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Adani-Hindenburg Case: SEBI ने SC में ऑफशोर फंड्स के नियमों में बदलाव के निर्णय का किया बचाव, जानें क्या कहा?
Adani-Hindenburg Case: सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, ये आवश्यक है कि सभी जांच तय समय सीमा के भीतर पूरी की जाए। मगर, सेबी इससे सहमत नहीं।
Adani-Hindenburg Case: अडानी समूह (Adani Group) के खिलाफ Hindenburg Report मामले में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 41 पन्नों का हलफनामा दायर किया है। SEBI ने अदालत में जमा कराए नई फाइलिंग में 2019 में ऑफशोर फंड्स (Offshore Fund) अर्थात विदेशी फंड्स के लिए रिपोर्टिंग रूल्स में बदलाव करने के अपने फैसले का बचाव किया है।
सेबी ने कहा है कि, 'नियमों में बदलाव की वजह से ऑफशोर फंड के सही लाभार्थी का पता लगाना कठिन नहीं हो गया है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है।बाजार नियामक ने अपने हलफनामे में शीर्ष अदालत से 'उचित आदेश' भी मांगा है। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करेगा। आपको बता दें, अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेराफेरी का आरोप लगाया था। जिसके बाद ये मामला शीर्ष अदालत पहुंचा था। कोर्ट ने मामले में स्पेशल कमिटी का गठन किया था। इसकी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी जा चुकी है।
SEBI ने की 'उचित आदेश' की मांग
बाजार नियामक (SEBI) ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से 'उचित आदेश' की मांग की है। उच्चतम न्यायालय 11 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगा। यहां आपको बता दें कि, अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर शेयरों में हेराफेरी का गंभीर आरोप लगाया था। जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंचा। कोर्ट ने मामले में 'विशेष समिति' का गठन किया था। जिसकी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी जा चुकी है।
क्या कहा SEBI ने?
गौरतलब है कि, मई 2023 में शीर्ष अदालत द्वारा गठित कमिटी ने कोर्ट में जमा कराए अपनी रिपोर्ट में कहा था कि, 'ऑफशोर फंड' के लिए रिपोर्टिंग नियमों में बदलाव की वजह से अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में निवेश करने, ऑफशोर फंड्स का पता लगाना SEBI के लिए कठिन हो गया है। साथ ही साथ, सेबी ने अदालत को कहा है कि जांच शुरू करने या पूरा करने या फिर सेटलमेंट प्रोसिडिंग (Settlement Proceeding) के लिए किसी प्रकार की समय सीमा निर्धारित करना उचित नहीं होगा।
किसी जांच के लिए समय सीमा का निर्धारण सही नहीं'
कमिटी के इन्हीं सुझावों पर SEBI ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी राय रखी। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने कहा, 'किसी भी जांच के लिए समय सीमा का निर्धारित किया जाना ठीक नहीं है। क्योंकि, सेबी के बोर्ड के पास ये अधिकार है कि वो प्रथम दृष्टि में राय बनाने के बाद ही जांच एजेंसी नियुक्त करे। SEBI द्वारा जांच एजेंसी नियुक्त करने का फैसला कई बातों पर निर्भर करता है। जिसमें अहम ये है कि कब सबसे पहले उल्लंघन पाया गया। या फिर, सेबी के सामने उल्लंघन का मामला संज्ञान में आया। सेबी ने ये भी कहा, सभी जानकारियों का विश्लेषण किया जाता है। जो रिकॉर्ड पर सबूत उपलब्ध हैं उन्हें खंगाला भी जाता है।'