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GDP: क्या होती है जीडीपी ? कैसे की जाती है इसकी गणना, समझिये आसान भाषा में

GDP: जीडीपी का मानक तय करने वालों में से एक विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास अनुमान दर को बढ़ा दिया है।

Viren Singh
Written By Viren Singh
Published on: 6 Dec 2022 9:21 AM GMT (Updated on: 6 Dec 2022 9:27 AM GMT)
Meaning Of GDP
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Meaning Of GDP (सोशल मीडिया) 

Meaning Of GDP: जीडीपी शब्द आपने काफी सुना होगा। कई लोग तो इसका फुलफॉर्म भी जानते हैं, लेकिन क्या आपको यह पता है कि जीडीपी क्या होती है और इसकी गणना कैसे की जाती है? इस लेख के माध्यम से आज आपको हम बताएँगे कि जीपीडी क्या होती है और इसकी गणना कैसे की जाती है। इसके घटने से आम लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? सबकुछ जानिए आसान भाषा में।

दरअसल, मंगलवार को जीडीपी का मानक तय करने वालों में से एक विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास के अनुमान को संशोधित करते हुए बढ़ाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। हालांकि इससे पहले विश्व बैंक ने देश की जीडीपी के विकास अनुमान दर को 6.5 फीसदी तय किया था।

क्या होती है जीडीपी?

सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी एक देश में निर्धारित समय में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन का जो मूल्य होता है, उससे हम सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कहते हैं। जीडीपी से देश की अर्थव्यव्स्था के सेहत का पता चलता है कि वह किसी दिशा जा रही है। वैसे तो विदेशों में जीडीपी की गणना हर साल होती है लेकिन भारत में इसको लेकर उलटी स्थिति है। यहां पर हर तीन महीने में जीडीपी की गणना की जाती है। आपको जीडीपी दो प्रकार की होती है, पहली नॉमिनल जीडीपी और दूसरी रियल जीडीपी होती है।

नॉमिलन जीडीपी उसे कहते हैं, जिसमें हमारे देश के कुल उत्पादों और सेवाओं के मूल्य का योग होता है।

रियल जीडीपी में हमारे देश के कुल उत्पादों और सेवाओं के मूल्यों का योग तो होता है, उसमें अगल से महंगाई को जोड़ देते हैं।

मापती है देश की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन

जीपीडी से पता चलता है कि सालभर में देश की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन कैसा रहा है। अगर जीडीपी आंकड़ों में गिरावट आती है तो इसका मतलब देश की अर्थव्यस्था सुस्त रही है। जीडीपी के आंकड़ों का असर वैसे तो देश के सभी लोगों पर दिखाई पड़ता है लेकिन सबसे अधिक प्रभाव आमजनता और गरीबों पर लोगों को दिखाई देता है। अगर जीडीपी के डेटा में गिरावट आई है तो गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे लोगों को और नीचे जाने की संभावना हो जाती है। भारत जैसे कम और मध्यम कमाने वाले देश के लिए हर वर्ष जीडीपी ग्रोथ प्राप्त करना की महत्वपूर्ण होता है, ताकि लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

सीएसओ जारी करता है डेटा

आपको बता दें कि भारत में सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफ़िस (सीएसओ) एक साल चार बार जीडीपी आकंड़ों को जारी करती है। यह आंकड़ें वित्त वर्ष के तिमाही आधार पर जारी होते हैं। जीडीपी का डेटा किसी भी देश की विकास और ग्रोथ का पता चलता है।

यह है अंतरराष्ट्रीय मानक

बुक सिस्टम ऑफ नेशनल अकउंट्स (1993) में जीपीडी को मापने का अंतर्राष्ट्रीय मानक बनाया गया है। इसको आम भाष में एसएनएक93 के नाम से भी जाना जाता है और इसको तय करना वाला अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), यूरोपीय संघ, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन, संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक जैसे संस्थान हैं।

इस प्रकार होती जीडीपी की गणना

भारत में जीडीपी की गणना तीन हिस्सों के आधार पर होती है, जोकि कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र के हिस्से होते हैं। इसकी गणना के लिए कुल निर्यात में से कुल आयाता से घटाया दिया जाता है। इससे प्राप्त आकंड़ों को बाद में देश के कुल उत्पादन, व्यक्तिगत उपभोग, व्यापार में कुल निवेश के साथ सरकार द्वारा देश के अंदर किये गए खर्चों में जोड़ दिया है, उसको जीडीपी कहते हैं।

जीडीपी निकालने का नियम:

GDP (सकल घरेलू उत्पाद) = उपभोग + सकल निवेश + कुल सरकारी खर्च + (कुल निर्यात – कुल आयात)

Viren Singh

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पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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