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Global Recession: 2023 में आ सकती है वैश्विक मंदी, WEF रिपोर्ट में खुलासा, जानिए भारत में क्या होगा असर
Global Recession: WEF के मुख्य अर्थशा दुनिया में इस साल मंदी आने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। करीब 2 तिहाई मुख्य अर्थशास्त्रियों ने इस साल वैश्विक मंदी आने की संभावना प्रकट की है।
Global Recession: भारत में भले ही बीते दो महीनों से खुदरा और थोक महंगाई दरों के आंकड़ों में आई गिरावट से लोग राहत का सांस ले रहे हों लेकिन भविष्य में महंगाई राहत मिलने वाली है तो ऐसा बिल्कुल मत समझाए। क्योंकि महंगाई को लेकर वैश्विक स्तर पर जो हालात बने हुए हैं, वह डराने वाले हैं। यह हालात कहीं न कहीं भारत की अर्थव्यवस्था पर भी अपना असर डाल सकते हैं। पिछली साल की तरह इस साल भी वैश्विक स्तर पर मंदी का साया छाया हुआ है। इस बात का खुलासा वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम हुआ है।
दावोस में चल रही WEF की बैठक
दरअसल, स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की सालाना बैठक का आयोजन हो रहा है। इस बैठक में यह बात निकलकर सामने आए है कि 2023 में दुनिया में वैश्विक मंदी आने की संभावना है। ये बात सामने आई है कि इस वैश्विक मंदी से सबसे अधिक प्रभावित अमेरिका और यूरोप होंगे। इसके चलते यहां पर महंगाई दर बढ़ने के साथ विकास की संभावनाएं की कम होने के आसार हैं।
2 तिहाई अर्थशास्त्रियों ने माना मंदी की संभावना
WEF के मुख्य अर्थशा दुनिया में इस साल मंदी आने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। करीब 2 तिहाई मुख्य अर्थशास्त्रियों ने इस साल वैश्विक मंदी आने की संभावना प्रकट की है। इसमें से 18 फीसदी इसे अत्यंत संभावित मानते हैं कि सितंबर 2022 में किए गए पिछले सर्वेक्षण की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है। हालांकि उत्तरदाताओं का एक तिहाई 2023 में वैश्विक मंदी आने की संभावना से इनकार कर रहा है। लेकिन एक मजबूत सहमति बनी हुई है कि इस साल विकास की संभावनाएं प्रभावित होंगी। इसका असर विशेष रूप से यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देशों में देखने को मिलेगा।
सबसे अधिक प्रभावित होंगे ये देश
फोरम के मुताबिक, सर्वेक्षण में शामिल सभी मुख्य अर्थशास्त्रियों ने 2023 में यूरोप और अमेरिका में विकास की संभावनाएं कमजोर बनी हुई हैं। 91 फीसदी अमेरिकी में विकास की कमजोर संभावना का अनुमान लगाया है। चीन के विकास के बारे में इन अर्थशास्त्रियों का मत अलग अलग है। उनका कहना है कि चीन में 2023 में 5 फीसदी विकास की कमजोर संभावनाएं के अनुमान लगाए हैं,जबकि यूरोप में यह आंकड़ा 57 फीसदी है। फोरम का कहना है कि वर्तमान उच्च मुद्रास्फीति, कम विकास, उच्च ऋण और उच्च विखंडन वातावरण वापस पाने के लिए आवश्यक निवेश के लिए प्रोत्साहन कम कर देता है।
डब्ल्यूईएफ प्रबंध निदेशक का आया बयान
डब्ल्यूईएफ की प्रबंध निदेशक सादिया जाहिदी ने कहा कि मौजूदा समय विकास और दुनिया के सबसे कमजोर लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना है। उन्होंने कहा कि नेताओं को खाद्य और ऊर्जा नवाचार, शिक्षा और कौशल विकास में निवेश करने के लिए आज के संकट से परे देखना चाहिए और भविष्य के उच्च संभावित बाजारों में रोजगार पैदा करना चाहिए।
भारत को मिल सकता लाभ
रिपोर्ट में कहा गया कि चीन से दूर विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखलाओं का विविधीकरण से भारत सहित दक्षिण एशिया क्षेत्र की कुछ अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक रुझानों से लाभान्वित हो सकती हैं।