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Budget 2025: फोकस में मिडिल क्लास, लेकिन मिडिल क्लास में है कौन?
Budget 2025: पार्टी ने "मिडिल क्लास घोषणापत्र" जारी किया, जिसमें केंद्र से कई मांगें की गईं, जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य आवंटन में वृद्धि और कर छूट सीमा को बढ़ाना शामिल है।
Budget 2025: संसद में नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 का पहला पूर्ण बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने "मिडिल क्लास"को ध्यान में रखते हुए कई घोषणाएं कीं। आयकर स्लैब में बड़े बदलावों की घोषणा करते हुए सीतारमण ने कहा कि 12 लाख रुपये प्रति वर्ष की आय तक कोई आयकर नहीं देना होगा।
इसके पहले बजट सत्र के पहले दिन संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत की आर्थिक प्रगति को “मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं और उन आकांक्षाओं की पूर्ति” से जोड़ा था। 31 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने भी मिडिल क्लास की बात करते हुए कहा था: "मैं प्रार्थना करता हूं कि मां लक्ष्मी हमारे देश के गरीब और मध्यम वर्ग को आशीर्वाद देती रहें और अपना आशीर्वाद बरसाती रहें।" 5 फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के चलते आम आदमी पार्टी ने भी मध्यम वर्ग को टारगेट बनाने का बीड़ा उठा लिया है। पार्टी ने "मिडिल क्लास घोषणापत्र" जारी किया, जिसमें केंद्र से कई मांगें की गईं, जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य आवंटन में वृद्धि और कर छूट सीमा को बढ़ाना शामिल है।
क्या हैं मिडिल क्लास की परिभाषाएँ
मिडिल क्लास की बात तो बहुत हो रही है लेकिन भारत के संदर्भ में इस वर्ग की कोई एक समान परिभाषा नहीं है। परिभाषाओं के कुछ अनुमान आय-आधारित हैं जबकि कुछ उपभोग आधारित हैं। कुछ अनुमान करदाताओं की संख्या या शिक्षा और व्यवसाय के आधार पर शामिल हैं।
- मिसाल के तौर पर, 2022 में पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी द्वारा प्रकाशित एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में मध्यम वर्गीय परिवार को ऐसे परिवार के रूप में परिभाषित किया गया जो प्रति वर्ष 5 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के बीच कमाता है। मध्यम वर्गीय व्यक्ति को ऐसे रूप में परिभाषित किया गया है, जो प्रति वर्ष 1.09 लाख रुपये से 6.46 लाख रुपये के बीच कमाता है।
- नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च, मध्यम वर्गीय परिवार की आय को प्रति वर्ष 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच रखता है।
- नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी और एस्तेर डुफ्लो ने 2008 में भारतीय मध्यम वर्ग को इस प्रकार परिभाषित किया था कि इसका दैनिक प्रति व्यक्ति खर्च 2 डॉलर (लगभग 160 रुपये) और 10 डॉलर (800 रुपये) के बीच है, या प्रति वर्ष 58,000 रुपये से 2.9 लाख रुपये के बीच है।
- जहां तक सरकार का सवाल है, सालाना 8 लाख रुपये से कम कमाने वाले परिवारों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) का हिस्सा माना जाता है। इस प्रकार ये वर्ग कुछ प्रकार के आरक्षण के लिए पात्र हो जाते हैं।
कितना बड़ा है भारतीय मिडिल क्लास
2022 में पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (प्राइस) ने मिडिल क्लास की आबादी के अनुमान प्रकाशित किए थे। इसके अनुसार, 2020-21 में भारत के मिडिल क्लास की आबादी लगभग 31% थी यानी लगभग 43.2 करोड़ लोग या 94,000 से अधिक परिवार। प्राइस के अनुसार, मिडिल क्लास की आबादी 2046-47 तक 100 करोड़ को पार करने की उम्मीद है, जो आबादी का 61 फीसदी हिस्सा है।
हालांकि, मिडिल क्लास की आबादी के आंकड़े बहुत भिन्न हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के एक विश्लेषण से पता चला है कि भारत में 2022 में 46 करोड़ मिडिल क्लास के थे। 2021 में, अमेरिकी थिंक टैंक, प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए विश्लेषण में पाया गया कि भारत की मध्यम आय वाली आबादी (जिसे इसने द्वारा प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 10 से 20 डॉलर की खपत वाले घरों के रूप में परिभाषित किया गया है), कोरोना महामारी से पहले 9.9 करोड़ लोगों से घटकर उसके बाद 6.6 करोड़ हो गई। इसके नवीनतम अनुमान के आधार पर, मिडिल क्लास भारत की आबादी का सिर्फ़ 4.78% है। प्यू रिसर्च के अनुसार अधिकांश भारतीय निम्न आय वर्ग में आते हैं, जिसमें प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 2 से 10 डॉलर की खपत वाले लोग शामिल हैं। बहरहाल, करदाताओं के आधार पर गणना किए गए एक सरकारी अनुमान के अनुसार 2011-12 में मध्यम वर्ग की संख्या 2.87 करोड़ थी, जो कुल जनसंख्या का लगभग 2% थी।