Mukesh Ambani: अब सबसे बड़ी डील करेगी रिलायंस, जाने इतनी महंगी कंपनी क्यों खरीद रहे अंबानी

Mukesh Ambani News: एशिया के सबसे रईस उद्योगपति मुकेश अंबानी दुनिया की सबसे बड़ी ड्रग रिटेलर कंपनियों में शुमार बूट्स को खरीदने की तैयारी में हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 12 Jun 2022 3:38 AM GMT (Updated on: 12 Jun 2022 3:39 AM GMT)
Mukesh Ambani buy Boots
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Mukesh Ambani buy Boots (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Mukesh Ambani buy Boots: देश के दिग्गज और एशिया के सबसे रईस उद्योगपति मुकेश अंबानी व्यापार के नए क्षेत्र में प्रवेश करने जा रहे हैं। तेल और टेलीकॉम सेक्टर में धमाल मचाने के बाद रिलायंस समूह के अध्यक्ष की निगाह अब मेडिसिन के विशाल मार्केट (Medicine Market) पर है। अंबानी यूके स्थित वालग्रीन्स के ड्रग रिटेलर ब्रांड बूट्स (Drug Retailer Brand Boots) को खरीदने की कोशिश में जुटे हुए हैं। बूट्स दुनिया की सबसे बड़ी ड्रग रिटेलर कंपनियों में से एक है। अगर ये डील पक्की हो जाती है तो यह रिलांयस का दवा बाजार में धमाकेदार एंट्री होगी।

रिलायंस ने दिया इतनी रकम का ऑफर

ब्लूमबर्ग के रिपोर्ट के अनुसार, रिलांयस इंडस्ट्रीज (RIL) और यूएस बॉयआउट फर्म अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट ने अधिग्रहण के लिए बाइंडिंग ऑफर पेश किया है। रिलांयस ने कंपनी को खरीदने के लिए 5 अरब पाउंड यानि भारतीय मुद्रा में करीब 48 हजार करोड़ रूपये का ऑफर दिया है। मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक, यदि ये डील फाइनल हो जाती है तो विदेश में यह रिलायंस की अब तक की सबसे बड़ी डील होगी।

वालग्रीन्स का प्रपोजल

इस मामले की जानकार रखने वालों ने कहा कि वालग्रीन्स ने बूट्स को बेचने के लिए 7 अरब पाउंड यानि 67,372 करोड़ रुपये का वैल्यूएशन रखा था। लेकिन अब इस्सा भाईयों के हटने के कारण केवल रिलायंस और अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट के कंसोर्टियम का ऑफर ही बचा है। बता दें कि बूट्स पूरे यूके में 2200 से अधिक स्टोर्स का नेटवर्क चलाता है। साथ ही यह No7 ब्यूटी कंपनी जैसे निजी-लेबल ब्रांड भी चलता है। इसके अलावा कंपनी के पास यूरोप के अन्य देशों में भी विशाल कारोबार है।

रिलायंस का दावा मजबूत

शुरूआत में इस ड्रग रिटेल ब्रांड के अधिग्रहण की रेस में ब्रिटेन के बिलेनियर इस्सा ब्रदर्स भी शामिल थे। जो गुजरात के ही भरूच जिले से ताल्लूक रखते हैं। दोनों भाईयों ने मिलकर टीडीआर कैपिटल के साथ बोली लगाई थी। मगर अब उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया, क्योंकि उन्हें वालग्रीन का वैल्यूएशन अधिक लगा। इस तरह अब रेस में केवल रिलायंस और अपोलो ग्लोबल कंसोर्टियम ही रह गया है। बता दें कि रिलायंस इससे पहले भी एक ब्रिटिश खिलौना बनाने वाली कंपनी का अधिग्रहण कर चुकी है।

रिलायंस की दवा बाजार में दिलचस्पी

मेडिसिन का बाजार (Pharmaceutical Market) हमेशा से एक बड़ा बाजार रहा है। साथ ही इसका व्यापार भी फायदे का सौदा रहा है। कोरोना महामारी (Corona Virus) के बाद से दवा बाजार की ग्रोथ बढ़ी है। वहीं बात करें भारत की तो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला यह देश ग्लोबल मार्केट में फार्मेसी का हब माना जाता है। एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक भारत का दवा बाजार 55 अरब डॉलर का हो जाएगा। रिलायंस समूह के चेयरमेन मुकेश अंबानी इस डील के सहारे भविष्य में भारत के विशाल दवा बाजार में भी एंट्री मार सकते हैं।

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Shreya

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