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Indian Foreign Exchange Reserves पहली बार 600 बिलियन डॉलर के पार, हर इंसान के पास 504 डॉलर

Indian Foreign Exchange Reserves 2021: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 600 बिलियन डॉलर के पार गया है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shreya
Published on: 12 Jun 2021 3:40 PM IST
Indian Foreign Exchange Reserves पहली बार 600 बिलियन डॉलर के पार, हर इंसान के पास 504 डॉलर
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(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Indian Foreign Exchange Reserves 2021: 4,76,20,88,50,00,000 रुपये। जी हां, भारत के पास इतना विदेशी मुद्रा भंडार (India Foreign Exchange Reserves) है। 605 बिलियन डॉलर यानी भारत की 135 करोड़ की आबादी के हिसाब से 504 डॉलर प्रति व्यक्ति।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 600 बिलियन डालर के पार गया (Forex Reserves Cross 600 Cillion Dollar Mark For First Time) है और भारत अब रूस के लगभग बराबर और दुनिया में चौथे स्थान पर है। जहां भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 605.008 बिलियन डालर का है वहीं रूस के पास 605.2 बिलियन डालर हैं।

एक साल में 100 बिलियन बढ़े

नवम्बर 2017 में शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) के रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर (Reserve Bank Of India Governor) बनने के बाद भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में लगातार बढ़ोतरी होती गई है और ये सिर्फ एक साल में 100 बिलियन डालर (100 Billion Dollars) बढ़ गया है।

विदेशी मुद्रा का खजाना बढ़ने से भारत का आयात कवर भी बहुत बेहतर हुआ है। दिसम्बर 2020 तक भारत के पास इतनी विदेशी मुद्रा थी कि 18.6 महीने तक आयात का बिल अदा किया जा सके।

(प्रतीकात्मक फोटो साभार- सोशल मीडिया)

विदेशी मुद्रा का खजाना बढ़ाने के पीछे ये सोच रहती है कि किसी अनहोनी की स्थिति में काम चलता रहे। इसके अलावा रिजर्व बैंक के पास इतना रिजर्व होना चाहिए कि 2013 की ग्लोबल मंदी जैसी दशा में रुपए की वैल्यू एकदम से गिरने न पाए। तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि विदेशी मुद्रा रिजर्व बहुत तेजी से बढ़ने को अमेरिका ने 'करेंसी का गोलमाल' मानकर भारत को ऐसे अन्य देशों के साथ निगरानी लिस्ट में डाल दिया है। लेकिन रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि विदेशी मुद्रा रिजर्व खराब समय के लिए इंश्योरेंस की तरह है और भारत अपनी जरूरत के हिसाब से इसे बढ़ाता रहेगा।

विदेशी मुद्रा भंडार का निवेश अमेरिका के ट्रेजरी बांड जैसी अन्य विदेशी संपत्तियों में किया जाता है। लेकिन वर्तमान समय मे ऐसे निवेश पर बहुत कम ब्याज है जिसके कारण रिजर्व बैंक को अपने निवेश पर पर्याप्त रिटर्न नहीं मिल रहा है।

2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि विदेशी मुद्रा पर इस साल 2.1 फीसदी की दर से रिटर्न मिला जबकी साल भर पहले ये 2.65 फीसदी की दर से था।

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