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Foxconn-Vedanta Deal: फॉक्सकॉन अब नए साझीदार के साथ आयेगा
Foxconn-Vedanta Deal:‘मॉडीफाइड प्रोग्राम फॉर सेमीकंडक्टर्स एंड डिस्प्ले फैब इकोसिस्टम’ योजना ‘10 अरब डॉलर की है जिसमें भारत में सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनी को पूंजी लागत में 50 फीसदी तक की छूट का प्रावधान है।
Foxconn-Vedanta Deal: वेदांता के साथ 1,600 अरब रुपये के सेमीकंडक्टर समझौते से हटने के बाद भी ताईवानी कंपनी फॉक्सकॉन ने भारत में इंटरेस्ट खोया नहीं है और वह भारत में नए साझीदारों के साथ निवेश के नए रास्ते तलाश रही है। फॉक्सकॉन ने कहा है कि उसने भारत में चिप बनाने का अपना इरादा छोड़ा नहीं है और वह नए सिरे से भारत की सेमीकंडक्टर उत्पादन योजना के तहत छूट के लिए अप्लाई करेगी। ‘मॉडीफाइड प्रोग्राम फॉर सेमीकंडक्टर्स एंड डिस्प्ले फैब इकोसिस्टम’ योजना ‘10 अरब डॉलर की है जिसमें भारत में सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनी को पूंजी लागत में 50 फीसदी तक की छूट का प्रावधान है।
फॉक्सकॉन और भारतीय कंपनी वेदांता के बीच साझा उपक्रम का करार टूट जाने से भारत की चिप निर्माण की योजनाओं को बड़ा झटा लगा है। लेकिन फॉक्सकॉन के ताजे बयान से लगता है कि अभी संभावनाएं खत्म नहीं हैं। वैसे तो अमेरिका की माइक्रोन कंपनी ने भारत में निवेश और प्लांट लगाने की बात कही है लेकिन माइक्रोन भारत में चिप बनायेगी नहीं बल्कि टेस्टिंग और पैकेजिंग करेगी। सेमीकंडक्टर मार्केट 2025 तक 24 अरब डॉलर से 100 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। अगर भारत ने इनका उत्पादन शुरू नहीं किया तो कच्चे तेल की तरह आयात बिल में जबरदस्त बढ़ोतरी हो जायेगी।
सही साझेदारों की तलाश
फॉक्सकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। और उसका इरादा भारत में चिप निर्माण संयंत्र लगाने का था।
एक बयान में फॉक्सकॉन ने कहा है कि वह सही साझीदारों की तलाश सक्रियता से कर रही है। फॉक्सकॉन भारत में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और उसे सफलतापूर्वक सेमीकडंक्टर निर्माण के लिए एक मजबूत वातावरण के रूप में देखती है। बताया जाता है कि फॉक्सकॉन भारत व विदेशों में कई कंपनियों से बातचीत कर रही है।
भारत की योजना
दुनिया में चिप की स्थिति और ताइवान की मोनोपोली को देखते हुए भारत अपने सेमीकंडक्टर उद्योग को 2026 तक 63 अरब डॉलर का बनाने का लक्ष्य रखता है। भारत की मॉडीफाइड प्रोग्राम फॉर सेमीकंडक्टर्स एंड डिस्प्ले फैब इकोसिस्टम योजना के लिए अभी तक कोई परवान नहीं चढ़ पायी है। पहले भी ऐसी खबरें आ चुकी थीं कि वेदांता की वित्तीय स्थिति को लेकर भारत सरकार और फॉक्सकॉन दोनों ही संतुष्ट नहीं थे। वेदांता की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च तक कंपनी पर 452।6 अरब डॉलर का कर्ज था जो बीते एक साल में दोगुना हो गया था। इसी साल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने लंदन स्थित वेदांता की मूल कंपनी वेदांता रिसॉर्सेज की रेटिंग कम कर दी थी और चेतावनी दी थी कि वह कर्ज चुकाने में नाकाम हो सकती है।
चिप बनाने के मटीरियल के निर्यात पर रोक
इस बीच एक बुरी खबर ये है कि चीन ने चिप बनाने में बड़े स्तर पर इस्तेमाल होने वाली धातुओं के निर्यात पर रोक लगा दी है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह 1 अगस्त से आठ गैलियम उत्पादों और छह जर्मेनियम उत्पादों के निर्यात को कंट्रोल करेगा। ये ऐसी धातुएं हैं, जो हाई एंड टेक्नोलॉजिकल प्रोडक्ट्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। टेलीकम्यूनिकेशन उपकरणों, सोलर पैनलों और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के सेमीकंडक्टर चिप्स में गैलियम, जर्मेनियम और अन्य धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है। चीन गैलियम और जर्मेनियम का मुख्य उत्पादक है और हर साल ६०० टन उत्पादन करता है। अमेरिका इन दोनों धातुओं की लगभग आधी सप्लाई सीधे चीन से हासिल करता है। चीन ने पिछले साल अमेरिका को 23 मिट्रिक टन गैलियम की सप्लाई दी थी।