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हो जाएं सावधान: तैयार हो जाइए एक नई आफत के लिए, सिलिकॉन का घोर संकट

सिलिकॉन से एक धातु बनती है, जिसे सिलिकॉन मेटल कहा जाता है। जिसका इस्तेमाल लगभग हर चीज को बनाने में किया जाता है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shraddha
Published on: 2 Oct 2021 4:34 PM IST
सिलिकॉन की हो रही कमी
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सिलिकॉन की हो रही कमी (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

Silicon: पृथ्वी पर सबसे ज्यादा मात्रा में पाई जाने वाली चीजों में पहले नंबर पर ऑक्सीजन है। दूसरे नंबर पर है सिलिकॉन (Silicon)। जो चट्टानों, मिटटी और बालू में पाया जाता है। इसी सिलिकॉन से एक धातु बनती है, जिसे सिलिकॉन मेटल (Silicon Metal) कहा जाता है । जिसका इस्तेमाल लगभग हर चीज को बनाने में किया जाता है, चाहे वह नकली दांत हों, कंक्रीट हो या माइक्रोचिप। लेकिन हमारे इर्द गिर्द बहुतायत में मौजूदगी के बावजूद आज पूरी दुनिया सिलिकॉन धातु की कमी से बुरी तरह प्रभावित है। इसके चलते ग्लोबल अर्थव्यवस्था के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो चुका है। कोरोना महामारी, बिजली संकट के बाद अब हर इंडस्ट्री के सामने आफत है जिसका असर अंत में आम उपभोक्ता पर ही पड़ना है।

सिलिकॉन धातु का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन चीन में होता है , जहाँ कोरोना महामारी, बिजली की कमी, कच्चे माल की कमी और अन्य कारणों से उत्पादन काफी घट गया है। नतीजतन, मात्र दो महीने में सिलिकॉन धातु के दाम 300 फीसदी बढ़ चुके हैं। 2003-2004 में सिलिकॉन धातु का चीन में दाम एक हजार युआन प्रति टन था, जो लगभग सत्तर हजार युआन प्रति टन हो चुका है।

सिलिकॉन का इस्तेमाल कंप्यूटर चिप में होता है (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

दिनोंदिन खराब होती स्थिति के चलते दुनिया की बहुत सी कंपनियों ने प्रोडक्शन घटा दिया है या उत्पादन एकदम बंद कर दिया है। इस कड़ी में ताजा नाम है नॉर्वे की केमिकल निर्माता कंपनी एल्केम एएसए का । इसमें घोषणा की है कि वह सिलिकॉन आधारित उत्पादों की बिक्री स्थगित कर रही है। सिलिकॉन के मामले से पता चलता है कि वैश्विक ऊर्जा संकट किस प्रकार अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रहा है। चीन ने सिलिकॉन का आउटपुट बिजली का उपभोग कम करने के उद्देश्य से भी घटाया है। इसके अलावा चीन ने मैग्नीशियम का भी आउटपुट घटा दिया है।

बहरहाल, सिलिकॉन की कमी का बड़ा असर वाहन निर्माता कंपनियों पर पड़ा है। क्योंकि इंजन ब्लाक तथा कुछ अन्य पुर्जों को बनाने के लिए सिलिकॉन और अलमुनियम का इस्तेमाल होता है। कार के पुर्जों में मैग्नीशियम का भी इस्तेमाल होता है और चीन से उसकी सप्लाई भी काफी कम हो गयी है। सोलर इंडस्ट्री भी सिलिकॉन की कमी झेल रही है।सोलर पैनल में इस्तेमाल होने वाले पोलीसिलिकॉन के दाम साल भर में 400 गुना बढ़ चुके हैं।

सिलिकॉन धातु का इस्तेमाल

पृथ्वी की ऊपरी सतह में सिलिकॉन का हिस्सा 28 फीसदी है। सिलिकॉन का इस्तेमाल कंप्यूटर चिप, कंक्रीट, शीशा, गाड़ियों के पुर्जे, सोलर पैनल आदि हर चीज में किया जाता है। यहाँ तक कि डियोडोरेन्ट बनाने में भी सिलिकॉन इस्तेमाल होता है। सिलिकॉन बालू, मिट्टी और कंकड़ में काफी मात्रा में पाया जाता है। लेकिन औद्योगिक डिमांड बढ़ने के साथ साथ सिलिकॉन के रॉ मैटेरियल की भी कमी हो रही है। जिस क्वालिटी की रेट और बालू सबसे बढ़िया मानी जाती है , उसकी कमी देखी जा रही है और यही वजह है कि कई चीनी कंपनियों ने अन्य देशों से रेट और बालू का इम्पोर्ट शुरू किया है।

सिलिकॉन के कंपाउंड कई पौधों, पानी, वातावरण और कुछ पशुओं में भी पाए जाते हैं। पृथ्वी की ऊपरी सतह में सिलिकॉन का हिस्सा 28 फीसदी है। सिलिकॉन का इस्तेमाल कंप्यूटर चिप, कंक्रीट, शीशा, गाड़ियों के पुर्जे, सोलर पैनल आदि हर चीज में किया जाता है। यहाँ तक कि डियोडोरेन्ट बनाने में भी सिलिकॉन इस्तेमाल होता है। सिलिकॉन बालू, मिट्टी और कंकड़ में काफी मात्रा में पाया जाता है। लेकिन औद्योगिक डिमांड बढ़ने के साथ साथ सिलिकॉन के रॉ मैटेरियल की भी कमी हो रही है। जिस क्वालिटी की रेट और बालू सबसे बढ़िया मानी जाती है । उसकी कमी देखी जा रही है और यही वजह है कि कई चीनी कंपनियों ने अन्य देशों से रेट और बालू का इम्पोर्ट शुरू किया है।

सिलिकॉन धातु बनाने के प्रोसेस में बालू और कोयले को भट्ठी में गर्म किया जाता है। चीन में शिनजियांग, युन्नान और सिचुआन प्रान्त में सिलिकॉन धातु के सबसे बड़े उत्पादक हैं। इसमें से युन्नान और सिचुआन प्रान्त में ओउतपुर काफी कम हो गया है । क्योंकि कारखानों को बिजली सप्लाई ही नहीं मिल पा रही है।



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