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Go First Crisis: गो फर्स्ट की इंसॉल्वेंसी याचिका पर NCLT की सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
Go First Crisis Updates: गो फर्स्ट के सीईओ कौशिक खोना ने कहा है कि वह कम से कम 15 मई तक नए टिकट जारी नहीं करेगी। उसने अभी तक 5 मई तक के फ्लाइट टिकट रद्द किए हैं। वहीं, पीठ के समक्ष कंपनी ने स्वैच्छिक दिवालिया घोषित याचिका की कार्यवाही शुरू करने की अपील की है।
Go First Crisis Updates:गो फर्स्ट एयरलाइंस की ओर से डाली गई स्वैच्छिक दिवालिया घोषित याचिका पर राजधानी दिल्ली में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में गुरुवार को सुनवाई हुई। एनसीएलटी ने सुनवाई काफी देर तक की। इस दौरान ट्रिब्यूनल ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इसका फैसला सुरक्षित रखा लिया है। एयरलाइंस कंपनी ने अपनी परेशानी के लिए इंजन-निर्माता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया है। इस पर उसने कहा कि प्रैट एंड व्हिटनी द्वारा समय पर इंजन आपूर्ति नहीं किए जाने से गो फर्स्ट के 50 फीसदी बेड़े ग्राउंडिंग हो गया हैं, जिसकी वजह से कंपनी को नगदी संकट का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि एयरलाइंस को बचाने के लिए एनसीएलटी में दिवालिया घोषित की एक याचिका डालनी पड़ी।
गो फर्स्ट की दायर याचिक पर सुनवाई एनसीएलटी के अध्यक्ष रामलिंगन सुधारक की अध्यक्षता में दो सदस्यीय पीठ ने की। पीठ के समक्ष कंपनी ने स्वैच्छिक दिवालिया घोषित याचिका की कार्यवाही शुरू करने की अपील की है। साथ ही, वित्तीय देनदारी पर अंतिम रोक लगाने की मांग भी की है।
एयरलाइंस के वकील का कोर्ट में बयान
एयरलाइंस की ओर से पेश हुए वकील ने इन्सॉल्वेंसी याचिका पर NCLT में बताया कि बीते महीने अप्रैल में प्रोमोटर्स ने कंपनी में 290 करोड़ रुपये की कैपिटल डाली थी। वकील ने NCLT को यह भी बताया कि इंजन आपूर्ति कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी ने गो फर्स्ट को खराब इंजन की सप्लाई की थी। इतना ही नहीं, इस कंपनी ने अन्य एयरलाइंस को भी खराब इंजन की आपूर्ति की थी। प्रैट एंड व्हिटनी के इस कदम से गो फर्स्ट की मुश्किलें बढ़ी हैं। कंपनी ने अभी भी 8 फीसदी मार्केट शेयर हैं, जो सारे फंडामेटल्स रुप में सही हैं। एयरलाइंस ने 6 मई तक 1.9 मिलियन यात्रियों की टिकट बुक की है।
15 मई तक कोई टिकट नहीं
गो फर्स्ट के सीईओ कौशिक खोना ने कहा है कि वह कम से कम 15 मई तक नए टिकट जारी नहीं करेगी। उसने अभी तक 5 मई तक के फ्लाइट टिकट रद्द किए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, अब एयरलाइंस ने 9 मई तक अपनी सभी उड़ानों को रद्द कर दिया है।
इन बैंकों का एयरलाइंन पर लोन
कंपनी द्वारा दिवालिया आवेदन प्रक्रिया डालने से कर्ज दिए बैंकों की भी चिंता बढ़ गई है। अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है तो सबसे बड़ी चिंता इन बैंकों की यह है कि उनका कर्ज कैसे मिलेगा। एक जानकारी के मुताबिक, गो फर्स्ट पर बैंकों का 6520 करोड़ रुपए कर्ज है। इसमें BOB का 1424 करोड़, Central Bank का 1405 करोड़, Deutsche Bank का 1320 करोड़ रुपये, IDBI bank का 37 करोड़ और Axis bank का 30 करोड़ रुपये का लोन शामिल है।
प्रैट एंड व्हिटनी ने की गो फर्स्ट की आलोचना
वित्तीय संकट खड़ा होने और अगले 5 मई तक संचालन रद्द होने के लिए गो फर्स्ट ने प्रैट एंड व्हिटनी को जिम्मेदारी ठहराया था। उसके बाद बुधवार को प्रैट एंड व्हिटनी ने एक बयान जारी किया था। इस बयान में कहा था कि आर्थिक लेनदेन के मामले में हमेशा से गो फर्स्ट का रवैया खराब रहा है। प्रैट एंड व्हिटनी हमेशा से इंजन की आपूर्ति तय समय से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एयरलाइंस को बेचना नहीं बल्कि पुनर्जीवित करना
खोना ने रॉयटर्स के साथ एक साक्षात्कार में भी कहा था कि दिवाला कार्यवाही संचालन को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है, न कि इसे बेचने का। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार एयरलाइन को विफल नहीं होने देना चाहती है।
एयरलाइंस की बाजार में हिस्सेदारी
अब बात अगर घरेलू मार्केट में एयरलाइंस की हिस्सेदारी की करें तो इसमें गो फर्स्ट की 6.9 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा अन्य एयरलाइंस में Spicejet की 6.4%, AirAsia India की 7.6%, Air India की 8.8% और Vistara एयरलाइंस की 8.9% घरेलू मार्केट में हिस्सेदारी है। घरेलू बाजार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी Indigo एयरलाइन की है, जोकि 56.8 फीसदी और सबसे कम हाल के दिनों में शुरू हुई Akasa एयरलाइन की है, जो कि 4.6 फीसदी है।