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Amazon पर 200 करोड़ का जुर्माना, फ्यूचर ग्रुप केस में NCLAT का आदेश

Future Group Case: CCI के आदेश को जारी रखते हुए नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने फ्यूचर ग्रुप केस में अमेजॉन (Amazon) पर 200 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।

Bishwajeet Kumar
Written By Bishwajeet Kumar
Published on: 13 Jun 2022 6:06 AM GMT (Updated on: 13 Jun 2022 7:15 AM GMT)
Amazon
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 Amazon (Image Credit : Social Media) 

Future Group Case : नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने आज Amazon के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश को बरकरार रखते हुए अमेरिकी रिटेल दिग्गज कंपनी अमेजॉन को 45 दिनों के भीतर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने करने को कहा है। बता दें साल 2021 के दिसंबर महीने में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए Amazon के सौदे को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही उस वक्त भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अमेजॉन पर 200 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। सीसीआई के इसी आदेश को बरकरार रखते हुए आज नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने अमेजॉन पर 200 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।

फ्यूचर ग्रुप में हिस्सेदारी खरीदने के लिए 2019 में बनी थी सहमति

साल 2019 के अगस्त महीने में फ्यूचर कूपन में अमेजॉन ने 49 फ़ीसदी तक हिस्सेदारी खरीदने का फैसला किया था। स्कूल हिस्सेदारी का कन्वर्टिबल वारंट फ्यूचर रिटेल में 7.3 फ़ीसदी थी। इसके साथ ही यह सऊदी में यह भी फैसला किया गया था कि अगले 3 से 10 साल के बाद फ्यूचर रिटेल में भी हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार अमेजॉन को मिल जाएगा।

हालांकि इसके बाद विवाद उत्पन्न होने पर सीसीआई ने इस मामले को लेकर सुनवाई की थी। जिसमें अमेजॉन पर यह आरोप लगा था कि उसने सौदा करते वक्त अपने सही जानकारियों को साझा नहीं किया। सीसीआई के इसी आदेश पर आज एनसीएलटी में मुहर लगाते हुए फ्यूचर रिटेल में निहित अपने स्वार्थ के बारे में सही और संपूर्ण जानकारी ना देने के कारण अमेजॉन पर 200 करोड़ का जुर्माना लगाया है।

बता दें फ्यूचर ग्रुप कूपन और ऐमेज़ॉन के बीच हुए इस डील में कुल 1400 करोड़ रुपए का निवेश होना था। शुरुआती दौर में सौदा पूरा ठीक रहा मगर कुछ दिन बाद रिलायंस और फ्यूचर रिटेल के बीच हुए डील के बाद विवाद उत्पन्न हो गया। जिसके बाद दोनों कंपनियों के बीच एक बड़ी कानूनी लड़ाई छिड़ गई। ऐमेज़ॉन का आरोप है कि रिलायंस के साथ हुई करार उसके निवेश के समझौतों का उल्लंघन करता है।

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