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अब पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर सियासत तेज, 22 राज्यों में रिकॉर्ड कमी जबकि 14 राज्यों ने नहीं की कोई कटौती
देश में ईंधन की बढ़ती कीमतों पर तब ब्रेक लगा जब केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क (Excise Duty) में कमी का ऐलान किया था। दिवाली से एक दिन पहले हुए कमी को आम लोगों के लिए सरकारी 'गिफ्ट' कहा गया।
देश में ईंधन की बढ़ती कीमतों पर तब ब्रेक लगा जब केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क (Excise Duty) में कमी का ऐलान किया था। दिवाली से एक दिन पहले हुए कमी को आम लोगों के लिए सरकारी 'गिफ्ट' कहा गया। जिसके बाद बीजेपी/एनडीए शासित राज्यों ने अपनी तरफ से ईंधनों पर VAT में कमी लाकर आम आदमी की ख़ुशी को और दोगुना कर दिया। लेकिन, अभी राजनीति होना शेष था।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर देश में एक बार फिर राजनीतिक उबाल है। बावजूद इसके देश के 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पेट्रोल-डीजल के दाम में अलग-अलग स्तर पर कटौती देखने को मिल रही है। हालांकि, अब भी कई राज्य ऐसे हैं जहां की सरकारों ने कीमतों में कोई कटौती नहीं की है।
पेट्रोल में 5 रुपए, डीजल में 10 रुपए की कमी
गौरतलब है कि सितंबर महीने के अंतिम सप्ताह से पेट्रोलियम उत्पादों में लगातार कीमत वृद्धि देखने को मिल रही थी। कोई ऐसा दिन नहीं बीत रहा था जब 30-35 पैसे तक का इजाफा न हुआ हो। पेट्रो कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि से आम आदमी में गहरा असंतोष था। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने बीते बुधवार को पेट्रोल-डीजल पर लागू उत्पाद शुल्क यानी VAT में कटौती की घोषणा की थी। जिसके बाद पेट्रोल पर लागू उत्पाद शुल्क में 5 रुपए प्रति लीटर तथा डीजल में 10 रुपए प्रति लीटर की कमी की गई। केंद्र के इस कदम के ठीक बाद बीजेपी/एनडीए शासित राज्यों ने अपने स्तर से स्थानीय VAT की दरों में कटौती की थी। जिसके बाद उन राज्यों में ईंधन की कीमतों में तेजी से कमी देखने को मिली।
22 राज्यों ने VAT में की कमी
हालांकि, ईंधन की कीमतों में कमी को लेकर गैर बीजेपी शासित राज्यों पर राजनीति के आरोप लग रहे हैं। महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, झारखंड सहित अन्य गैर बीजेपी शासित राज्यों ने स्थानीय शुल्क में अभी तक कमी नहीं की है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा है, कि 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने बुधवार को उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद पेट्रोल और डीजल पर VAT कम किए हैं।
14 राज्यों ने अपने स्तर पर नहीं उठाए कदम
पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा, कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में विपक्षी पार्टियों की सरकार है। कुल मिलाकर ऐसे राज्यों की संख्या 14 है, जिन्होंने अभी तक अपने यहां तेल की कीमतों को लेकर VAT कम नहीं किए हैं।
बेंगलुरु में कीमतों में सबसे ज्यादा कमी
संबंधित मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो पता चलता है कि बुधवार को जब केंद्र की तरफ से उत्पाद शुल्क में कमी गई है, तब बेंगलुरु में पेट्रोल की दर 13.35 रुपए और डीजल की कीमत में 19.49 रुपए प्रति लीटर की गिरावट देखने को मिली। देश के बड़े शहरों की लिस्ट में यह सबसे बड़ी गिरावट है। मतलब बेंगलुरु में लोगों को ईंधन की कीमत में कटौती का सबसे ज्यादा फायदा मिल रहा है।
ओडिशा सरकार ने की 3 रुपए की कमी अब पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर सियासत तेज, 22 राज्यों में रिकॉर्ड कमी जबकि 14 राज्यों ने नहीं की कोई कटौतीपेट्रोल-डीजल पर लगने वाले VAT में तत्काल किसी प्रकार की कमी से इनकार के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें आड़े हाथों लिया है। हालांकि, शुक्रवार देर रात ओडिशा सरकार ने अपने यहां वैट को 3 रुपए प्रति लीटर कम करने का फैसला लिया है।
अब कहां है सबसे महंगा पेट्रोल-डीजल?
पेट्रो शुल्कों में कटौती के बाद देश में अब सबसे महंगा पेट्रोल कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में है। राजधानी जयपुर में पेट्रोल 111.10 रुपए प्रति लीटर की दर से बिक रहा है। जबकि महा विकास अघाड़ी की सरकार वाले मुंबई में 109.98 रुपए प्रति लीटर तो आंध्र प्रदेश में 109.05 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। इसी तरह सबसे महंगा डीजल भी राजस्थान के जयपुर में ही बिक रहा है। यहां एक लीटर डीजल 95.71 रुपए प्रति लीटर, आंध्र प्रदेश में 95.18 रुपए प्रति लीटर और मुंबई में 94.14 रुपए प्रति लीटर की दर से बिक रहा है।
मिजोरम में डीजल सबसे सस्ता
दूसरी तरफ अधिकतर बीजेपी शासित राज्यों में पेट्रोल की कीमतें अब 100 रुपए प्रति लीटर से नीचे आ चुकी हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश में अभी पेट्रोल 107.23 रुपए और बिहार में 105.90 रुपए प्रति लीटर की दर से बिक रहा है। वहीं, मिजोरम में 79.55 रुपए प्रति लीटर की दर से बिकने वाला डीजल देश में सबसे सस्ता है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 103.97 रुपए और डीजल 86.67 रुपए प्रति लीटर की दर से बिक रहा है।
केरल अब पीछे हटा
इस मुद्दे पर सियासत तेज होते ही भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार करते हुए कहा है, कि कल तक जो राज्य लगातार केंद्र से तेल पर राहत की उम्मीद करते थे वो आज अपने राज्यों में इस फैसले से पीछे हट रहे हैं। उन राज्यों में केरल सबसे आगे है, जिसने VAT में कटौती से इनकार किया है। इस बारे में केरल के वित्त मंत्री का कहना है कि 'केंद्र की इस मांग के पीछे कोई तर्क नहीं है कि केरल को वैट में कटौती करनी चाहिए। दूसरी तरफ, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सुझाव दिया है, कि केंद्र को राज्यों को जीएसटी का मुआवजा जारी करना चाहिए ताकि वे VAT वैट कम कर सकें। बता दें, कि शरद पवार की पार्टी महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।