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Economic Survey: ग्रोथ बनाए रखने के लिए सालाना 78 लाख गैर-कृषि नौकरियों की जरूरत

Economic Survey: शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए वेतनभोगी रोजगार 52.1 प्रतिशत से घटकर 49.4 प्रतिशत हो गया, जबकि 2020-21 में इसमें उल्लेखनीय गिरावट आई।

Snigdha Singh
Published on: 31 Jan 2025 3:20 PM IST (Updated on: 31 Jan 2025 3:21 PM IST)
Economic Survey
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Economic Survey (Photo: Social Media)

Economic Survey: संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कहा गया है कि भारत को अपने बढ़ते वर्कफोर्स को समायोजित करने के लिए 2030 तक हर साल औसतन 78 लाख 50 हजार गैर-कृषि नौकरियाँ सृजित करने की आवश्यकता है। सर्वे के मुताबिक गुणवत्तापूर्ण नौकरियाँ सृजित करना एक महत्वपूर्ण और प्राथमिकता वाला राष्ट्रीय उद्देश्य बना हुआ है, जो समावेशी और सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की कुंजी है।

स्वरोजगार का ट्रेंड

सर्वेक्षण के अनुसार लोगों में स्वरोजगार की ओर उल्लेखनीय बदलाव दिखा है। स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों का अनुपात 2017-18 में 52.2 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 58.4 प्रतिशत हो गया। जो उद्यमशीलता गतिविधियों में वृद्धि को दर्शाता है।

वेतनभोगी घटे

नियमित वेतनभोगी रोजगार 22.8 प्रतिशत से थोड़ा कम होकर 21.7 प्रतिशत हो गया। ये प्रवृत्ति स्थिर हो गई है तथा रोजगार का स्तर 2020-21 से स्थिर या धीरे-धीरे सुधर रहा है। कैजुअल श्रमिकों में भी 24.9 प्रतिशत से 19.8 प्रतिशत की कमी देखी गई है।

महिलाओं के रोजगार के रुझान

रोजगार के पैटर्न में बदलाव का महिलाओं पर, खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में, काफी प्रभाव पड़ा है। हालाँकि वेतनभोगी रोजगार में महिलाओं का अनुपात कम हुआ है, लेकिन ज़्यादा महिलाएँ स्व-रोजगार में लगी हैं या घरेलू उद्यमों में योगदान दे रही हैं।

ग्रामीण भारत में, नियमित वेतन वाली नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी 2017-18 में 10.5 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 7.8 प्रतिशत हो गई है। इसके विपरीत, "स्वयं के काम करने वाली/नियोक्ता" या "घरेलू उद्यमों में सहायक" के रूप में काम करने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए वेतनभोगी रोजगार 52.1 प्रतिशत से घटकर 49.4 प्रतिशत हो गया, जबकि 2020-21 में इसमें उल्लेखनीय गिरावट आई जब यह 54.2 प्रतिशत से घटकर 50.1 प्रतिशत हो गया।



Snigdha Singh

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