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RBI Monetary Policy: फिर सस्ती नहीं हुई EMI, 4 प्रतिशत ही रहेगा रेपो रेट, RBI ने महंगे कच्चे तेल को लेकर किया आगाह
रिजर्व बैंक के गवर्नरशक्तिकांत दास ने आज बैठक में लिए गए फैसलों का ऐलान करते हुए कहा, 'इस बार भी नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसका मतलब है कि लगातार 10वीं बार रिजर्व बैंक ने दरों को जस का तस रखा है।
RBI Monetary Policy: नए साल यानी 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पहली मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) या एमपीसी की बैठक के नतीजे सामने आ चुके हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर (Reserve Bank Governor) शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने आज बैठक में लिए गए फैसलों का ऐलान करते हुए कहा, 'इस बार भी नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसका मतलब है कि लगातार 10वीं बार रिजर्व बैंक ने दरों को जस का तस रखा है।
गौरतलब है, कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 8 फरवरी 2022 से शुरू हुई थी। आज गुरुवार को बैठक के दौरान लिए गए फैसलों से गवर्नर ने देश को अवगत कराया। बता दें, कि पिछली बैठक में भी आरबीआई ने नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया था।
रिवर्स रेपो रेट में भी बदलाव नहीं
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास तीन दिवसीय बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'रेपो रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4 प्रतिशत पर बना हुआ रहेगा। एमएसएफ रेट (MSF Rate) और बैंक रेट (Bank Rate) बिना किसी बदलाव के साथ 4.25 प्रतिशत रहेगा। साथ ही, जैसा कि उम्मीद जताई जा रही थी कि इस बार आरबीआई रिवर्स रेपो रेट में बदलाव करते हुए इसे 0.20 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ा सकता है, तो हुआ इसके ठीक विपरीत। आरबीआई ने ने इसे भी बिना किसी बदलाव के साथ 3.35 फीसद पर बरकरार रखा।
2022-23 में 7.8 प्रतिशत जीडीपी
आरबीआई गवर्नर ने कहा, कि 2022-23 में 7.8 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP growth rate) रह सकता है। उन्होंने आगे कहा, कि आईएमएफ (IMF) का भी मानना है कि वैक्सीनेशन सहित अन्य जरूरी कदम उठाए जाने की वजह से भारत तेजी के साथ विकास करेगा।
मई 2020 में एतिहासिक स्तर तक घटाई थीं दरें
उल्लेखनीय है, कि केंद्रीय बैंक ने अंतिम बार 22 मई 2020 को नीतिगत दरों में बदलाव किया था। अगर इसे विस्तार से समझें तो रेपो दर, जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालीन धन उधार देता है, 4 फीसदी पर अपरिवर्तित रखी गई है। इसके अलावा, रिवर्स रेपो दर यानी जिस पर RBI बैंकों से उधार लेता है, को 3.35 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया था। सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएपफआर) और बैंक दर को भी 4.25 प्रतिशत पर ही अपरिवर्तित रखा गया है।
ज्ञात हो, कि केंद्रीय रिजर्व बैंक ने मई 2020 में कोविड महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए प्रमुख नीतिगत दरों को ऐतिहासिक निम्न स्तर तक घटा दिया था। तब से आरबीआई ने उसी स्थिति को बनाए रखा है।
महंगा कच्चा तेल बन रहा चिंता का सबब
हाल के महीने में महंगाई दर में वृद्धि बेस कारणों की वजह से आया है। दुनिया के कई देशों में महंगाई बहुत ज्यादा है। जिसके चलते उन देशों के सेंट्रल बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। वैश्विक तनाव पर भी नजर है। महंगाई दरों में जो बढ़ोतरी आई है वो बेस कारणों से आया है। हालांकि कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी चिंता का सबब है जिसके चलते महंगाई बढ़ने का खतरा है। कच्चे तेल के बढ़ते दामों पर नजर बनाए रखना जरूरी है।
मौद्रीक नीति समिति (MPC) की आज एक अहम बैठक देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में हुई। रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास (Reserve Bank Governor Shaktikanta Das) की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में महंगाई समेत देश के कई ज्वलंत आर्थिक मुद्दों पर फोकस रहा। इसके अलावा एमपीसी को केंद्र सरकार (Central Government) ने बजटीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए अतिरिक्त धन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी भी दी है। एमपीसी (MPC Meeting) के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश में बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण (control inflation) पाना है।
MPC की चुनौती
ताजा आर्थिक सर्वेक्षण के डाटा के मुताबिक, देश में मुद्रास्फीति (inflation) लगातार बढ़ रही, लेकिन लोगों की खर्च करने की कैपेसिटी कोरोना महामारी (Coronavirus Mahamari) के पूर्व के बराबर नहीं है। वहीं तेल की बढ़ती कीमतों में महंगाई के दंश को और बढ़ा दिया है। लगातार बढ़ रही तेल की कीमतों के कारण महंगाई चरम पर है। हालांकि बीते कुछ माह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद घरेलू बाजार में तेल की कीमतों में इजाफा नहीं किया गया है। हालांकि ये अभी भी अपने सर्वोच्चतम स्तर पर है। इसके अलावा एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष में कर्ज लेने के लिए रिकॉर्ड 14.95 ट्रिलियन रुपये का टारगेट रखा है। इसके रिजर्व बैंक पर भी दबाव बना है।
MPC की बैठक में ब्याज दर पर बढ़ाने पर चर्चा
ब्याज दर में वृद्धि- भारत में मुद्रास्फीति लगातार बीते तीन महीने से बढ़ रहा है। इससे पहले अनुमान जताया जा रहा था कि मुद्रास्फीति की दर आरबीआई के निर्धारित 2-6 प्रतिशत के लक्ष्य से बाहर है। मुद्रास्फीति को कंट्रोल करने के लिए सरकार ब्याज दर बढ़ती है या नहीं इस पर बैठक में महत्वपूर्ण फैसला हो सकता है। आर्थिक मामलों के जानकार ब्याज दर बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन, अधिकतर जानकार रिवर्स रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में रहे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव चढ़ने पर आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति का दबाव और बढ़ने के आसार जताए गए थे।