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भारत में रिकार्ड विदेशी निवेश, लेकिन शेयरों में ही लगा पैसा
India Record FDI: विदेशी निवेश को स्पष्ट करते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बताया है कि 60 खरब रुपये के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दो हिस्से हैं - पहला, सीधे भारत में हुआ निवेश और दूसरा, विदेशी निवेशकों द्वारा भारत से निकाला गया पैसा।
India Record FDI : कोरोना महामारी और उसकी आर्थिक मार के बावजूद 2021 में भारत को मिले रिकॉर्ड विदेशी निवेश से लगता है कि विदेशी कंपनियों ने भारत के लिए खजाना खोल दिया है। इस साल भारत में आया एफडीआई 81.7 बिलियन डॉलर यानी 60 खरब रुपये से ज्यादा का रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल एफडीआई में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले कभी किसी एक वर्ष में इतना निवेश नहीं आया था।
आंकड़ों का हिसाब
डीडब्लू की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी निवेश को स्पष्ट करते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बताया है कि 60 खरब रुपये के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दो हिस्से हैं - पहला, सीधे भारत में हुआ निवेश और दूसरा, विदेशी निवेशकों द्वारा भारत से निकाला गया पैसा। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में हुए सीधे निवेश में इस साल 2.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। जबकि विदेशी निवेशकों ने पिछले साल के मुकाबले इस साल 47 प्रतिशत ज्यादा पैसा भारत से निकाला है। रिजर्व बैंक मानता है कि भारत में हुए सीधे निवेश और कुल एफडीआई आंकड़ों में भारी अंतर है।
पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट
जानकारों के मुताबिक कुल विदेशी निवेश में 10 फीसदी की बढ़ोतरी के डेटा में एनपीआई यानी नेट पोर्टफोलियो इंवेस्टमेंट को भी शामिल कर लिया गया है। ये वह पैसा है जिसे कंपनियां भारत में लंबे समय के लिए लगाने के बजाए कुछ महीनों या सालों के लिए लगाती हैं और फायदा होने के बाद निकाल लेती हैं। ऐसे निवेश से न ही किसी देश के लोगों को नौकरियां मिलती हैं और न ही वहां बुनियादी ढांचे का विकास होता है। साल 2020-21 में विदेशी निवेशकों ने ऐसा ही किया। इन्होंने भारत में निवेश करने के बजाए भारतीय कंपनियों के कुछ शेयर खरीद लिए। इस तरह ऐसी कंपनियों का निवेश जो साल 2019-20 में मात्र 1 खरब रुपये था, वह साल 2020-21 के आंकड़ों में बढ़कर 25 गुना से ज्यादा हो गया।
27 खरब का शेयर निवेश
साल 2020-21 के आंकड़ों के मुताबिक इन नेट पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स ने 27 खरब रुपये से ज्यादा का निवेश किया और भारतीय कंपनियों के शेयर खरीदे। इससे भारतीय शेयर बाजार में सकारात्मक माहौल बना और सेंसेक्स 50 हजार के पार चला गया। कोरोना के दौर में देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के दौरान यह मात्र 27 हजार के स्तर पर था।
कुछ कंपनियों में हुआ निवेश
विदेशी निवेश के लिए साल 2020-21 की पहली तीन तिमाही के डेटा से कंपनियों के शेयर में हुए निवेश का पता चलता है। इन तीन तिमाही में कुल निवेश का 86 प्रतिशत हो चुका था। जिन कंपनियों के पास एफडीआई का सबसे बड़ा हिस्सा आया, उनमें से पहली तीन रिलायंस ग्रुप की कंपनियां - जियो प्लेटफॉर्म्स, रिलायंस रीटेल वेंचर्स और रिलायंस बीपी मोबिलिटी हैं। जिनमें भारत के कुल इक्विटी निवेश का 54 फीसदी से ज्यादा यानी करीब 20 खरब रुपये निवेश किया गया है। निवेश ज्यादातर बड़ी अमेरिकी कंपनियों ने किया है। फेसबुक, गूगल, इक्विटी निवेशक केकेआर एंड कंपनी और सेमीकंडक्टर कंपनी क्वॉलकॉम सहित 14 कंपनियों ने मिलकर यह निवेश किया है।
निवेश से फायदा
विकासशील देशों में उद्योग-धंधे बढ़ाने और नौकरियां पैदा करने में एफडीआई का अहम रोल होता है। इससे देश के इंफ्रास्ट्रक्चर का भी विकास होता है। लेकिन ये निवेश इन्फ्रास्ट्रक्चर में होना चाहिए।
बहरहाल, भारत सरकार का कहना है कि सरकार की नीतियों, निवेश सुविधाओं और सरकार की ओर से उठाए गए कदमों ने देश में आने वाले एफडीआई को बढ़ाया है। ये सही भी है क्योंकि विदेशी कम्पनियां अनुकूल हालात देख कर ही निवेश करती हैं।
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