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Share Market Today: शेयर बाजार में तेज उछाल, सेंसेक्स 1000 पॉइंट चढ़ा, निफ्टी 16900 के पार
Share Market Today: शेयर बाजार बंदी पर सेंसेक्स 1,041.47 अंक बढ़कर 56,857.79 पर और निफ्टी 287.80 अंक ऊपर 16,929.60 पर पहुंच गया था।
Share Market (image credit social media)
Share Market Today: घरेलू सूचकांक आज 12 सप्ताह के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। बाजार बंदी पर सेंसेक्स (Sensex) 1,041.47 अंक या 1.87 फीसदी बढ़कर 56,857.79 पर और निफ्टी (Nifty) 287.80 अंक या 1.73 फीसदी ऊपर 16,929.60 पर पहुंच गया था। लगभग 1865 शेयरों में तेजी आई, 1389 शेयरों में गिरावट आई और 141 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
इन शेयरों में दिखा लाभ
बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, कोटक महिंद्रा बैंक, इंडसइंड बैंक और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, निफ्टी पर प्रमुख लाभ में थे, जबकि हारने वालों में श्री सीमेंट्स, भारती एयरटेल, अल्ट्राटेक सीमेंट, सिप्ला और बजाज ऑटो शामिल थे। बजाज फाइनेंस के शेयरों में आज भी तेजी जारी रही, कंपनी ने अप्रैल-जून के लिए अपने उच्चतम समेकित तिमाही शुद्ध लाभ की रिपोर्ट के बाद 9 प्रतिशत से अधिक की चढ़ाई की है। बीएसई पर इसका शेयर 9.46 फीसदी उछलकर 6,999 रुपये पर पहुंच गया।
सेक्टरों में बैंक, आईटी, मेटल, पावर, रियल्टी 1-2 फीसदी ऊपर चले गए।बीएसई मिडकैप इंडेक्स करीब 1 फीसदी और स्मॉलकैप इंडेक्स 0.6 फीसदी चढ़ा। निफ्टी मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में प्रत्येक में 0.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। निफ्टी आईटी इंडेक्स (3 फीसदी ऊपर) और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज इंडेक्स (2.5 फीसदी) की अगुवाई में सभी सूचकांक सकारात्मक क्षेत्र में बंद हुए। निफ्टी हेल्थकेयर इंडेक्स ने 0.3 फीसदी की सबसे ज्यादा बढ़त दर्ज की।
ग्लोबल बाजार का हाल
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी की गति के बारे में कुछ चिंताओं को कम किये जाने से ग्लोबल बाजारों में सकारात्मक रिस्पांस दिखा है। यूरोपीय शेयर भी गुरुवार को सात सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुंच गए। एशियाई बाजारों में शेयर आगे बढ़े हैं।
घरेलू इक्विटी में विदेशी प्रवाह का सबसे खराब दौर जल्द हो सकता है खत्म
विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू इक्विटी में विदेशी प्रवाह का सबसे खराब दौर जल्द ही खत्म हो सकता है। विश्लेषक उम्मीद करते हैं कि विदेशी निवेशक जल्द ही भारत सहित उभरते बाजारों में लौट आएंगे, क्योंकि वैश्विक केंद्रीय बैंक, विशेष रूप से यूएस फेडरल रिजर्व मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए दरों में वृद्धि करने में अब कम आक्रामक नजर आ रहे हैं।