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सारे किसान ध्यान दें: क्या है PM PRANAM योजना ? यूपी सहित अन्य राज्यों के किसानों को कैसे होगा फायदा
PM Pranam Yojana Sacheme: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2023 में खेतों में वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए पीएम प्रणाम योजना शुरू करने की घोषणा की थी।
PM Pranam Yojana Sacheme: बीते कई वर्षों से देश का किसान खेतों से फसलों की अधिक उपज लालच में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहा है। इससे हो क्या रहा है कि किसानों को फसलों की अधिक उपज तो मिल रही, लेकिन उससे पैदा हुई फसल बीमार ग्रस्त हैं। इसको खाने से मनुष्य कई प्रकार की बीमीररियों से तो ग्रस्त हो रही है, ऊपर से खेतों की उर्वरक क्षमता भी खत्म होती जा रही है। इससे केंद्र सरकार काफी चिंतत थी और इसको एक बड़ा कदम उठाया है।
बजट 2023 में हुई थी योजना की घोषणा
दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2023 में खेतों में वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए पीएम प्रणाम योजना शुरू करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने इस साल जून में यूरिया सब्सिडी योजना 3,68,000 करोड़ रुपये के पैकेज को भी मंजूरी प्रदान कर चुकी है। ऐसे अगर आप किसान हैं और अपने खेतों में फसल तैयार करने ले लिए वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग करना चाहते हैं तो इस योजना का लाभ उठा सकता हैं। तो आइये जानते हैं कि कैसे किसान इस योजना का लाभ उठाएं?
पीएम-प्रणाम योजना क्या है?
यह योजना धरती माता की पुनर्स्थापना, जागरूकता, पोषण और सुधार कार्यक्रम (PRANAM) के लिए है। यह योजना वैकल्पिक उर्वरकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करने के लिए है। इस योजना का उद्देश्य राज्यों में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना है। सरकार ने इस योजना के लिए कोई अलग से बजट न रखकर उर्वरक विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के तहत मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत से वित्त पोषित करेगी।
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राज्यों को ऐसा मिलेगा अनुदान
पीएम प्रणाम योजना पर केंद्रीय मंत्री डॉ.मनसुख मांडविया ने बयान देते हुए कहा था कि जो राज्य रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करेंगे, केंद्र सरकार की ओर से उन्हें सहायता दी जाएगी। इसमें राज्य को 50% सब्सिडी बचत अनुदान के रूप में दी जाएगी। योजना के तहत राज्य को दिए जाने वाले कुल अनुदान में से 70% का उपयोग गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरकों और वैकल्पिक उर्वरक उत्पादन इकाइयों की तकनीकी अपनाने से संबंधित संपत्ति निर्माण के लिए किया जा सकता है। शेष 30% का उपयोग किसानों, पंचायतों, किसान-उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाएगा, जो उर्वरक उपयोग में कमी और जागरूकता पैदा करने में शामिल हैं। इसका लाभ उन्हें राज्यों को मिलेगा, जिन्होंने पिछले तीन वर्षों की तुलना में औसतन कम रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया है। राज्यों को कम उर्वरक का उपयोग करके जो उर्वरक सब्सिडी बचत प्राप्त होती है, उसे 50% की दर से वितरित किया जाएगा।
सरकार का उर्वरक सब्सिडी बढ़ाने का लक्ष्य
प्रस्तावित योजना का उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी का बोझ कम करना है, जो 2022-2023 में बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष के 1.62 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से 39% अधिक है, जबकि पिछले वर्ष केंद्र ने उर्वरक सब्सिडी पर लगभग 1.62 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे और 2022-2023 में इसके बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
गेम चेंजर साबित होगी योजना
केंद्र सरकार का कहना है कि यह यह कार्यक्रम कृषि उद्योग के लिए गेम-चेंजर साबित होगा। इससे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा ही। साथ ही, फसलों की उपज बढ़ेगी और सरकार के ऊपर सब्सिडी का बोझ कम होगा।
करना होगा ऑनलाइन अप्लाई
हालांकि इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा,लेकिन अभी केंद्र सरकार की ओर से इस योजना के लिए कोई आधिकारिक वेबसाइट लॉन्च नहीं की गई है। जल्दी ही जारी होने की उम्मीद है।