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Flower Business: फूलों में रोजगार की संभावनाएं असीम
Flower Business: लोगों के जीवन स्तर और आमदनी बढ़ने के साथ घर की सजावट में फूलों का इस्तेमाल बढ़ जाता है। यूरोप के देशों, जापान और अमरीका में फूलों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
Flower Business: पूजा अर्चना सजावट और इत्र निर्माण में उपयोग के अलावा देश से फूलों का निर्यात करके बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। प्रायः सभी अवसरों जैसे देवी देवताओं की पूजा , मांगलिक अवसर , किसी का स्वागत, अभनंदन या सम्मान, जन्मदिन या पुण्यतिथि इत्यादि पर फूलों का उपयोग किया जाता है। फूल शुद्धता,पवित्रता तथा निर्मलता के प्रतीक होने के कारण सबके प्रिय होते हैं।
लोगों के जीवन स्तर और आमदनी बढ़ने के साथ घर की सजावट में फूलों का इस्तेमाल बढ़ जाता है। इस प्रकार से फूल सर्वोत्तम उपहार होते हैं। इसी वजह से यूरोप के देशों, जापान और अमरीका में फूलों की मांग तेजी से बढ़ रही है।भारत से दुनिया के लगभग 150 देशों को फूलों का एक्सपोर्ट होता है। हालांकि इसकी खेती और बिजनेस को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं मिलने की वजह से दुनिया में हॉर्टिकल्चर के कुल व्यापार और निर्यात में भारत का हिस्सा 1 फीसदी से भी कम है।
इस समय विश्व का प्रमुख फूल निर्यातक देश नीदरलैंड है। विश्व में सबसे बड़ी फूल मंडी और नीलम घर भी नीदरलैंड में ही है। वहां बड़े पैमाने पर फूलों की खेती की जाती है। विश्व बाजार के 52 प्रतिशत भाग पर नीदरलैंड का अधिकार है। नीदरलैंड के अलावा थाईलैंड, केन्या, जिम्बाब्वे और इजरायल भी फूलों का उत्पादन करने वाले प्रमुख देश हैं। जापान और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में फूलों की बढ़ती मांग के कारण सिंगापुर में फूलों की मंडी और नीलम घर विकसित किया जा रहा है। अगर भारत दृढ़ता के साथ प्रयास करे तो काफी विदेशी मुद्रा कमा सकता है।
फूल इत्र और गंध निकलने के काम आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मुगल सम्राज्ञी नूरजहां ने गुलाब से इत्र निकालने का आविष्कार किया था। उत्तर भारत में वाराणसी, कन्नौज और जौनपुर इत्र निकालने के मुख्य केंद्र हैं। इस व्यवसाय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिला है।
भारतीय फूल उद्योग में गुलाब, रजनीगंधा, ग्लेड्स, एंथुरियम, कार्नेशन, गेंदा आदि फूल शामिल है। फूलों की खेती अत्याधुनिक पाली और ग्रीनहाउस दोनों में की जाती है।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडू, राजस्थान, पश्चिम बंगाल आदि प्रमुख पुष्पकृषि केंद्र के रूप में उभरे है। फ्लोरीकल्चर हॉर्टिकल्चर की एक शाखा है, जिसमें फूलों की पैदावार, मार्केटिंग, कॉस्मेटिक और परफ्यूम इंडस्ट्री के अलावा फार्मास्यूटिकल आदि शामिल हैं। युवा इस व्यवसाय को शुरू करके अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं।
जो युवा इस क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाने चाहते हैं, उनके लिए अनुभव बेहद जरूरी है। सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री जैसे कोर्स के लिए 10+2 में बायोलॉजी, फिजिक्स, कैमिस्ट्री के साथ पास होना जरूरी है, लेकिन मास्टर्स डिग्री के लिए एग्रीकल्चर में बैचलर डिग्री जरूरी है। मास्टर्स डिग्री के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च द्वारा ऑल इंडिया एंट्रेंस टैस्ट परीक्षा ली जाती है। गौरतलब है कि किसी भी यूनिवर्सिटी में फ्लोरीकल्चर (ऑनर्स) की पढ़ाई नहीं करवाई जाती, बल्कि बीएससी (एग्रीकल्चर) में एक विषय के तौर पर फ्लोरीकल्चर पढ़ाया जाता है।
इस काम के लिए सवा बीघा जमीन काफी है, लेकिन जमीन पांच बीघा हो तो वारे-न्यारे हैं। इसे एक नर्सरी के तौर पर खोला जा सकता है।
फूलों की पैदावार के लिए सबसे उपयुक्त समय सितंबर से मार्च तक है, लेकिन अक्तूबर से फरवरी का समय इस व्यवसाय के लिए वरदान है। फूलों की लगभग सभी प्रजातियों की बुवाई सितंबर-अक्तूबर में की जाती है। गुलाब और गेंदा हर प्रकार की मिट्टी में लगाए जा सकते हैं, परंतु दोमट, बलुआर या मटियार भूमि ज्यादा उपयोगी है। गुलाब की खेती कलम लगा कर की जाती है। उन्नत किस्म के बीज पूसा इंस्टीटय़ूट या देश के किसी भी बड़े अनुसंधान केंद्र से प्राप्त किए जा सकते हैं। वैसे तो फूलों का कारोबार और पैदावार साल भर चलती है, पर जाड़ों में यह बढ़ जाती है।
प्रमुख संस्थानों से जानकारी प्राप्त की जा सकती है
- -इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीटय़ूट, नई दिल्ली
- -आनंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी आनंद, गुजरात
- -जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंत नगर, उत्तराखंड
- -पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना, पंजाब
- -इलाहाबाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद
- -बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, इंस्टीटय़ूट ऑफ एग्रीकल्चर साइंस फैकल्टी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- -हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार, हरियाणा
फूलों के अलावा विदेशों में लताओं, सजावटी पौधों और सूखे फूलों का भी अच्छी खासी मांग है। इनका यूरोप के देशों , दक्षिण पूर्व एशियाई देशों और सिंगापुर को निर्यात किया जाता है। ग्रीटिंग कार्ड्स , फ्लोरल क्राफ्ट्स और आंतरिक सजावट के लिये विदेशों में सूखे फूलों की भी मांग है। इस प्रकार भारत में नई तकनीक और जानकारी प्राप्त कर फूलों के रोजगार में असीम संभावनाओ को पूरा किया जा सकता है।