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Medicinal Crop Cultivation: किसानों को अमीर बना देता है यह औषधीय पौधा, जानें कैसे करें इसकी खेती?

Medicinal Crop Cultivation: सदारबाहर फूल का उपयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए किया जाता है। यह फूल ब्लड शूगर मरीजों के लिए रामबाण हैं। इसके उपयोग से कोई भी ब्लड शूगर मरीज अपना शूगर कंट्रोल कर सकता है।

Viren Singh
Written By Viren Singh
Published on: 19 Nov 2023 8:30 AM IST (Updated on: 19 Nov 2023 8:30 AM IST)
Sadabahar Phool ki Kheti
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Sadabahar Phool ki Kheti (सोशल मीडिया) 

Sadabahar Phool ki Kheti: आज कल किसान अन्य फसलों के साथ औषधी फसलों की खेती भी पर करने लगे हैं। इसकी खेती से हो क्या रहा है कि अन्य फसलों की तुलना में यहां पर किसानों को अधिक प्रॉफिट हो रहा है,क्योंकि बाजार में औषधी फसल की मांग अधिक है। अधिकांश दवा निर्माता कंपनियां सीधे किसानों से या फिर बाजारों से औषधी फसलों खरीदती हैं, जिस वजह से किसानों को इन फसलों से अच्छी कमाई हो रही है। अगर आप किसान हैं तो मैं आपको ऐसी ही एक औषधी फसल की खेती के बारे में जानकारी दूंगा, जिसकी अगर किसी किसान एक बार खेती करली तो उसको कभी पैसों की तंगी नहीं आएगी, क्योंकि इस फसल का उपयोग उस बीमारी की दवा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे आज के दौर अधिकांश लोग पीड़ित हैं।

इन बीमारियों के लिए रामबाण है सदाबाहर

जी हां, हम बात कर रहे हैं सदाबाहर फूल की। सदारबाहर फूल का उपयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए किया जाता है। यह फूल ब्लड शूगर मरीजों के लिए रामबाण हैं। इसके उपयोग से कोई भी ब्लड शूगर मरीज अपना शूगर कंट्रोल कर सकता है। यह फूल औषधीय गुणों से भरा हुआ है। सदाबाहर के हर चीज से दवाएं बनाई जाती हैं। यह फूल 12 महीने उगात है, इसलिए इसको सदाबाहर फूल कहा गया है। ऐसे में अगर कोई किसान इसकी फूल की खेती कर करता है तो वह कुछ महीनों में अमीर बना जाता है, क्योंकि औषधीय गुणों से पूर्ण होने की वजह से बाजार में इसकी मांग काफी अधिक है। पश्चिमी भारत में इसको सदाफूली के नाम से जानते हैं।

कैसे करें इसकी खेती?

सदाबहार का वानस्पतिक नाम कैथरैंथस रोजिआ है। यह एक सदाबहार जड़ी-बूटी है। यह पौधा अफ्रीका महाद्वीप के मेडागास्कर देश का मूल निवासी है। अन्य फसलों की तरह इसकी भी खेती की जाती है। किसान भाई अगस्त माह में इसकी खेती तैयार करें। इसकी खेती के लिए खेत को दो बार जुताई की आवश्यकता होती है। पहले साधारण तरीके से जुताई कर लें। उसके बाद 15 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर की दर से डालकर फिर से जुताई करवा लें। फिर गोबर की खाद मिट्टी में मिलाकर खेत फैला दें। खेती में पानी निकासी का विशेष ध्यान दें, ताकि खेतों में पानी न भरे। इसके लिए खेतों में नालियां बना दें जिससे खेत अच्छे से सिंचाई हो सके और अतिरिक्त जमा पानी निकल सके। मिट्टी का पीएच 6-6.5 होना चाहिए। इसकी खेती के लिए 15 डिग्री सेंटीग्रेड से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तक का तापमान अच्छा मना गया है। वहीं जिन इलाकों में 100 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा होती है, वहां पर सहाबाहर का फूल अधिक पैदा होता है।

इतने महीने में तैयार हो जाती है फसल

विशेषज्ञों के अनुसार, सदाबहार फूल की फसल खेत में लगने के बाद 8 से 10 महीने में पूरी तरह तैयारी हो जाती है। इसके पौधे से कई प्रकार की दवाइंया तैयार की जाती हैं। जो ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और कैंसर जैसी कई अन्य बीमारियों में इसका इलाज किया जाता है।

एक फसल बना देती अमीर

सदाबहार फूल का उपयोग अधिक दवाइयों को बनाने में किया जाता है तो इस वजह से इसकी मांग मार्केट में अधिक होने से फसल के अच्छे दाम मिलते हैं। कोई भी किसान अगर सदाबाहर फूल की खेती करता है तो वह सात से आठ महीने में अमीर बना सकता है। एक हेक्टयेर की खेती में किसान भाई आराम से 3 से 4 लाख रुपये की कमाई कर सकता है।



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Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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