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CAIT News: सनातन अर्थशास्त्र भारत अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा, होता हर साल 25 लाख करोड़ का कारोबार
CAIT News: एक अनुमान के अनुसार देश में इस वर्ष सनातन अर्थव्यवस्था का यह कारोबार लगभग 25 लाख करोड़ रुपये का होगा। जो देश के कुल रिटेल कारोबार का लगभग 20 प्रतिशत है।
CAIT News: देश भर के बाजारों में इस बार दिवाली के त्यौहारों के चलते हुई जबरदस्त बिक्री ने भारत की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम दिया है। इसने यह साबित किया है कि भारत में त्यौहार देश के व्यापार एवं आर्थिक चक्र को कैसे घुमाते हैं। देश के सबसे बड़े व्यापारी संगठन कैट ने इस आयाम को सनातन अर्थव्यवस्था दिया है। नाम देते हुए कैट ने कहा कि देश के व्यापार के लिए त्यौहारों का मनाया जाना बेहद ही महत्वपूर्ण है और यही कारण है कि भारत के व्यापारी वर्ष भर में होने वाले विभिन्न त्यौहारों के लिए अपनी दुकानों में विशिष्ट प्रबंध करते हैं और ख़ास तौर पर त्यौहारों पर बड़ा व्यापार करते हैं। दूसरी ओर त्यौहार देश भर में रोज़गार तथा स्वयं व्यापार के बड़े अवसर भी उपलब्ध कराते हैं जिससे माध्यम एवं निम्न वर्ग का आर्थिक पक्ष मजबूत होता है।
सनातन अर्थव्यवस्था से होगा 25 लाख करोड़ का कारोबार
एक अनुमान के अनुसार देश में इस वर्ष सनातन अर्थव्यवस्था का यह कारोबार लगभग 25 लाख करोड़ रुपये का होगा। जो देश के कुल रिटेल कारोबार का लगभग 20 प्रतिशत है। कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सनातन अर्थव्यवस्था की व्याख्या करते हुए कहा कि नवरात्रि से लेकर दीवाली के दिन तक देश के मेनलाइन रिटेल व्यापार में ₹3.75 लाख करोड़ का कारोबार हुआ। वहीं देश भर में दुर्गा पूजा और इसके आस पास हुए अन्य त्यौहारों में लगभग 50 हज़ार करोड़ का व्यापार हुआ। गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय समारोहों पर 20-25 हजार करोड़ का हुआ। यह आंकड़े सिर्फ 3 त्यौहारों के हैं। इसी तरह से होली, जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि, राखी जैसे अन्यढेरों त्यौहारो पर बाजारों में हुई खरीदी को भी जोड़ा जाए तो कई सौ लाख करोड़ रुपये सनातन व्यापार में जुड़ जाएगा।
त्यौहार, तीर्थों से बाजार में आता अधिक पैसा
कैट के महामंत्री खंडेलवाल ने कहा कि एक मोटे अनुमान के अनुसार देश भर में लगभग 10 लाख से अधिक मंदिर हैं जहां प्रतिदिन लोगों द्वारा बड़ा खर्च किया जाता है और इसके साथ ही बड़ी मात्रा में तीर्थ स्थलों पर जाने वाले श्रद्धालुओं द्वारा किए गए खर्चो को जोड़ दें तो यह आकड़ा सनातन अर्थव्यवस्था को स्वतः ही भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण बना देता है। इससे यह बेहद स्पष्ट है कि भारत में त्यौहार, तीर्थ आदि के कारण बहुत बड़ी धनराशि बाज़ार चक्र में आती है जो दुनिया के 100 से ज्यादा देशों की जीडीपी से भी ज्यादा है।
त्यौहारों से मिलता लाखों को रोजगार
खंडेलवाल ने कहा कि जहां तक रोजगार का सवाल है तो मात्र दुर्गा पूजा के समय, सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही 3 लाख से ज्यादा कारीगरों,मजदूरों को काम मिला। गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दशहरा, होली, संक्रांति आदि अन्य त्यौहारों की वजह से जहां करोड़ों लोगो को रोजगार मिलता है। वहीं लाखों लोग स्वयं का छोटा-बड़ा व्यापार भी कर पाते हैं, जिनमें से लाखों लोग ऐसे हैं जिनकी आजीविका ही त्यौहारों पर निर्भर रहती है।
सनातन अर्थशास्त्र भारत के लिए बेहद अहम
दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि बड़े आकड़ों की बजाय यदि धनतेरस के एक दिन के व्यापार को ही देख जाये तो भारतीय मध्यम वर्ग द्वारा एक दिन में 25,500 करोड़ रुपये का 41 टन सोना खरीदा गया था। चांदी की बिक्री 3000 करोड़ रुपये हुई थी।कार निर्माताओं ने 55000 कारों की डिलीवरी की। 5 लाख से अधिक स्कूटर की डिलीवरी की गई। उन्होंने कहा कि सनातन अर्थशास्त्र"है जो देश के व्यापार के लिए बेहद ही अहम है और जिसको समझने के लिए अर्थशास्त्री होना जरूरी नहीं है।