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NSO Report : आर्थिक विकास को झटका, जीडीपी ग्रोथ रेट में भारी गिरावट

NSO Report : आर्थिक मोर्चे पर कुछ चिंताजनक स्थिति है क्योंकि भारत की जीडीपी ग्रोथ दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 फीसदी पर आ गई है।

Neel Mani Lal
Published on: 29 Nov 2024 7:47 PM IST
NSO Report : आर्थिक विकास को झटका, जीडीपी ग्रोथ रेट में भारी गिरावट
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NSO Report : आर्थिक मोर्चे पर कुछ चिंताजनक स्थिति है क्योंकि भारत की जीडीपी ग्रोथ दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 फीसदी पर आ गई है। ये लेवल 6.5 प्रतिशत के आम सहमति अनुमान से काफी कम है। इसकी वजह मैन्युफैक्चरिंग और खनन में सुस्ती, सरकारी खर्च की लगातार धीमी रफ्तार और कमजोर निजी खपत है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों से ये पता चला है।।भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में उम्मीद से कहीं अधिक सिकुड़ गया है। विनिर्माण और खनन क्षेत्रों में सुस्त वृद्धि और कमजोर शहरी खपत के कारण साल-दर-साल सिर्फ 5.4 प्रतिशत बढ़ा है।

क्या था अनुमान

अर्थशास्त्रियों ने व्यापक रूप से अनुमान लगाया था कि दूसरी तिमाही में जीडीपी 6.5 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। लेकिन अर्थव्यवस्था ने अनुमानों को पीछे छोड़ दिया और पिछली अप्रैल-जून तिमाही में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में कई तिमाहियों के निचले स्तर पर गिर गई। पिछले महीने भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में गवर्नर शक्तिकांत दास ने दूसरी तिमाही के लिए 7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था।

क्या कहते हैं आंकड़े

एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, - जुलाई सितंबर में कृषि उत्पादन में पिछले साल की तुलना में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछली तिमाही में इसमें दो प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

- विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर पिछली तिमाही के सात प्रतिशत से घटकर 2.2 प्रतिशत रह गई।

- खनन क्षेत्र में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 11.1 प्रतिशत तथा क्रमिक रूप से 7.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि को उलट देता है।

- निर्यात में केवल मामूली वृद्धि देखी गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 5 प्रतिशत तथा पिछली तिमाही में 8.7 प्रतिशत से कम होकर 2.8 प्रतिशत हो गई।

- अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि निजी खपत, जो सकल घरेलू उत्पाद का 60 प्रतिशत है, पर ग्रामीण मांग में सुधार के बावजूद खाने पीने की चीजों में महंगाई, उधार की ऊंची लागत और कमजोर वास्तविक मजदूरी वृद्धि के चलते शहरी खर्च में कमी का असर पड़ा है।

- अप्रत्याशित मंदी से रिज़र्व बैंक पर दबाव बढ़ने की संभावना है, जिसने मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के बीच बेंचमार्क रेपो दर को स्थिर रखा है। ताजा आंकड़े सामने आने के बाद बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या अब रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं करने के अपने रुख पर कायम रहेगा या उसमें कोई बदलाव आएगा?



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Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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