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RBI Governor: कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव-2023 में शामिल हुए RBI गवर्नर, कहा: मौजूदा आर्थिक माहौल में नीति निर्धारण हुआ जटिल
RBI Governor Shaktikanta Das: कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि मौद्रिक नीति हमेशा एक चुनौतीपूर्ण कार्य रही है। यहां पर किसी भी समय आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं हो सकती है।
RBI Governor Shaktikanta Das: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि मौजूदा आर्थिक माहौल में नीति निर्धारण असाधारण रूप से जटिल हो गया है। आरबीआई ने फरवरी 2023 से अब तक नीतिगत दरों को यथावत रखा है। बीते एक साल में रेपो रेट में हुई 200 आधार अंकों की बढ़ोतरी अभी भी सिस्टम के माध्यम से काम कर रही है। दास ने यह बातें शुक्रवार को कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव-2023 को संबोधित करते हुए कहीं।
भारतीय अर्थव्यवस्था का लचीलापन प्रदर्शित
इस दौरान आरबीआई गर्वनर दास ने भारत की मौद्रिक नीति के प्रबंधन और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने की चुनौतियों और जटिलताओं पर प्रकाश डाला। गवर्नर ने कहा कि आरबीआई ने 2023 से अभी तक नीतिगत दरों में कोई वृद्धि नहीं की है। यानी दरों को स्थिर रखा है। हाल के दिनों में लागू की गई 200 आधार अंकों की बढ़ोतरी अभी भी सिस्टम के माध्यम से अपना काम कर रही है। दास ने वैश्विक विकास में मंदी और जटिल मुद्रास्फीति (महंगाई) सहित वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों को भी स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर इन चुनौतियों के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय लचीलापन प्रदर्शित किया है।
खाद्य महंगाई पर सावधनी बररतें की जरूरत
मुद्रास्फीति की गतिशीलता पर आरबीआई की सतर्कता पर प्रकाश डालते हुए आरबीआई गवर्नर ने खाद्य मुद्रास्फीति को लेकर अनिश्चितताओं के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यहां पर सावधानी बरतने की जरूरत है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हम मुद्रास्फीति की गतिशीलता पर अतिरिक्त सतर्क रहते हैं। इसमें खाद्य मुद्रास्फीति पर दृष्टिकोण अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इस वक्त तिकड़ी चुनौतियां का सामना कर रहा है। इसमें धीमी वृद्धि, वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम और मुद्रास्फीति कम होने की धीमी गति शामिल है। इन चुनौतियों ने केंद्रीय बैंकों के कार्य को और भी जटिल बना दिया है।
मौद्रिक नीति में चुनौतियां
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि मौद्रिक नीति हमेशा एक चुनौतीपूर्ण कार्य रही है। यहां पर किसी भी समय आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं हो सकती है। केंद्रीय बैंक को विकास को बढ़ावा देने और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के बीच एक नाजुक संतुलन का सामना करना पड़ता है, इन उद्देश्यों के बीच टकराव की संभावना होती है।
बैंकिंग क्षेत्र का लचीलापन
उन्होंने उल्लेख किया कि मैक्रो स्ट्रेस परीक्षणों से संकेत मिलता है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) से गंभीर आर्थिक परिदृश्यों में भी नियामक पूंजी स्तरों का अनुपालन करने की उम्मीद की जाती है। उन्होंने भविष्य के संकटों को रोकने के लिए अच्छे समय के दौरान कमजोरियों की पहचान करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) को सतर्क रहना चाहिए। इस दौरान छत बनाने के साथ दीवारों को ठीक करने की जरूरत है।