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कर्ज ब्याज दरों की वृद्धि से राहत...लेकिन नहीं घटेंगी लोन की EMI, RBI ने उठाया ये कदम
RBI MPC Meet: वित्त वर्ष 2023-254 की पांचवी MPC में बैठक में शामिल 6 में से 5 सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने की अपनी सहमित जताई।
RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने छह दिसंबर 8 दिसंबर तक चली अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक (MPC Meeting) में लिये गए निर्णय में रेपो रेप में कोई बदलाव नहीं करते हुए कुछ लोगों को राहत दी तो कुछ लोगों को फौरी झटका मिला है। शुक्रवार को आरबीआई के गवर्नर शाक्तिकांत दास ने बताया कि कमेटी ने एक बार फिर रेपो रेप में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर यथावत रखा है और यह पांचवी बार है, जब आरबीआई ने यह कदम उठाया है।
नहीं घटेंगी ईएमआई
वॉयस ऑफ बैंकिंग के संस्थापक और आर्थिक सलाहकार अशवनी राणा ने कहा कि महंगाई नियंत्रण में होने और अच्छी विकास दर के कारण केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया है। रिजर्व बैंक के अंतिम बार फरवरी में रपो रेट में बदलाव किया था और यह अभी भी 6.50% पर बना हुआ है। आरबीआई के इस कदम EMI देने वाले ग्राहकों को राहत नहीं मिलेगी,क्योंकि अगर आरबीआई रेपो रेट में कुछ कटौती करता तो बैंक अपने कर्ज ब्याज दरों कमी से लोगों को राहत देते, इससे लोन पर चल रही EMI की दरें कुछ कम होती, जिससे इन लोगों को कुछ राहत मिलती, लेकिन रेपो रेट को स्थिर रख कर, EMI ग्राहकों को आरबीआई की ओर से कोई राहत नहीं मिली है।
5 सदस्यों ने दी थी स्थिर करने की सहमित
वित्त वर्ष 2023-254 की पांचवी MPC में बैठक में शामिल 6 में से 5 सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने की अपनी सहमित जताई। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा रिजर्व बैंक का 'withdrawal of accommodation' का रुख कायम है। देश में महंगाई दर को 4 फीसदी के नीचे लाना हमारा फोकस रहेगा। उन्होंने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान है। इससे पहले यह अनुमान 6.5 फीसदी का था। तीसरी तिमाही में देश की जीडीपी 6.5 फीसदी और चौथी तिमाही में 6 फीसदी की दर से वृद्धि करेगी। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 6.7 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, केंद्रीय बैंक के मुताबिक।
जानिए आखिरी बार कब बदला था रेपो रेट ?
बीते साल फरवरी में रूस और यूक्रेन के युद्ध की वजह से ग्लोबल स्तर पर खाद्य सप्लाई बाधित होने की वजह से भारत में बढ़ी महंगाई को रोकने के लिए आरबीआई ने मई, 2022 में आपातकालीन बैठक करके कोरोनकाल के बाद पहली रेपो रेट में वृद्धि की थी। उसके बाद जब भी एमएसपी की बैठक हुई, केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में वृद्धि की थी। यह वृद्धि इस साल फरवरी तक चलेगी, तब रेपो रेट बढ़कर 6.50 फीसदी पर आ गया था, लेकिन फरवरी माह से दिसंबर, 2023 तक रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह 6.50 फीसदी पर स्थिर है।
जानिए क्या होता रेपो रेट?
दरअसल, रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों को लोन देता है। केंद्रीय बैंक से हासिल पैसे से बैंक लोगों को लोन मुहैया करवाता है। ऐसे में अगर रेपो रेट बढ़ता है तो बैंक अपने यहां कर्ज ब्याज दरों में वृद्धि करती हैं, इससे लोन पर चल रही ईएमआई भी बढ़ती हैं। अगर यह घटता है तो लोन की दरें भी घटती हैं। सीधे शब्दों में कहें तो रेपो रेट के असर पर लोन और ईएमआई प्रभावित होता है।