके खिलाफ नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (National Restaurant Association of India) या NRAI और फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Federation of Hotels and Restaurant Association of India) ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से फैसला उनके पक्ष में आया। आज अदालत ने उस रोक को हटा दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि टेकअवे (रेस्त्रां से खाना पैक करा कर ले जाने) पर कोई सर्विस चार्ज नहीं लगाया जाएगा।

'सर्विस चार्ज नहीं देना तो रेस्तरां में प्रवेश न करें'

जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) ने कहा कि, जो लोग सर्विस चार्ज नहीं देना चाहते हैं, वे रेस्त्रां ही न जाएं, क्योंकि ये पूरी तरह से पसंद का मामला है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि देश में ऐसा कोई कानून ही नहीं है जो रेस्त्रां को सर्विस चार्ज लेने से रोकता है। तो इस पर अदालत ने कहा कि न तो कोई नया कानून बनाया गया है और न ही मौजूदा कानूनों में कोई संसोधन किया गया है, जो सर्विस चार्ज को अवैध ठहराता है। ऐसे में सीसीपीए के गाइडलाइन को सरकार के आदेश के रूप में नहीं माना जा सकता है। लिहाजा अदालत इन दिशानिर्देशों पर रोक लगाती है।

80 वर्षों से सर्विस चार्ज 'स्थायी प्रथा'

वहीं, कोर्ट में नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया का कहना था कि सर्विस चार्ज लगाना 80 से अधिक वर्षों से आतिथ्य उद्योग में एक स्थायी प्रथा है। ऐसे में इस पर रोक लगाने से काफी नुकसान होगा।

क्या होता है सर्विस चार्ज?

जब आप किसी उत्पाद या प्रोडक्ट या सर्विस खरीदते हैं तो उसके लिए आपको कुछ भुगतान करना होता है, इसे ही सर्विस चार्ज कहते हैं। होटल या रेस्टोरेंट (Hotel or Restaurant) में ग्राहकों से खाना परोसने और दूसरी सेवाओं के लिए सर्विस चार्ज वसूला जाता है। हालांकि, ये चार्ज भुगतान के समय ही देने होते हैं न कि सर्विस लेने के दौरान।

सर्विस चार्ज आपके होटल या रेस्टोरेंट के बिल के सबसे नीचे लिखा होता है। ये आमतौर आपके बिल का कुछ प्रतिशत हो सकता है। अधिकतर मौकों पर ये 5 प्रतिशत ही रहता है। यानी आपका बिल अगर 2000 रुपए का बनता है तो इसमें 5 प्रतिशत सर्विस चार्ज लगने के बाद ये 2100 रुपए हो जाएगा। सर्विस चार्ज वसूले जाने को लेकर कोई सरकारी गाइडलाइन नहीं है, इसलिए देखा गया है कि रेस्तरां मालिक मनमाने तरीके से ये चार्ज लगाते हैं।



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aman

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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