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Saharanpur Wood Carving: लकड़ी पर नक्काशी के लिए प्रसिद्द है सहारनपुर, ODOP योजना के तहत योगी सरकार भी दे रही है बढ़ावा

Saharanpur Wood Carving: आज जो सहारनपुर पूरे विश्व में लकड़ी की नक्काशी के प्रसिद्ध है, उसके पिछले वहां के लोगों की इस पर की गई अथक मेहनत है। जोकि बहुत कम लोग इससे वाफिक हैं।

Viren Singh
Written By Viren Singh
Published on: 4 Jan 2023 7:25 AM IST
Saharanpur Wood Carving
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Saharanpur Wood Carving (Newstrack)

Saharanpur Wood Carving: लकड़ी पर नक्काशी (Wood Carving) अगर देखनी हो और इससे बने उत्पादों को खरीदना हो, तो उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का रूख करें। लकड़ी की नक्काशी की वजह से सहारनपुर की चर्चा भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में होती है। हर किसी की इच्छा होती है कि उसके घर में एक लड़की की बनी वस्तु सहारनपुर की जरूर हो, क्योंकि यहां की नक्काशी से लकड़ी की वस्तु की सुंदरता देखते ही बनती है। यहाँ की बनी वास्तु को घर के किसी भी कोने में रखते हैं, तो वहां की रौनक देखने के लायक होती है।

सहारनपुर की लकड़ी की नक्काशी को उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने स्पेशल प्रोजेक्ट एक जिला एक उत्पाद (ODOP) वाली योजना में सहारनपुर को शामिल किया है। ODOP योजना में शामिल होने के नाते इसे भारत सहित विश्व पटल पर और नाम मिल रहा है साथ ही सरकारी प्रोत्साहन से यह और आगे बढ़ेगा।

इस वजह से मिली पहचान

लकड़ी की नक्काशी से जुड़े एक कारोबारी का कहना है कि एक वक्त ऐसा था कि हमारा हैंडिक्राफ्ट पूरी तरह खत्म सा हो गया था, जब दुनिया में क्राइसिस आया था। उसके बाद हम लोगों ने लोकल इंड्रस्टी पर ध्यान देना शुरू किया है। क्योंकि हमारा कारीगर केवल कार्विंग (नक्काशी) ही जानता है। इन हाथों को जिंदा रखने के लिए लोक फर्नीचर पर ध्यान देना शुरु कर दिया है। इस पर लोगों ने काफी मेहनत की और पूरे भारत में अलग अगल जगहों पर प्रदर्शनी लगाकर इसकी ब्रांडिंग की। जिसके बाद सहारनपुर भारत की एक बड़े फर्नीचर उद्योग के रूप में जाने जाना लगा और आज पूरी दुनिया में सहारनपुर का फर्नीचर फेमस है।

क्यों प्रसिद्ध है सहानपुर की दस्तकारी ?

एक अन्य कारोबारी ने बताया कि सहारनपुर की वुड कार्विंग इंडस्ट्री मुगल के लास्ट पीरियड से शुरु हुई है। काबुल के कुछ लोग दर्रा से होते हुए भारत में कश्मीर के रास्ते से यूपी की सहारनपुर में आये। उसके बाद उन लोगों ने यहां पर वुड कार्विंग का काम शुरू किया,जिसके बाद यह सिलसिला लगातार कायम है। कारोबारी ने बताया कि दस्तकारी में सबसे उन लोगों ने लकड़ी से कंधी बनाया। ब्रिटिश इंडिया समय ये लोग उसमें थोड़ा बदलाव करते हुए बॉक्स बनाने लगे। तब सेंट बॉक्स बनते थे। उसको कोलकाता में जाकर बेचते थे। क्योंकि उस समय भारत में ब्रिटिश का राज था और ईस्ट इंडिया कंपनी का हेडऑफिस कोलकाता में था। वहां से ब्रांडिंग की शुरुआत हुई थी। पूरी से दुनिया से सहारपुर की दस्तकारी को लोगों को ने खूब पंसद किया और खूब खरीदारी कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि लगातार भारत सहित दुनिया में सहारनपुर की लड़की पर की गई नक्काशी की मांग बढ़ रही है, जिसकी वजह से यहां पर उद्योग खूब फल फूल रहा है और लोगों को अच्छा रोजगार मिल रहा है और इसमें लगे मजदूर को अच्छी मजूदरी मिली रही है। ऊपर से यूपी सरकार ने एक जिला एक उत्पाद की योजना ने सहारनपुर को शामिल करके उद्योग में गाति देने का काम किया है। यहां की दस्तकारी मुगलों के काल से जली आ रही है, इसलिए यह पूरी दुनिया में फेमस है।

इन वुड पर होती है नक्काशी

सहारनपुर के भारतीय आर्ट हैंडीक्राफ्ट से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि अधिकांश टीक वुड में सारे फर्नीचर बनाए जाते हैं। हालांकि शीशम के वुड से भी फर्नीचर तैयार होता है, लेकिन वह ऑडर्र पर। यहां पर लकड़ी पर जो कार्विंग होती है, उसमें सहारनपुर की कला होती है। देश में विभिन्न जगहों की विभिन्न प्रकार की कला होती है। लेकिन यहां लकड़ी पर होने वाली नक्काशी केवल सहारनपुर की कला से जुड़ी हुई होती है। इसके अलावा कश्मीरी कला की भी यहां कार्विंग की जाती है। कश्मीरी कला की कार्रिंग बहुत बारीकी से की जाती है। कार्विंग और लकड़ी का इस्तेमाल उत्पाद की कीमत तय करती है। जिसके वजह से यहां की वस्तु थोड़ी महंगी हो जाती है।

यह वुड होता है सबसे अच्छा

अधिकतर टीक वुड में फर्नीचर बने होते हैं। और कई प्रकार के टीक वुड होते हैं। भातर में सबसे अच्छा टीक वुड एमपी (मध्य प्रदेश) का टीक वुड होता है। वहीं, निर्यात टिक वुड की बात करें तो बरमा का वुड सबसे अच्छा होता है और यहां पर दुनिया में सबसे अच्छा वुड मिलता है। इन वुडों की पहचान की बात करें तो टीक वुड डार्क ब्राउन का होता है तो वह अच्छा है। वहीं, इन फर्नीचरों पर कार्विंग करने में अधिक समय लगाता है।

क्या वैश्विक स्तर पर गिरा रहा यह कारोबार

सहारनपुर के लकड़ी पर नक्काशाकी के कारोबार पर नजर डालें तो यह वैश्विक स्तर पर सालाना 1 हजार करोड़ रुपये का कारोबार है। 150 एक्सपोर्टर मौजूद हैं। यहां पर काम करने वालों की संख्या एक लाख 50 हजार के करीब है। पूरे शहर में 400 इकाइंयों पर इसका काम किया जाता है। हालांकि धीरे धीरे अब सहारनपुर लकड़ी के नक्कासी का कारोबार वैश्विक स्तर पर गिरने लगा है,क्योंकि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, चाइना, मलेशिया, इंडोनेशिया, ताइवान व बांग्लादेश भी अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में थोक में हैंडीक्राफ्ट का माल उतार रहा है। सरकार इस पर अनदेखी कर रही है। यह कारोबार अब 200 करोड़ रुपये में सिमट गया है।

इन स्थानों में होती है नक्शाकी

शहर में लकड़ी की नक्शाकी खताखेड़ी, शाहजी की सराय, सराय हिसामुद्दीन, पुरानी मंडी, कमेला कालोनी, पीरवाली गली, आज़ाद कालोनी, इंद्रा चौक, 62 फुटा रोड, रहमानी चौक, पुल कंबोहान सहित कई क्षेत्रों में की जाती है। अगर आप जब भी सहारनपुर जाएं तो इन जगहों पर जरुर एक बार लकड़ी की नक्काशी देखने जाएं।

क्या है ODOP ?

यूपी में लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने और स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से योगी सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना का शुभारंभ किया है। एक जिला एक उत्पाद योजना के अंतर्गत अभी तक 5 लाख लोगों को रोजगार मिल चुका है। इसके अलावा यूपी से छोटे लघु एवं मध्य उद्योग से 89 हजार करोड़ से अधिक का निर्यात किया जा चुका है। इस योजना की शुरुआत 28 जनवरी, 2018 में की गई थी।



Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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