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कम हो सकते हैं पेट्रोल व फ्लाइट्स टिकट के दाम! सरकार ने इस टैक्स में की कटौती
Fuel Price: सरकार ने कच्चे पेट्रोलियम पर कर 6,300 रुपये टन से घटाकर 5,000 रुपये टन कर दिया गया है
Windfall Tax Decrease: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जहां कमर्शियल गैस सिलेंडर के दामों में वृद्धि कर खान-पान के कारोबार से जुड़े हुए लोगों को झटका दिया है तो वहीं, कुछ चीजों को कटौती कर लोगों को राहत पहुचाने का काम भी किया है। केंद्र सरकार ने कच्चे पेट्रोलियम और जेट ईंधन पर लगने वाले अप्रत्याशित लाभ कर में कटौती की है। सरकार ने 1 दिसंबर से कच्चे पेट्रोलियम और जेट ईंधन पर अप्रत्याशित लाभ कर में 1,300 रुपये प्रति टन की कमी की घोषणा की है। सरकार के इस कदम से हो सकता है कि आने वाले दिनों में पेट्रोलियम कंपनियों ईंधन के भाव में कुछ कमी कर लोगों को राहत प्रदान करें तो वहीं हो सकता है कि फ्लाइट्स के किराये में भी कुछ कमी देखने को मिले।
कच्चे पेट्रोलियम और जेट ईंधन अप्रत्याशित कर में हुई कटौती
मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार ने कच्चे पेट्रोलियम पर कर 6,300 रुपये टन से घटाकर 5,000 रुपये टन कर दिया गया है, जबकि जेट ईंधन पर लेवी को पिछले 1.11 लाख रुपए प्रति किलो लीटर (केएल) से घटाकर 1.06 लाख रुयए केएल कर दिया गया है। इससे पहले भी सरकार ने कच्चे पेट्रोलियम पर अप्रत्याशित कर में कटौती की थी। 16 नवंबर को पिछली समीक्षा के दौरान कच्चे पेट्रोलियम पर अप्रत्याशित कर को 9,800 रुपये प्रति टन से 3,500 रुपये घटाकर 6,300 रुपये प्रति टन कर दिया था,जो वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट के रुझान के अनुरूप था।
नवंबर में बढ़ा था कच्चे तेल पर टैक्स
1 नवंबर को सरकार ने कच्चे तेल पर टैक्स 9,050 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 9,800 रुपये प्रति टन कर दिया था। हालांकि इस दौरान डीजल निर्यात पर शुल्क आधा घटाकर 2 रुपये लीटर कर दिया गया। वहीं, जेट ईंधन पर शुल्क समाप्त कर दिया गया। इसको 1 रुपये/लीटर से घटाकर शून्य कर दिया गया। पिछले समायोजन के बाद से अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में गिरावट के कारण कटौती की आवश्यकता महसूस हुई है।
अप्रैल में लेवी हो गई थी शन्यू पर
अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण अप्रैल की पहली छमाही में घरेलू कच्चे तेल पर लेवी शून्य हो गई थी, लेकिन दरों में वृद्धि के साथ दूसरी छमाही में फिर वापस आ गई। डीजल पर कर अप्रैल में समाप्त कर दिया गया था, लेकिन अगस्त में इसे फिर से लागू किया गया। इसी तरह मार्च में एटीएफ पर शुल्क घटाकर शून्य कर दिया गया था लेकिन अगस्त की दूसरी छमाही में इसे बहाल कर दिया गया। हालाकि, शुरुआती समीक्षा में पेट्रोल पर निर्यात कर ख़त्म कर दिया गया था।
अप्रत्याशित कर क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल और उत्पाद की कीमतों में उतार-चढ़ाव के आधार पर अप्रत्याशित कर में पाक्षिक संशोधन होता है। फिलहाल कच्चे तेल की कीमतें करीब 82 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रही हैं। कच्चे तेल की बढ़ती कीमत के जवाब में भारत ने शुरुआत में जुलाई 2022 में अप्रत्याशित कर लगाया। यह कर सरकारों द्वारा तब लगाया जाता है जब कोई उद्योग अप्रत्याशित रूप से पर्याप्त मुनाफा कमाता है, जिसका श्रेय आमतौर पर किसी अभूतपूर्व घटना को दिया जाता है।
कब लगता है ये
जब वैश्विक बेंचमार्क की दरें 75 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो जाती हैं तो घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर लगाया जाता है। डीजल, विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) और पेट्रोल के निर्यात के लिए लेवी तब लागू होती है जब उत्पाद में दरार आती है या मार्जिन 20 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो जाता है। उत्पाद में दरारें या मार्जिन कच्चे तेल (कच्चे माल) की लागत और तैयार पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्य के बीच अंतर को दर्शाते हैं।