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Industry Airbag: एयरबैग उद्योग में अगले 4 सालों में होगी तीन गुना बढ़ोतरी, ICRA का दावा

Industry Airbag: रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष-27 तक भारत का एयरबैग उद्योग 7 हजार करोड़ रुपये पहुंच जाएगा। अभी यह उद्योग देश में 2,500 करोड़ रुपये का है।

Viren Singh
Written By Viren Singh
Published on: 27 Dec 2022 8:30 PM IST
Industry Airbag
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Industry Airbag (सोशल मीडिया) 

Industry Airbag: कार दुर्घटना में लोगों की क्षति कम हो इसके लिए केंद्र सरकार ऑटो मोबाइल कंपनियों से अधिक संख्या में कारों में एयरबैग लगाने पर फोकस करने के लिए कहा है। सरकार के इस कदम से कार दुर्घटना में लोगों की मौतों की संख्या में गिरावट आएगी। साथ ही, देश का एयरबैग उद्योग का करोबार भी काफी फलेफूलेगा। होमग्रोन क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (ICRA) ने मंगलवार को खुलासा किया कि एयरबैग उद्योग भारत में सबसे तेजी से बढ़ते ऑटो कंपोनेंट सेगमेंट में से एक है। उच्च नियामक आवश्यकताओं और हर वाहन पर एयरबैग की संख्या में स्वैच्छिक वृद्धि के कारण घरेलू एयरबैग उद्योग में बढ़ोतरी की आपार संभावना दिख रही है।

अभी इतना है एयरबैग उद्योग का कारोबार

रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष-27 तक भारत का एयरबैग उद्योग 7 हजार करोड़ रुपये पहुंच जाएगा। अभी यह उद्योग देश में 2,500 करोड़ रुपये का है। इसमें आगामी चार सालों में 25-30 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि (CAG) से बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया है।

2023 से लागू हो जाएंगे चार एयरबैग अनिवार्य नियम

दरअसल, केंद्र सरकार ने उच्च नियामक आवश्यकताएं के तहत जुलाई 2019 में एहतियाती सुरक्षा पहल के रूप में हर कार कम से कम एक एयरबैग (ड्राइवर एयरबैग) को अनिवार्य किया था। हालांकि बाद में जनवरी 2022 से M1 श्रेणी के वाहनों के लिए दो एयरबैग (डुअल फ्रंट एयरबैग) तक बढ़ा दिया गया था। हालांकि सरकार ने इस नियम को फिर संशोधित करते हुए 2023 अक्टूबर महीने से हर कार में चार एयरबैग नियम को लागू कर दिया है।

2023 में इतने हजार करोड़ उद्योग बढ़ने की उम्मीद

इस शासनादेश के परिणामस्वरूप देश का एयरबैग निर्माण उद्योग के वर्तमान में 3,000-4,000 करोड़ रुपये से अक्टूबर 2023 तक 8,000-10,000 रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है।

एयरबैग कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग PLI का हिस्सा है

ICRA को यह भी उम्मीद है कि स्थानीयकरण और इस स्थान में टियर-II वेंडर इकोसिस्टम के विकास की अपार गुंजाइश है और बढ़ती मात्रा स्थानीयकरण को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बना सकती है। एयरबैग कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग भी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (PLI) स्कीम का एक हिस्सा है।

एयरबैग निर्माण के लिए इतनी पूंजीगत व्यय की उम्मीद

विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अगले वर्ष एयरबैग के निर्माण की क्षमता में काफी वृद्धि करने की आवश्यकता होगी। ICRA को उम्मीद है कि क्षमता वृद्धि के लिए अगले 12-18 महीनों में करीब 1,000-1,500 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की उम्मीद है।



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Viren Singh

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पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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