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Good News: अगले दो साल में पेट्रोल-डीजल की कीमत में बिकेंगे इलेक्ट्रिक वाहन, खरीदना होगा आसान
दुनियाभर में बढ़ते कार्बन उत्सर्जन से पर्यावरण वैज्ञानिक खासे चिंतित हैं। यह ग्लोबल वार्मिंग की सबसे बड़ी वजहों में से एक है। हर साल जब दुनिया भर के शीर्ष नेता बैठकें करते हैं तो वहां बढ़ते कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण ही वार्ता का मुख्य मुद्दा होता जा रहा है
दुनियाभर में बढ़ते कार्बन उत्सर्जन (Carbon footprint) से पर्यावरण वैज्ञानिक खासे चिंतित हैं। यह ग्लोबल वार्मिंग की सबसे बड़ी वजहों में से एक है। हर साल जब दुनिया भर के शीर्ष नेता बैठकें करते हैं या सम्मेलनों में जुटते हैं, तो वहां भी बढ़ते कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण ही वार्ता का मुख्य मुद्दा होता जा रहा है। हालांकि, विकसित राष्ट्र, विकासशील देशों पर इसका ठीकरा फोड़ देते हैं। लेकिन, अब विकासशील देश भी इस ओर सजग और सतर्क होने लगे हैं। इसी का नतीजा है कि भारत में भी अब इलेक्ट्रिक कारों और दोपहिया वाहनों का चलन शुरू हुआ है। ये बात अलग है कि कीमत अधिक होने की वजह से लोगों का रुझान उस ओर कम है।
बढ़ते कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए भारत सरकार कई क्षेत्रों में सकारात्मक कार्य कर रही है। परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) पर जल्द शिफ्ट होने की दिशा में सरकार कई नए पहल कर रही है। सरकार का लक्ष्य है जल्द से जल्द जीवाश्म ईंधन (Fossil fuel) पर अपनी निर्भरता कम कर दे। इसी के मद्देनजर हाल के सालों में भारत सरकार ने कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की शुरुआत की।
अगले दो साल में इलेक्ट्रिक कार की कीमत सामान्य कार के बराबर
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ दिनों पहले ही इस मुद्दे पर अपनी सरकार का पक्ष रखा था। उन्होंने बातचीत के दौरान एक सकारात्मक बात कही। गडकरी बोले, आने वाले दो सालों के भीतर इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें घटकर पेट्रोल-डीजल पर चलने वाले वाहनों के बराबर हो जाएंगे। साथ ही, उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया, कि जीवाश्म ईंधन (Fossil fuel) पर चलने वाले वाहनों के आयात कम करने की दिशा में भी सरकार काम कर रही है।मतलब आने वाले दिनों में ईंधन से चलने वाले वाहनों की संख्या सड़क पर कम हो सकती है। ऐसे में ग्राहक ई- वाहनों का रुख करेंगे। जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में ग्रोथ देखने को मिल सकता है।
Alternative fuel को बढ़ावा देना लक्ष्य
मोदी सरकार में मंत्री नितिन गडकरी ने कहते हैं, कि सरकार इथेनॉल (Ethanol), सीएनजी (CNG) जैसे वैकल्पिक ईंधन (Alternative fuel) को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है। मंत्री ने बताया, कि मौजूदा समय में हम 80 फीसदी तक पेट्रोल-डीजल की आवश्यकता का आयात कर रहे हैं। जब ईंधन पर निर्भरता कम करनी है तो ऐसे में हमें भविष्य में किसी दूसरे विकल्प की तलाश करनी ही होगी।
इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए कई काम
गडकरी ने बताया, एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक अगले पांच सालों में हमारा आयात 25 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ सकता है। इस कारण हमारी अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसी वजह से हम इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए कई काम कर रहे हैं।
ईंधन पर होगी आश्चर्यजनक बचत
हालांकि, अब देश का आम आदमी पर्यावरण और उसकी सुरक्षा को लेकर ज्यादा गंभीर हो गया है। भविष्य में ई- वाहनों का इस्तेमाल बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। ई वाहनों के इस्तेमाल से इसके कई सकारात्मक असर पड़ेंगे। इसे एक उदाहरण के तौर पर समझ सकते हैं। जैसे- एक पेट्रोल कार का उपयोग करने पर हर महीने औसतन उसके ईंधन पर 12 से 15 हजार रुपए तक का खर्च होता है तो वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों पर यही खर्च दो हजार रुपए के करीब हो जाएगा। है, न कमाल की बचत। और दूसरा फायदा कार्बन उत्सर्जन की कमी भी होगी। मतलब, एक इलेक्ट्रिक वाहन दो तरह से मुनाफा देगा।