×

फिर से आई पटरी पर भारतीय अर्थव्यवस्था, जानिए जीडीपी विकास दर की ग्रोथ..

चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर में देश की आर्थिक जीडीपी (GDP ) दर 4.5 फीसदी से बढ़कर 4.7 फीसदी हो गई है। इससे पहले जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ घटकर 4.5 फीसदी के स्तर पर आ गया थी।

suman
Published on: 28 Feb 2020 5:06 PM GMT
फिर से आई पटरी पर भारतीय अर्थव्यवस्था, जानिए जीडीपी विकास दर की ग्रोथ..
X

नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर में देश की आर्थिक जीडीपी (GDP ) दर 4.5 फीसदी से बढ़कर 4.7 फीसदी हो गई है। इससे पहले जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ घटकर 4.5 फीसदी के स्तर पर आ गया थी। यह पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कम स्तर था। जबकि पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून में विकास दर 5 फीसदी पर थी।

बता दें कि मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 में छह महीने बाद जीडीपी विकास दर में ग्रोथ लौटी है। विशेषज्ञों का कहना हैं कि आर्थिक आंकड़ों में सुधार अच्छा संकेत है। लेकिन इसके 5 फीसदी के ऊपर जाने पर ग्रोथ की पूरी पिक्चर साफ होगी।

यह पढ़ें...अब तक सूखे की वजह से थी पहचान, कल बुंदेलखंड को पीएम मोदी देंगे बड़ी सौगात

जीडीपी किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का सबसे जरूरी पैमाना है. जीडीपी किसी खास अवधि के दौरान वस्तु और सेवाओं के उत्पादन की कुल कीमत है। भारत में जीडीपी की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही आधार पर होती है। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये उत्पादन या सेवाएं देश के भीतर ही होनी चाहिए। सरकारी

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी सीएसओ देशभर से उत्पादन और सेवाओं के आंकड़े जुटाता है इस प्रक्रिया में कई सूचकांक शामिल होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी आईआईपी और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई हैं।

जीडीपी का आंकड़ा

*अगर साल 2011 में देश में सिर्फ 100 रुपये की तीन वस्तुएं बनीं तो कुल जीडीपी हुई 300 रुपये और 2017 तक आते-आते इस वस्तु का उत्पादन दो रह गया, लेकिन क़ीमत हो गई 150 रुपये तो नॉमिनल जीडीपी 300 रुपये हो गया। यहीं बेस ईयर का फॉर्मूला काम आता है। 2011 की कॉस्टेंट कीमत (100 रुपये) के हिसाब से वास्तविक जीडीपी हुई 200 रुपये. अब साफ़-साफ़ देखा जा सकता है कि जीडीपी में गिरावट आई है।

*सीएसओ विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियों से समन्वय स्थापित कर आंकड़े एकत्र करता है। थोक मूल्य सूचकांक यानी डब्ल्यूपीआई और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई की गणना के लिए मैन्युफैक्चरिंग, कृषि उत्पाद के आंकड़े उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय जुटाता है।

यह पढ़ें...दिल्लीः केजरीवाल सरकार ने दी कन्हैया कुमार के खिलाफ राजद्रोह का केस चलाने की मंजूरी

* इसी तरह आईआईपी के आंकड़े वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाला विभाग जुटाता है। सीएसओ इन सभी आंकड़ों को इकट्ठा करता है फिर गणना कर जीडीपी के आंकड़े जारी करता है. मुख्य तौर पर आठ औद्योगिक क्षेत्रों के आंकड़े जुटाए जाते हैं।ये हैं- कृषि, खनन, मैन्युफैक्चरिंग, बिजली, कंस्ट्रक्शन, व्यापार, रक्षा और अन्य सेवाएं।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

suman

suman

Next Story