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जेटली ने दिया भरोसा-सरकार वृद्धि दर वापस लाने के लिए काम कर रही
मुंबई: केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि सरकार देश की आर्थिक वृद्धि दर वापस पटरी पर लाने के लिए काम कर रही है और एक जिम्मेदारपूर्ण कदम उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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जेटली का स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है, जब खबर आई है कि सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज की योजना बना रही है, क्योंकि प्रथम तिमाही में जीडीपी की दर 5.7 फीसदी पर चली गई।
जेटली ने यहां ब्लूमबर्ग इंडिया इकॉनॉमिक फोरम में कहा, "आप संतुलन कैसे बनाते हैं - बैंकों को मदद कीजिए और साथ ही वित्तीय दूरदर्शिता का सर्वश्रेष्ठ मानक भी बनाए रखिए। मौजूदा चुनौती वित्तीय दूरदर्शिता की ही है, जिसका हम सामना कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि (पूर्व की वृद्धि दर की) तर्कसंगत स्थिति वापस लौटेगी।"
उन्होंने कहा, "एक वर्ष में कई सारे संरचनागत सुधार किए गए हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना है कि पूंजी आए और वित्तीय विवेक का सर्वश्रेष्ठ मानक भी बना रहे। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। बल्कि जिम्मेदारीपूर्ण कदम की जरूरत है और हम इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं।"
जेटली ने कहा कि अर्थव्यवस्था में वित्तीय विवेक की आवश्यकता है, क्योंकि वास्तविक उत्तर संरचनागत सुधार और वृद्धि के बीच संतुलन हासिल करने में छिपा है।
उन्होंने कहा, "भारत और विश्व को आश्वस्त होना चाहिए कि भारत सरकार इसके बारे में सचेत है। इसलिए तीन वर्षो से सबसे तेजी के साथ बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा जो हमारे पास रहा है, उसे हमें बनाए रखना चाहिए। हम यही आकांक्षा रखते हैं।"
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यह पूछे जाने पर कि क्या देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति एक चुनौती है? जेटली ने कहा कि अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कभी आसान नहीं है, क्योंकि हरेक दिन एक चुनौती है।
उन्होंने कहा, "हरेक दिन एक चुनौती है। अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में कोई दिन आसान नहीं होता। लेकिन हमने एक सक्रिय लोकतंत्र में जीना सीखा है, क्योंकि जो आरामतलबी टिप्पणीकारों के पास है, वह हमारे पास नहीं है। हमें तय करना है कि किस मार्ग पर जाना है।"
उन्होंने कहा, "यदि आप तय नहीं करते हैं तो चुनौती पैदा होती है। बेशक आप निर्णय के लिए समय लीजिए, लेकिन निर्णय लिया जाना चाहिए। यहां कई सारी चुनौतियां हैं, जिनमें कुछ ऐसी हैं, जिनसे तत्काल निपटने की जरूरत है और कुछ बाहरी कारणों से हैं।"
बैंकिंग तनाव से निपटने की चुनौती के बारे में जेटली ने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के समेकन और उन्हें मजबूत करने के लिए कदम आगे बढ़ा चुकी है।
उन्होंने कहा, "हम अपनी रणनीति में एक उच्च चरण में हैं। हम बैंकों के समेकन और मजबूती दोनों पर गौर कर रहे हैं। समेकन से बैंक अपेक्षाकृत मजबूत हो रहे हैं। यद्यपि हम इसकी कोई समय सीमा नहीं तय कर सकते।"
उन्होंने कहा, "बुरे खातों के संकट को अनिश्चितकाल के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।"
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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन पर जेटली ने कहा, "मैं अच्छे परिणाम की कामना कर रहा था। मुझे सहज क्रियान्वयन को लेकर सुखद आश्चर्य हुआ। उद्योग ने इसे स्वीकार किया है। रिटर्न बढ़े हैं। मुझे तकनीकी दिक्कतों की आशंका थी। किसी भी प्रणाली में ये दिक्कतें हो सकती हैं।"
--आईएएनएस