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Mushroom Cultivation: 30,000 रुपये किलो बिकता है यह मशरूम, विदेशों में है इसकी मांग, PM मोदी को भी बेहद पंसद
Mushroom Cultivation: औषधीय गुण होने की वजह से हार्ट रोगियों के लिए इस मशरुम का सेवन करना संजीवनी माना गया है। पहाड़ी लोग इस सब्जी को टटमोर या डुंघरू भी कहते हैं।
Gucchi Mushroom Cultivation: इस युग का अर्थयुग कहा जाए तो कोई गलत बात नहीं होगी, क्योंकि इस युग में हर क्षेत्र से पैसा कमाना संभव है, फिर चाहे वह कृषि क्षेत्र क्यों न हो? पिछले कुछ सालों में देश के किसानों की आर्थिक हालत में थोड़ा सुधार हुआ है। वह इसलिए क्योंकि किसान अब परंपरागत फसलों के साथ साथ उन फसलों की भी खेती करने लगा है, जिसकी बाजार में काफी मांग रहती है, जिसकी वजह से उन्हें फसलों का अच्छा दाम मिल रहा है। इनको नकदी फसल भी कहा जाता है। इसमें एक फसल है मशरूम की। पिछले कुछ सालों में देश के किसान किसान रुझान मशरूम की खेती पर तेजी से बढ़ा है और यह किसानों के लिए बेहतर आमदनी का जरिया बना गई है। वैसे तो मशरूम की कई प्रजातियां पाईं जाती हैं, लेकिन की ही खेती होती है। इसमें इसकी एक प्रजाति है, जिसकी कीमत बाजार में सबसे अधिक होती है। इसकी खेती से किसान एक ही सीजन में लखपति बना जाता है।
भारत के विशेष जगहों पर पैदा होता
देश में अलग अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती करते हैं। इसकी खेती काफी लाभदायक होती है, क्योंकि यह कम जगह में, कम समय और कम लागत में किसान को अधिक मुनाफा प्रदान करती है। किसान चाहे तो इसकी खेती के लिए किसी भी कृषि विज्ञान केंद्र या फिर कृषि विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण ले सकते हैं। दुनिया में खाने योग्य मशरूम की करीब 10 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इसमें 70 प्रजातियों की ही खेती की जाती है। वहीं, भारतीय वातावरण में मुख्य रुप से कुछ ही प्रकार के खाद्य मशरुमों की व्यावसायिक स्तर पर खेती की जाती है। इसमें सफेद बटन मशरुम, ढींगरी (ऑयस्टर) मशरुम, दूधिया मशरुम, पैडीस्ट्रा मशरुम, शिटाके मशरुम और गुच्छी मशरुम है। इसमें सबसे महंगा गुच्छी मशरुम होता है, क्योंकि यह मशरुम की विशेष किस्म होती है और यह भारत के विशेष स्थानों पर पैदा होती है।
हार्ट रोगियों के लिए गुच्छी मशरुम है संजीवनी
गुच्छी मशरुम में औषधीय गुणों से भरपूर है। यह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, शिमला, मनाली जैसे इलाकों के जंगलों में कुदरती रुप से पैदा होता है। इसके अलावा यह उत्तराखंड और कश्मीर के कुछ इलाकों में भी पाया जाता है। इसलिए इसको पहाड़ी मशरुम भी कहा जाता है। इसका खाने में स्वाद बेहद अच्छा होता है और इसमें विटामिन मिलता है। इसमें विटामिन-B, विटामिन-C, और अमीनो एसिड मिलता है। औषधीय गुण होने की वजह से हार्ट रोगियों के लिए इस मशरुम का सेवन करना संजीवनी माना गया है। पहाड़ी लोग इस सब्जी को टटमोर या डुंघरू भी कहते हैं। भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ चरकसंहिता में इसे सर्पच्छत्रक कहा गया है।
प्रधानमंत्री मोदी की पंसद
जैसा कि ऊपर बताया है कि गुच्छी मशरुम पैदा नहीं किया जाता है, बल्कि कुदरती रुप से तैयार होता है। इसलिए पहाड़ी जगहों में इसके खोज के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जो वहां के लोग हैं, वही इसको खोज पाते हैं। पहले यह आराम से मिल भी जाया करते थे, लेकिन जगलों की कटान होने की वजह से यह और भी गुम हो गए हैं। इस मशरुम का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि वह जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब वह गुच्छी मशरुम की सब्जी खाया करते थे।
गुच्छी मशरूम की इन देशों में है भारी डिमांड
गुच्छी मशरूम का वैज्ञानिक नाम मार्कुला एस्क्यूपलेंटा है। भारत में तो इसकी मांग है ही, विदेशों में भी लोग इसके दिवाने हैं। अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, इटली और स्विटजरलैंड में गुच्छी मशरुम की मांग अधिक रहती है। इसको अच्छे से सुखाने के बाद बाजार में लाया जाता है।
जानिए कीमत
मशरुम में गुच्छी मशरुम सबसे महंगा होता है। इसकी सब्जी काफी फायदेमंद होती है। इसलिए को बड़ी बड़ी कंपनियां और बड़े बड़े होटल हाथों हाथ खरीद लेते हैं। बाजार में गुच्छी मशरुम की कीमत 25 से 30 हजार रुपए होती है।