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History Of Salt Production: भारत मे बर्बाद हो रही नमक बनाने वालों की जिंदगी, आइए जानते हैं इससे जुड़ी समस्याएं

Bharat Me Namak Utpadan Ka Itihas: देश के कुल नमक उत्पादन का 80 फीसदी हिस्सा गुजरात से आता है।यहाँ लगभग 4.5 लाख मजदूर इस उद्योग से जुड़े हैं।

AKshita Pidiha
Written By AKshita Pidiha
Published on: 26 Dec 2024 5:43 PM IST
Bharat Me Namak Utpadan Ka Itihas
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Bharat Me Namak Utpadan Ka Itihas (Photo - Social Media)

Bharat Me Namak Ka Itihas in Hindi: नमक मानव जीवन का एक अनिवार्य तत्व है, जो न केवल भोजन को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि शरीर की जैविक प्रक्रियाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत दुनिया के सबसे बड़े नमक उत्पादक देशों में से एक है। हालांकि, नमक उत्पादन की प्रक्रिया से जुड़े लोगों को कई शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

भारत में नमक उत्पादन का इतिहास और वर्तमान

पहले गुजरात में 30,000 मीट्रिक टन नमक का उत्पादन होता था।1991 तक यह बढ़कर 7,00,000 मीट्रिक टन हो गया।किसानों को शुरुआती दौर में प्रति टन ₹17 मिलते थे, जो 1991 तक ₹70 हो गए।वर्तमान में, किसान प्रति टन नमक से ₹250-₹300 कमाते हैं।


कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रहता है।देश की 75 फीसदी आबादी गुजरात में बना नमक खाती है।

नमक उत्पादन का भौगोलिक वितरण

देश के कुल नमक उत्पादन का 80 फीसदी हिस्सा गुजरात से आता है।यहाँ लगभग 4.5 लाख मजदूर इस उद्योग से जुड़े हैं। राजस्थान (10 फीसदी) तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और हिमाचल प्रदेश में भी नमक उत्पादन होता है।


भारत ने 2020-21 में 10 मिलियन टन नमक 55 देशों को निर्यात किया।घरेलू उपयोग के लिए 76 लाख टन और उद्योगों में 66 लाख टन नमक भेजा गया।भारत ने 2020-21 में ₹870 करोड़ का नमक निर्यात किया।देश में 9 लाख से अधिक मजदूर नमक उत्पादन में लगे हैं।

भारत में नमक उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र

भारत में नमक का उत्पादन मुख्य रूप से तटीय क्षेत्रों और खारे पानी की झीलों में किया जाता है।

गुजरात:गुजरात भारत का सबसे बड़ा नमक उत्पादक राज्य है। यह कुल उत्पादन का लगभग 76 फीसदी योगदान देता है।कच्छ का रण और खंभात की खाड़ी मुख्य नमक उत्पादन क्षेत्र हैं।यहाँ समुद्री नमक वाष्पीकरण विधि से बनाया जाता है।


तमिलनाडु:राज्य के तटीय क्षेत्रों में समुद्री नमक का उत्पादन होता है।तुतिकोरिन और नागपट्टिनम इसके प्रमुख उत्पादन केंद्र हैं।

राजस्थान:राजस्थान का सांभर झील भारत की सबसे बड़ी खारी झील है, जहाँ अंतर्देशीय नमक का उत्पादन होता है।थार मरुस्थल के आसपास भी नमक खनन किया जाता है।


आंध्र प्रदेश और ओडिशा:इन राज्यों के तटीय इलाकों में समुद्री नमक का उत्पादन होता है।

महाराष्ट्र:कोंकण क्षेत्र में समुद्री जल से नमक तैयार किया जाता है।

नमक उत्पादन की विधि

नमक उत्पादन दो प्रमुख विधियों से होता है:समुद्र के पानी को बड़े-बड़े तालाबों में भरकर सूर्य की गर्मी से वाष्पित किया जाता है।


पानी वाष्पित होने के बाद बचा हुआ नमक निकाला जाता है।खारी झीलों और जमीन के नीचे के खारे जल स्रोतों से नमक निकाला जाता है।कुछ स्थानों पर भूमि के अंदर से खनिज नमक खनन करके निकाला जाता है।

नमक उत्पादन से जुड़े श्रमिकों को होने वाली समस्याएं

1. स्वास्थ्य समस्याएं-नमक उत्पादन के दौरान श्रमिक खारे पानी और नमक के सीधे संपर्क में रहते हैं, जिससे त्वचा पर जलन, खुजली और अन्य रोग हो जाते हैं।नमक के महीन कण श्रमिकों के फेफड़ों में जाकर सांस लेने में कठिनाई पैदा करते हैं।लंबे समय तक धूप में काम करने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। खारे पानी और तेज धूप के संपर्क में रहने से आँखों में जलन और दृष्टिहीनता की समस्या हो सकती है।

2. आर्थिक समस्याएं-नमक उत्पादन में लगे श्रमिकों को न्यूनतम वेतन से भी कम मिलता है।नमक उत्पादन मुख्य रूप से गर्मियों में होता है, जिससे श्रमिकों के पास सालभर रोजगार की गारंटी नहीं होती।उत्पादन से बिक्री तक कई बिचौलिए होते हैं, जो श्रमिकों का शोषण करते हैं।


3. सामाजिक समस्याएं-नमक उत्पादन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और साफ पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी होती है।श्रमिक समुदाय अक्सर गरीबी और अशिक्षा के दुष्चक्र में फंसे रहते हैं।

नमक उत्पादन के पर्यावरणीय प्रभाव -नमक उत्पादन के लिए भूमि को वाष्पीकरण तालाबों में बदलने से भूमि की उर्वरता खत्म हो जाती है।झीलों और जल स्रोतों से अधिक पानी निकालने के कारण आसपास के क्षेत्रों में पानी की कमी हो जाती है। नमक उत्पादन के दौरान कुछ समुद्री जीवों और पौधों की प्रजातियाँ प्रभावित होती हैं।

अन्य देशों में नमक उत्पादन की विधियां

जापान में समुद्री जल से नमक उत्पादन में आधुनिक तकनीक और सौर ऊर्जा का उपयोग होता है। पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है।यहाँ खनिज नमक खनन और समुद्री नमक उत्पादन में स्वचालित मशीनों का उपयोग किया जाता है।श्रमिकों की जगह मशीनें अधिक उपयोग में लाई जाती हैं।सौर ऊर्जा का उपयोग करके बड़े पैमाने पर समुद्री जल से नमक बनाया जाता है।

महात्मा गांधी ने अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ नमक को आज़ाद कराने के लिए सत्याग्रह किया, लेकिन आज़ादी के बाद भी नमक मजदूरों की ज़िंदगी में ज्यादा बदलाव नहीं आया। नमक केंद्र सरकार के अधीन आ गया।लेकिन इसके उत्पादन से जुड़े मजदूरों को अब भी अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।


वर्ष 2021 में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, नमक मजदूरों को बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।मजदूरों को पीने के पानी की किल्लत होती है। बच्चों को शिक्षा के पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं।लगातार नमक के संपर्क में रहने से मजदूरों की आंखों की रोशनी कमजोर हो जाती है। लकवा, अंधापन, त्वचा की कठोरता, घुटनों और पीठ में दर्द आम समस्याएं हैं।पैर हमेशा नमक में डूबे रहने से नसें सूख जाती हैं और पैर कठोर हो जाते हैं।कई मामलों में मृत्यु के बाद मजदूरों के पैर जलने के बजाय दफन किए जाते हैं, क्योंकि वे कठोर हो चुके होते हैं।

अगड़िया मजदूर: नमक बनाने वाले किसान

‘अगड़िया’ शब्द किसी जाति, धर्म या समुदाय को परिभाषित नहीं करता। यह उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है, जो नमक उत्पादन के काम में लगे हैं।


गांधी जी ने नमक को आज़ाद कराया। लेकिन इन मजदूरों की ज़िंदगी अब भी त्रासदी बनी हुई है।

सरकार की भूमिका और सुधार की आवश्यकता

श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के कानून बनाए गए हैं।नमक उत्पादन क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर और क्लीनिक स्थापित किए गए हैं।आधुनिक तकनीकों का उपयोग बढ़ाने के लिए योजनाएं शुरू की गई हैं।श्रमिक समुदायों के बच्चों के लिए शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधाएं दी जा रही हैं।

भविष्य की संभावनाएं- मशीनों और स्वचालित प्रक्रियाओं के उपयोग से श्रमिकों का शारीरिक बोझ कम होगा।आने वाले समय में सौर ऊर्जा और अन्य पर्यावरणीय तरीकों का अधिक उपयोग किया जाएगा।श्रमिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए सरकार और उद्योग मिलकर काम कर सकते हैं।


नमक उत्पादन भारत का एक प्रमुख उद्योग है। लेकिन इससे जुड़े लोगों को कई शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। बेहतर तकनीक, सरकारी हस्तक्षेप और पर्यावरणीय जागरूकता के माध्यम से इन समस्याओं को हल किया जा सकता है। नमक श्रमिकों के अधिकारों और स्वास्थ्य की रक्षा करना हमारे समाज की जिम्मेदारी है।पानी, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की कमी दूर करने की आवश्यकता है।मजदूरों को बेहतर वेतन और काम के सुरक्षित माहौल की गारंटी दी जानी चाहिए।निजी कंपनियों और सरकारी विभागों को मिलकर इन मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलानी चाहिए।

नमक उत्पादन भारत का एक प्रमुख उद्योग है, लेकिन इससे जुड़े लोगों को कई शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। बेहतर तकनीक, सरकारी हस्तक्षेप और पर्यावरणीय जागरूकता के माध्यम से इन समस्याओं को हल किया जा सकता है। नमक श्रमिकों के अधिकारों और स्वास्थ्य की रक्षा करना हमारे समाज की जिम्मेदारी है।सरकार और समाज दोनों को मिलकर इन मजदूरों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि यह उद्योग प्रगति के साथ-साथ मानव कल्याण का भी उदाहरण बन सके।



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