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PVC पाइप की फैक्ट्री से एशिया के दूसरे अमीर शख्स बने गौतम अदाणी की कहानी धीरूभाई से कम नहीं
Gautam Adani: गौतम अदाणी एशिया के दूसरे नंबर के सबसे अमीर शख्स बन गए हैं। उनकी संपत्ति 32.7 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई है।
Gautam Adani, लखनऊ: अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani) दो दिन पहले एशिया के दूसरे नंबर के सबसे अमीर शख्स बन गए हैं। दो दशक के दौरान देखते ही देखते यह रुतबा हासिल करने वाले वह ऐसे व्यक्ति हैं, जो भारत में कारोबारी गतिशीलता और सफलता का प्रमाण कहे जा सकते हैं। 18 साल की उम्र में जिस युवक ने कॉलेज की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी। वह अपने व्यवसायिक कौशल के दम पर एक विशाल साम्राज्य खड़ा करने में कामयाब रहा और साबित कर दिया कि अगर दांव सही हो और पासे भी ठीक तरह से डाले जाएं, तो अच्छे दिन जरूर आएंगे। गौतम अदाणी की कामयाबी को इस तरह भी समझा जा सकता है कि महज एक दिन यानी 19-20 मई के बीच उनकी संपत्ति में 1.11 अरब अमेरिकी डॉलर का इजाफा हुआ। इसी साल जनवरी से मई तक यानी कुल पांच महीने के अंदर उनकी संपत्ति में 32.7 अरब अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी हुई हैं।
बिजनेस की दुनिया में यह बड़ा चमत्कार है। अब सवाल उठता है कि यह चमत्कार कैसे हुआ। तो इसे एक वाक्य में कह सकते हैं कि यह गौतम अदानी की बिजनेस समझ और सूझ—बूझ की देन है। जिसने उन्हें पूरी दुनिया के अमीर लोगों की सूची में 14वें स्थान पर खड़ा कर दिया है. ब्लूमबर्ग के अनुसार साल 2021 में गौतम अदाणी की संपत्ति 3380 करोड़ डॉलर यानी करीब 2.46 लाख करोड़ बढ़ गई है. अब उनकी कुल दौलत 4.93 लाख करोड़ रुपये हो गई है. बीते सात साल में उनकी कंपनी ने अपनी कारोबारी गतिविधियां तेजी से बढ़ाई हैं। सात साल पहले इसकी पहचान गुजरात राज्य में कारोबार करने वाली कंपनी के तौर पर हुआ करती थी लेकिन आज वह भारत के 300 से ज्यादा शहरों में किसी ने किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।
कैसे हुई शुरुआत
गौतम अदाणी ने अपने कारोबारी जीवन की ठीक-ठीक शुरुआत 1981 में अपने भाई के साथ पीवीसी पाइप फैक्ट्री लगाने के साथ की। कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर उन्होंने पहले मुंबई के झावेरी बाजार में एक डायमंड कंपनी की नौकरी भी की। इसके बाद डायमंड ब्रोकरेज का काम किया लेकिन जब बड़े भाई मनसुख अदाणी ने पीवीसी फैक्ट्री के संचालन के लिए मदद मांगी तो गुजरात वापस लौट आए और काम आगे बढ़ाया। 1988 में अदाणी एक्सपोर्टस कंपनी का गठन किया। अगले डेढ़ दशक तक उनकी कंपनी अलग—अलग क्षेत्रों में कारोबार करती रही।2002 में अदाणी समूह का टर्नओवर 76.5 करोड़ डॉलर पर पहुंच चुका था लेकिन इसके बाद कंपनी ने तेजी के साथ छलांग लगाई। अगले 10—11 साल में कंपनी का टर्नओवर लगभग दस अरब डॉलर तक पहुंच गया। अदाणी समूह की आज छह प्रमुख कंपनियां हैं जिनमें अदाणी एंटरप्राइजेज, अदाणी पोर्ट्स एंड सेज, अदाणी पावर, अदाणी ट्रांसमिशन , अदाणी ग्रीन एनर्जी और अदाणी गैस शामिल हैं। अदाणी समूह की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार 2020 में उसका कुल राजस्व 1.1 लाख करोड़ रुपये है।
कैसे मिला विस्तार
अदाणी समूह अब देश-विदेश में अलग-अलग व्यवसाय क्षेत्रों में सक्रिय है। कंपनी लगातार नए क्षेत्रों में विस्तार कर रही है। इसको ऐसे समझा जा सकता है कि 2013 में अदानी ग्रुप के पास देश में कुछ हिस्सों में ही काम था। उसके ज्यादातर प्रोजेक्ट गुजरात तक सीमित थे लेकिन इसके बाद ग्रुप ने तेजी के साथ विस्तार किया है। 2013 में जहां अदाणी समूह के पास गैस डिस्ट्रीब्यूशन के 13 प्रोजेक्ट थे, वहीं 2018 में यह बढ़कर 41 हो गए। जल्द ही वह दुनिया की सबसे बड़ी सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी बनने जा रही है। कोल माइनिंग और कोयला आयात के कुल मिलाकर 4 प्रोजेक्ट कंपनी के पास 2013 तक थे, जो आधा दर्जन से ज्यादा हो चुके हैं। एग्री कमोडिटी में 11 प्रोजेक्ट 2013 में थे। 2013 में अदाणी समूह के लॉजिस्टिक प्रोजेक्ट पांच थे, जो 2018 में नौ हो गए। इसी तरह थर्मल पावर के 3 प्रोजेक्ट से पांच, अदाणी सोलर के एक से बढ़कर तीन, शिप फ्यूलिंग के एक प्रोजेक्ट के बजाय 2018 में दो प्रोजेक्ट हो चुके थे।
इस दौरान अदाणी समूह ने कुछ नए क्षेत्रों में भी दखल दिया है। अब वह देश के छह एयरपोर्ट का रखरखाव भी कर रही है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है तो और रक्षा क्षेत्र में भी नया प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है। अदाणी समूह ने पिछले सात सालों के दौरान छलांग पर छलांग लगाई है। उसके कामकाज को इस तरह से समझा जा सकता है, जैसे लंबी कूद का कोई खिलाड़ी अपनी दूरी बढ़ाने के लिए हवा में अपने कदम दो बार आगे बढ़ाता है। सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन के क्षेत्र में अदाणी समूह अगर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनने की ओर है और जल्द ही यह रुतबा हासिल कर लेगा। तो इसे उसके काम करने के तरीके और प्रोजेक्ट विस्तार रणनीति से समझा जा सकता है।
2018 में मोदी सरकार ने पूरे देश में पाइप्ड नेचुरल गैस नेटवर्क और फ्यूल स्टेशन की स्थापना के लिए 128 निविदाएं जारी की। पाइप्ड नेचुरल गैस नेटवर्क की दिशा में यह क्रांतिकारी कदम था क्योंकि इससे पहले इतनी संख्या में कभी निविदाएं जारी नहीं हुई। आसान तरीके से समझें तो कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के 9 साल के कार्यकाल में इस तरह के कुल 35 कांट्रैक्ट जारी किए गए थे। मोदी सरकार ने भी 2014 से 18 तक के 4 साल में कुल 63 कांट्रैक्ट किए थे लेकिन एक साथ इतने अधिक कांट्रेक्ट पहली बार आए थे। रणनीतिक तरीके से इसमें अदाणी ग्रुप ने कामयाबी हासिल की। उसने कुल 25 प्रोजेक्ट हथिया लिए। जिसमें दस प्रोजेक्ट के लिए उसने देश की बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कारपोरेशन के साथ साझेदारी भी की है।
इसके अलावा अदाणी समूह ने 2018 में मुंबई में रिलायंस पावर के इलेक्ट्रिक सिटी ट्रांसमिशन बिजनेस का भी अधिग्रहण कर लिया। छत्तीसगढ़ में जीएमआर के थर्मल पावर प्रोजेक्ट, चेन्नई में लार्सन एंड टूब्रो के कटटूपल्ली प्रोजेक्ट और राजस्थान में केईसी इंटरनेशनल के लाइन डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट का अधिग्रहण कर लिया। इन कंपनियों का कारोबार अपने साथ लाने के लिए कंपनी ने लगभग 19 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया। समूह की कंपनियों के विस्तार और बिजनेस के नए क्षेत्र चुनने का लाभ पूरे समूह को मिल रहा है। यही वजह है कि अदाणी समूह के साथ ही गौतम अदाणी की भी संपत्तियां लगातार बढ़ रही हैं।
गौतम अदाणी का निजी जीवन और मोदी का असर
अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी की पत्नी का नाम प्रीति अदाणी है। उनके दो बेटे करण अदाणी और जीत अदाणी हैं। उनका भारतीय जनता पार्टी के साथ करीबी रिश्ता है। कंपनी के अधिकारी और खुद गौतम अदाणी भी कई मौकों पर यह स्वीकार कर चुके हैं कि विकास योजनाओं से जुड़े होने की वजह से उन्हें राजनेताओं के संपर्क में रहना पड़ता है। योगी सरकार के लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में दो साल पहले गौतम अदाणी और गृहमंत्री अमित शाह एक साथ मंच पर मौजूद थे। तब गौतम अदाणी ने बताया था कि उनका अमित भाई से बहुत पुराना संबंध है। जब वह पीवीसी पाइप का निर्माण करते थे तो अमित भाई उसका डिस्ट्रीब्यूशन कर रहे थे। उन दोनों का आपसी संबंध तब से बना हुआ है।
पीवीसी पाइप की फैक्ट्री से एशिया के दूसरे नंबर के सबसे अमीर व्यक्ति का सफर पूरा करने वाले गौतम अदाणी की कहानी भी पूरी फिल्मी है। आश्चर्य नहीं होगा कि आने वाले दिनों में मुंबई का कोई फिल्मकार उनके जीवन पर भी फिल्म का निर्माण कर डाले। कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर मुंबई में डायमंड कारोबारी की नौकरी से लेकर पीवीसी पाइप के कारोबार की कहानी ठीक उसी तरह से है जैसा देश के लाखों-करोड़ों युवाओं के साथ होता रहा है। बीकॉम की पढ़ाई छोड़कर गौतम अदाणी ने मुंबई के झवेरी बाजार में एक डायमंड कारोबारी की नौकरी की। अदाणी एक्सपोर्टस की सफलता ने उनके दुश्मन भी बनाए। 1997 में दुबई में बैठे गैंगस्टर इरफान गोगा के इशारे पर फजुर्लुरहमान फजलू ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर उन्हें अगवा कर लिया। मीडिया में ऐसी खबरें आईं कि 15 करोड़ की फिरौती के बाद वह अपने घर लौटने में कामयाब रहे। यह अलग बात है कि फजलू इन दिनों तिहाड़ जेल में अपनी सजा काट रहा है।
पांच रुपये का शेयर जब हुआ 786
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के दौरान गौतम अदाणी तब लोगों की नजर में आए जब गुजरात दंगों के बाद कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री —सीआईआई ने नरेंद्र मोदी की आलोचना शुरू कर दी। सीआईआई ने गुजरात सरकार से दूरी बनानी शुरू की तो गौतम अदाणी ने स्थानीय उद्यमियों के साथ मिलकर एक प्रेशर ग्रुप रीसर्जेंट ग्रुप ऑफ गुजरात बना डाला। बताया जाता है कि इससे उन्हें मोदी के निकट जाने का मौका मिल गया। बाद के वर्षों में उन्होंने गुजरात में पोर्ट व अन्य विकास योजनाओं में निवेश किया। 2013 में जब भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री कैंडिडेट घोषित किया तो अदाणी इंटरप्राइजेज का शेयर पांच रुपये से बढ़कर 786 रुपया हो गया। गुजरात में मोदी सरकार के दौरान अदाणी समूह 2001-02 में 3741 करोड़ का कारोबार करने वाली कंपनी 2013 में 75659 करोड़ रुपये की हो गई।