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Dhirubhai Ambani Death Anniversary: धीरूभाई अंबानी की सैलरी थी 300 रुपये, ऐसे खड़ी कर दी करोड़ों की संपत्ति
Dhirubhai Ambani Death Anniversary : आज धीरूभाई अंबानी की पुण्यतिथि है। उनका जन्म गुजरात के एक छोटे से कस्बे में हुआ था। ऐसे विजनरी सोच और सफल उद्योगपति की कहानी करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है।
Dhirubhai Ambani Death Anniversary : रिलाइंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) किसी पहचान की मोहताज नहीं है। इस कंपनी के बदौलत मुकेश और अनिल अंबानी की गिनती दुनिया के अमीर उद्योगपतियों में होती हैं, लेकिन इसका श्रेय उनके पिता धीरूभाई अंबानी को जाता है। आज धीरूभाई अंबानी की पुण्यतिथि है। उनका जन्म गुजरात के एक छोटे से कस्बे में हुआ था। ऐसे विजनरी सोच और सफल उद्योगपति की कहानी करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है।
धीरूभाई अंबानी की विजनरी सोच का ही नतीजा है कि रिलायंस इंडस्ट्री भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की प्रमुख कंपनियों में शुमार है। आइए जानते है उनके जीवन के कुछ पहलु..
धीरूभाई अम्बानी की कहानी
धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाड़ गांव में हुआ था। चार भाइयों के लालन पोषण का जिम्मा उनके पिता पर था। आर्थिक परेशानियों के चलते भाइयों को पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। धीरूभाई अंबानी खुद 10वी तक पढ़े थे, लेकिन हौसलों की बुनियाद पर वह देश के जाने माने उद्योगपति बन गए।
मुकेश अम्बनी के पिता ने सबसे पहले गिरनार पहाड़ी पर आने वाले तीर्थयात्रियों को भजिया भेजकर कारोबार की शुरुआत की थी। धीरु भाई अंबानी की शिक्षा की बात करें तो (Dhirubhai Ambani education) उन्होंने सिर्फ 10वी तक पढ़ाई की थी। महज 16 साल की उम्र में वह पहली बार विदेश गए।
उन्होंने अदन में पहली नौकरी पेट्रोल पंप पर सहायक के रूप में की। (Ambani Salary) यहां उन्हें 300 रुपए प्रति महीने मिलते थे। इसके कुछ समय बाद वह भारत लौट आये। गिरनार पहाड़ पर तीर्थयात्रियों को भजिया बेचने का काम शुरू किया। पांच साल बाद ही उन्होंने अपने cousin के साथ मिलकर रिलायंस कमर्शियल कारपोरेशन की स्थापना की।
धीरूभाई अम्बनी का ऑफिस मुम्बई में एक छोटे से कमरे में था, जिसमें 2 मेज, 3 चेयर और एक टेलीफोन था। 50 हजार रुपये से इस कारोबार को शुरू किया गया था, जिसकी वर्तमान में बाजार पूंजी 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। हालांकि बढ़ते बिज़नेस के चलते धीरूभाई अम्बनी का स्वास्थ्य खराब होने लगा था. 6 जुलाई 2002 को उनका निधन हो गया। साल 2016 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।