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Cryptocurrency: भारत सरकार बैन की तैयारियों में जुटी, अधिकतर क्रिप्टोकरेंसी गिरी मुंह के बल
भारत सरकार एक तरफ क्रिप्टोकरेंसी पर शिकंजा कसने की तैयारियों में जुटी है। उम्मीद है कि सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को बैन किया जा सकता है। ऐसी खबरों के आते ही सभी प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी मुंह के बल गिर गई।
भारत सरकार एक तरफ क्रिप्टोकरेंसी पर शिकंजा कसने की तैयारियों में जुटी है। उम्मीद है कि सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को बैन किया जा सकता है। ऐसी खबरों के आते ही सभी प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी मुंह के बल गिर गई। अधिकतर में 15 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। बता दें, कि केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में इस संबंध में बिल लेकर आ रही है।
कौन सी क्रिप्टोकरेंसी कितनी गिरी?
केंद्र सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर शिकंजा कसने की तैयारियों में आगे बढ़ रही है, आगामी संसद सत्र में इसे लेकर बिल भी लेकर आ रही है उस बीच विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। सबसे पॉपुलर बिटकॉइन (Bitcoin) में तो करीब 15 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई। वहीं, एथेरियम (Ethereum) में 12 फीसद, टीथर(Tether) में करीब 6 प्रतिशत और यूएसडी कॉइन (USD Coin) में करीब 8 फीसद की गिरावट देखी गई।
बता दें, कि भारत में बिटकॉइन कीमत 15 प्रतिशत गिरकर 40,28,000 रुपए, एथेरियम की कीमत 3,05,114 रुपए, टीथर की कीमत करीब 76 रुपए, कारडानो की कीमत करीब 137 रुपए तक पहुंच गई है।
सरकार ला रही ये बिल
उल्लेखनीय है, कि सभी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrencies) पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में 'द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021' लाने जा रही है। क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrencies) तकनीक के इस्तेमाल में राहत देने के लिए ही केंद्र सरकार इस बिल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) की ओर से सरकारी डिजिटल करेंसी चलाने के फ्रेमवर्क का प्रावधान रखेगी। इस बिल के संबंध में लोकसभा बुलेटिन में सरकार की ओर से जानकारी दी गई है। गौरतलब है, कि वित्त मामलों की संसदीय समिति में क्रिप्टो करेंसी के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। चर्चा में पाबंदी की बजाए नियमन का सुझाव दिया गया था।
कहां से संचालित हो रही, कोई खबर नहीं
इस वक़्त देश में लोग बड़े पैमाने पर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते देखे जा रहे हैं। इन करेंसी में व्यापक उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। साथ ही, इसका कुछ पता नहीं होता, कि ये कहां से शुरू हो रही हैं और कहां से संचालित हो रही हैं। इसी सब मुद्दे को देखते हुए केंद्र सरकार बिल लाने जा रही है।