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महंगाई की तगड़ी मार: ब्रिटेन में मुद्रास्फीति 40 साल के रिकॉर्ड स्तर पर, वित्त मंत्री ने दिया ये बयान

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि 2023 में ब्रिटेन को धीमी आर्थिक विकास और किसी भी अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक लगातार मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ेगा।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By aman
Published on: 18 May 2022 2:47 PM GMT
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ब्रिटेन में मुद्रास्फीति 40 साल के रिकॉर्ड स्तर पर (फोटो-सोशल मीडिया)

Inflation In UK 2022 : ब्रिटेन में मुद्रास्फीति 1982 के बाद से अपनी उच्चतम वार्षिक दर पर पहुंच गई है। इसकी वजह से वित्त मंत्री ऋषि सुनक पर जबरदस्त दबाव है कि वे मंदी के जोखिम के बावजूद ब्याज दरों में वृद्धि जारी रखने के लिए और अधिक सहायता प्रदान करें।

ब्रिटेन में यूरोप की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रास्फीति सबसे अधिक है। कनाडा और जापान के अलावा जी- 7 देशों के अन्य सदस्यों ने अभी तक अप्रैल के आंकड़ों की रिपोर्ट नहीं की है। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी अन्य देश की स्थिति के ब्रिटेन की मूल्य वृद्धि से मेल खाने की संभावना नहीं है। ब्रिटेन में मुद्रास्फीति की बड़ी दर लंबे समय तक चलने के अनुमान हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि 2023 में ब्रिटेन को धीमी आर्थिक विकास और किसी भी अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक लगातार मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ेगा।

'हम वैश्विक चुनौतियों से नहीं बचा सकते'

मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारक बढ़ता ईंधन बिल है। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के प्रभावों का मतलब है कि ईंधन बिलों में अक्टूबर में फिर से ऊंची छलांग लगाने की संभावना है। अक्टूबर में इसलिए कि सर्दियों की शुरुआत से ऊर्जा खपत तेजी से बढ़ेगी। ब्रिटिश वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने कहा है कि, 'हम लोगों को वैश्विक चुनौतियों से पूरी तरह से नहीं बचा सकते हैं, लेकिन जहां हम कर सकते हैं वहां महत्वपूर्ण सहायता प्रदान कर रहे हैं और आगे की कार्रवाई के लिए तैयार हैं। बताया जाता है कि वित्त मंत्री सुनक करों में कटौती और घरेलू हीटिंग लाभ को सैकड़ों पाउंड तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।'

वित्त मंत्री पर जबरदस्त दबाव

ब्रिटेन के बजट पूर्वानुमानकर्ताओं का कहना है कि, 1950 के दशक के बाद से लोगों को सबसे बड़ी लागत का सामना करना पड़ता है, और उपभोक्ता विश्वास अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सुनक पर जबरदस्त दबाव है कि वे कल्याण लाभों में तत्काल वृद्धि करें। कम आय वाले परिवारों के लिए अभियान चलाने वाले जोसेफ राउनट्री फाउंडेशन के वरिष्ठ अर्थशास्त्री रेबेका मैकडोनाल्ड ने कहा है कि सुनक की निष्क्रियता कई लोगों के लिए पहले से ही निराशाजनक स्थिति को और भी बदतर बना देगी।

महंगाई की मार, हीटिंग बेकार

एक सर्वेक्षण से पता चला है कि महंगाई की वजह से हर तीन में से दो लोगों ने अपने घर की हीटिंग बंद करके रखी हुई है। लगभग आधे लोग अब कम ड्राइविंग कर रहे हैं, लोग सस्ते सामान के लिए सुपरमार्केट बदल रहे हैं और एक चौथाई से अधिक का कहना है कि उन्होंने एक टाइम का भोजन छोड़ दिया है। ब्रिटेन में पिछले साल अप्रैल से इस अप्रैल तक खाद्य कीमतों में लगभग 7 फीसदी की वृद्धि हुई है। बैंक ऑफ़ इंग्लैंड के गवर्नर एंड्रयू बेली ने सांसदों को बताया है कि खाद्य कीमतों में वृद्धि एक बड़ी चिंता है।

सरकारी पॅकेज भी बेअसर

बहरहाल, बोरिस जॉनसन सरकार का कहना है कि उसने जरूरतमंद परिवारों के लिए 22 बिलियन पाउंड का पैकेज दिया है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इस पैकेज का असर हाल ही में हुई वृद्धि से खत्म हो गया है। यानी कामगारों को कोई लाभ नहीं मिला है। रेस्तरां और कैफे द्वारा कीमतों में वृद्धि हो गयी है क्योंकि मूल्य वर्धित कर (वैट) की दरें अप्रैल में अपने पूर्व-महामारी के स्तर पर वापस चली गईं हैं। इसने भी मुद्रास्फीति बढ़ाने में योगदान किया है। फैक्ट्रियों ने 12 महीनों से अप्रैल तक कीमतों में 14.0 फीसदी की वृद्धि की, जो जुलाई 2008 के बाद सबसे बड़ी छलांग है।

आगे क्या होगा

बैंक ऑफ़ इंग्लैंड ने भविष्यवाणी की है कि मुद्रास्फीति इस साल के अंत में 10 फीसदी से ऊपर होगी। ऐसे में निवेशकों को उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक दिसंबर से लागू की गई चार ब्याज दरों में और वृद्धि करेगा तथा बैंक दर को 1 फीसदी तक ले जाएगा, जो 2009 के बाद से सबसे अधिक है। बैंक ऑफ अमेरिका ने इस सप्ताह बैंक ऑफ़ इंग्लैंड की आलोचना की थी कि वह अपनी प्रतिक्रिया के बारे में स्पष्ट नहीं है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक ऑफ़ इंग्लैंड कम पारदर्शी हो गया है और मौद्रिक नीति कथित राजनीतिकरण के शिकंजे में है। एक पूर्व कंजर्वेटिव रक्षा मंत्री, लियाम फॉक्स ने पिछले हफ्ते बैंक ऑफ़ इंग्लैंड पर मुद्रास्फीति की वृद्धि को पहले से पहचानने में विफल रहने का आरोप लगाया है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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