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भारत की जीडीपी और आर्थिक सुस्ती: कारण, नीतियाँ और समाधान

India GDP: 2024 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग $3.94 ट्रिलियन है, जो वैश्विक GDP का 3.6 फीसदी है।

Ankit Awasthi
Published on: 2 Feb 2025 4:02 PM IST
India GDP
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India GDP (social media) 

India GDP: 2024 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग $3.94 ट्रिलियन है, जो वैश्विक GDP का 3.6 फीसदी है। यह 2000 के दशक की शुरुआत में लगभग 2 फीसदी से बढ़कर आज के स्तर पर पहुंची है। लेकिन हाल ही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर (GDP Growth Rate) 5.4 फीसदी तक गिर गई है, जो पिछले दो वर्षों में सबसे कम है।

आर्थिक सुस्ती के मुख्य कारण

शहरी उपभोग में गिरावट – लोग कम खर्च कर रहे हैं, जिससे बाजार में मंदी आ रही है।

खाद्य महंगाई – आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से आम आदमी की क्रय शक्ति कम हो रही है।

निजी निवेश में कमी – कंपनियाँ नए निवेश करने से बच रही हैं, जिससे नौकरियों और विकास में रुकावट आ रही है।

तनख्वाह में वृद्धि नहीं – लोगों की आमदनी बढ़ नहीं रही, जिससे उनकी खरीदारी क्षमता घटी है।

बाहरी कारक – वैश्विक मंदी, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और व्यापार युद्ध जैसी स्थितियाँ भी भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही हैं।


सरकार द्वारा उठाए गए कदम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत 2024-25 के बजट में आर्थिक सुधारों के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए:

कर में कटौती – आयकर की सीमा बढ़ाई गई है, जिससे लोगों के पास अधिक पैसा बचेगा।

बुनियादी ढांचे पर निवेश – सड़कों, रेलवे और हवाई अड्डों के निर्माण में भारी निवेश किया गया है।

व्यापार सुधार – एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई गई है जो व्यापार को आसान बनाने के लिए नियमों में ढील देगी।

नवाचार और स्टार्टअप समर्थन – नए स्टार्टअप और MSMEs के लिए ऋण और अनुदान दिए गए हैं।


स्थिति सुधारने के लिए और क्या किया जा सकता है हालांकि सरकार ने कई कदम उठाए हैं। लेकिन कुछ अतिरिक्त नीतियाँ आर्थिक मंदी से निपटने में मदद कर सकती हैं:-

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना – कृषि क्षेत्र में तकनीकी सुधार, अधिक ऋण सहायता और किसानों के लिए बेहतर मूल्य नीति लागू करनी चाहिए।

नौकरी सृजन पर ध्यान – सरकारी और निजी क्षेत्रों में अधिक नौकरियाँ पैदा करने के लिए उत्पादन और सेवा क्षेत्रों में प्रोत्साहन दिया जाए।

MSME सेक्टर को बढ़ावा – छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए ब्याज दरें कम की जाएँ और उन्हें वैश्विक बाजारों से जोड़ने के प्रयास किए जाएँ।

निर्यात को बढ़ावा – ‘मेक इन इंडिया’ और अन्य योजनाओं के तहत भारत में बने उत्पादों को वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जाए।

डिजिटल और ग्रीन इकोनॉमी पर फोकस – डिजिटल सेवाओं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में निवेश को बढ़ाया जाए।


निष्कर्ष

भारत की अर्थव्यवस्था लंबे समय से विकास की राह पर रही है। लेकिन हाल ही में आई आर्थिक सुस्ती चिंता का विषय है। सरकार को मौजूदा नीतियों के साथ-साथ रोज़गार, निवेश और उपभोग को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाकर, MSME और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देकर नई तकनीकों का उपयोग कर भारत फिर से तेज़ी से बढ़ सकता है।



Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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