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India Hydrogen Train: भारत की पटरियों पर जल्दी दौड़ेगी हाइड्रोजन ट्रेन, संचलान पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी ये बड़ी जानकारी
India Hydrogen Train: भारतीय रेलवे ने प्रति ट्रेन 80 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें जमीनी बुनियादी ढांचे की लागत प्रति रूट 70 करोड़ रुपये होगी।
India Hydrogen Train: इलेक्ट्रिसिटी संचालन करने के बाद भारतीय रेलवे का अगला कदम अब ट्रेनों को एक खास ईंधन से दौड़ाने का है। दरअसल, भारत का अगला लक्ष्य देश में हाइड्रोजन फ्लूय से ट्रेनों को संचालन करने का है। इसके लिए भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित की जा रही प्रौद्योगिकी के आधार पर देश में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों के निर्माण के लिए ग्लोबल फर्मों से रुचि दिखाने के लिए आमंत्रित करने का प्रस्ताव रखा है। दुनिया में जर्मनी एक मात्र देश है जो हाइड्रोजन से ट्रेनों का संचालन कर रहा है, जबकि अमेरिका सहित कई बड़े देश इस तकनीक पर टेस्टिंग कर रहे हैं।
हाइड्रोजन ट्रेने पर बोले रेल मंत्री
भारतीय रेलवे एक ऐसी ट्रेन का प्रोटोटाइप विकसित कर रहा है, जो हाइड्रोजन ईंधन से संचालित हो। अगर ऐसा होता है कि तो पारंपरिक डीजल चालित लोकोमोटिव की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल लोकोमोटिव बनेगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक साक्षात्कार में कहा, अब जबकि हम लगभग पूरी तरह से विद्युतीकृत हो चुके हैं, हमारा ध्यान अधिक से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने और हरित ऊर्जा का उपयोग करने का है। भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन 2024 तक हरियाणा के जिंद से चलने की संभावना है।
जल्द तैयार कर लेंगे प्रोटोटाइप
आगे उन्होंने कहा कि कुछ देशों के पास हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों के निर्माण की जानकारी है और भारत प्रौद्योगिकी विकसित करने के अपने प्रयासों में बहुत अच्छी तरह से प्रगति कर रहा है। चालू वित्त वर्ष के अंत तक हम एक प्रोटोटाइप को विकास करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि इस तकनीक के आधार पर ट्रेनों का निर्माण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रेलवे प्रणाली निर्माताओं के साथ साझेदारी में किया जाएगा। प्रोटोटाइप तैयार होने के बाद ग्लोबल फर्मों की रुचि के लिए निमंत्रण अगले साल जारी होने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में अपने बजट भाषण में 'विरासत के लिए हाइड्रोजन' योजना की घोषणा की, जो पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील चुनिंदा विरासत और पहाड़ी मार्गों पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को संचालित करने की योजना है।
जानिए कहां चलती है हाइड्रोजन ट्रेन?
हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का वाणिज्यिक संचालन भारत को उत्सर्जन-मुक्त इंजनों का संचालन करने वाली रेलवे प्रणालियों के एक विशिष्ट क्लब में ले जाएगा। विश्व में जर्मनी एक मात्र देश जहां व्यावसायिक रूप से हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। वहीं, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जापान में इस कार्य के लिए परीक्षण चल रहा है।
इन रुटों पर पहले चलेगी ट्रेन
भारतीय रेलवे ने प्रति ट्रेन 80 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें जमीनी बुनियादी ढांचे की लागत प्रति रूट 70 करोड़ रुपये होगी। चालू वित्तीय वर्ष के लिए आठ खंडों को स्वीकृत किया गया है। इसमें माथेरान हिल रेलवे, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे, कांगड़ा घाटी, बिलमोरा वाघई, पातालपानी कालाकुंड, मारवाड़-गोरम घाट और नीलगिरि माउंटेन रेलवे के लिए पैंतीस ट्रेन-सेट रेक (प्रत्येक छह कोच के साथ) खंड शामिल है।
एक रेक के निर्माण इतने करोड़ रुपये होंगे खर्च
हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले छह कोचों की एक रेक के निर्माण की अनुमानित लागत 80 करोड़ रुपये और जमीनी बुनियादी ढांचे के लिए 600 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। फरवरी में एक बयान में रेल मंत्रालय ने कहा था कि हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों की शुरुआती परिचालन लागत अधिक होगी, लेकिन बाद में ऐसी ट्रेनों की संख्या में वृद्धि के साथ यह कम हो जाएगी।