TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Household Saving: घरेलू बचत को गहरी चोट, सबसे निचले लेवल पर पहुँची

Household Saving: परिवारों पर अधिक वित्तीय देनदारियों का बोझ भी पड़ रहा है जो गंभीर आय संकट और दबी हुई मांग के कारण महामारी के बाद खपत में वृद्धि का संकेत है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 20 Sept 2023 2:15 PM IST
Household Saving lowest level
X

Household Saving lowest level (photo: social media )

Household Saving: प्रमुख देशों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सबसे अधिक वृद्धि के बावजूद भारत के सामान्य परिवारों को चोट लग रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत दशकों में सबसे कम है, जो वित्तीय वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.1 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि वित्त वर्ष 2022 में यह 7.2 प्रतिशत थी।

देनदारियों का बोझ

रिपोर्ट के अनुसार, परिवारों पर अधिक वित्तीय देनदारियों का बोझ भी पड़ रहा है जो गंभीर आय संकट और दबी हुई मांग के कारण महामारी के बाद खपत में वृद्धि का संकेत है। 2022-23 में परिवारों की वित्तीय देनदारियां सकल घरेलू उत्पाद का 5.8 प्रतिशत बढ़ गईं, जबकि 2021-22 में यह 3.8 प्रतिशत थी। इससे यह भी संकेत मिलता है कि खपत का कुछ हिस्सा कर्जा मांग कर पूरा किया जा रहा था।

रिज़र्व बैंक ने कहा है कि 2022-23 में वित्तीय देनदारियों में वृद्धि की दर आजादी के बाद दूसरी सबसे अधिक है। यह सिर्फ 2006-07 के दौरान तीव्र था जब यह 6.7 प्रतिशत तक चला गया था।

शुद्ध घरेलू संपत्ति

रिज़र्व बैंक रिपोर्ट के अनुसार, शुद्ध घरेलू संपत्ति 2020-21 में कोरोना महामारी के चरम के दौरान 22.8 ट्रिलियन रुपये से घटकर 2021-22 में 16.96 ट्रिलियन रुपये और फिर 2022-23 में 13.76 ट्रिलियन रुपये हो गई। वित्तीय देनदारियों के संदर्भ में घरेलू ऋण भी 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद के 37.6 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह 36.9 फीसदी था। इसका कारण उच्च मुद्रास्फीति दर के कारण स्थिर आय का कम होते जाने हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप कम बचत हो रही है और ऋण की मात्रा ऊंची हो सकती है।

जीडीपी विकास दर

घरेलू संपत्तियों और देनदारियों पर आरबीआई के आंकड़ों से यह भी संकेत मिलता है कि जीडीपी विकास दर निजी उपभोग और निजी पूंजीगत व्यय करों से नहीं बनी हुई है बल्कि इसके पीछे अर्जित राजस्व से किया गया सार्वजनिक व्यय है। जानकारों का कहना है कि उपभोग में वृद्धि टिकाऊ नहीं है। हालाँकि, 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में निजी उपभोग अंतिम व्यय (पीसीएफई) पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में बढ़कर छह प्रतिशत हो गया। पीसीएफआई 2022-23 की चौथी तिमाही में 2.8 फीसदी और पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 2.2 फीसदी थी।

क्या होती है घरेलू शुद्ध वित्तीय संपत्ति

घरेलू शुद्ध वित्तीय परिसंपत्तियां शुद्ध बचत का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसकी गणना सकल वित्तीय परिसंपत्तियों से वित्तीय देनदारियां घटाकर की जाती है। वित्तीय संपत्तियों में बैंक जमा, पूंजी बाजार निवेश, जीवन बीमा, भविष्य निधि, नकदी और अन्य चीजें शामिल होती हैं। इसके विपरीत, वित्तीय देनदारियों में बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण शामिल हैं।



\
Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story